Categories: Others

When will Hindi become the national language of India?: हिंदी कब बनेगी भारत की राष्ट्रभाषा?

‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटन न हिय के सूल’। हिंदी के महान कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र सही लिखते हैं कि मातृभाषा की उन्नति बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है तथा अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है। देश की उन्नति में राष्ट्र भाषा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान लॉड टॉमस बैबिंग्टन मैकॉले की सिफारिशों को मानते हुए लॉड विलियम बेंटिक ने 1835 में भारत में अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया था। मैकाले ने अंग्रेजी भाषा को न्यायसंगत ठहराते हुए कहा था कि इसका मकसद भारतीयों की ऐसी पीढ़ी तैयार करना है जो कि खून और रंग से भारतीय हों, लेकिन पसंद, आचार-विचार, बुद्धिमत्ता और राय से अंग्रेज हों। राष्ट्रीय एकता और स्थायित्व के लिए राष्ट्रभाषा की अनिवार्यता किसी भी राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह भी सच है कि बिना अपनी भाषा के कोई भी राष्ट्र गूंगा होता है । अपने विचार दूसरों तक पहुंचने के लिए संवाद जरूरी है और संवाद के लिए भाषा का होना अति आवश्यक है। वैसे भी यह सत्य है कि राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता के लिए राष्ट्रभाषा की महत्ती आवश्यकता है। हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। पहली बार 1953 में हिन्दी दिवस मनाया गया था। संविधान सभा ने 14 सितंबर,1949 को देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में यह वर्णित है कि संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। आज हमारे देश भारत में अंग्रेजी बोलने वाले को अच्छी नजर से देखा जाती है। आज सभी अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं। हमारे देश में अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। कुछ लोग हिंदी बोलना शर्म और अंग्रेजी भाषा बोलना शान समझते है। भारत में आजकल लोग वहां भी अंग्रेजी बोलते हैं जहां जरूरत नहीं। उन लोगों के साथ अंग्रेजी में बात करते हैं जिन्हें अंग्रेजी समझ भी नहीं आती। भारत की सबसे बड़ी विडंबना है कि दुनिया के सभी देशों के संविधान मातृभाषा में हैं, लेकिन भारत का संविधान अंग्रेजी में बना। भारत में लोग भले ही अंग्रेजी बोल नहीं पाते अथवा लिख नहीं पाते हैं बावजूद इसके वे अंग्रेजी का उपयोग करने की कोशिश करते हैं। हिन्दी देश की राजकाज की भाषा है, न कि राष्ट्रभाषा। गुजरात हाई कोर्ट ने 2010 में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि भारत की अपनी कोई राष्ट्रभाषा है ही नहीं। कोर्ट ने कहा है कि भारत में अधिकांश लोगों ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा के तौर पर स्वीकार कर लिया है। बहुत से लोग हिन्दी बोलते हैं और हिन्दी की देवनागरी लिपि में लिखते भी हैं। लेकिन यह भी एक तथ्य है कि हिन्दी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं। हिंदी जानते हुए भी लोग हिंदी में बोलने पढ़ने या काम करने में हिचकिचाने लगे हैं। आज के युग में हम अपनी राष्ट्रीय भाषा को बोलने में शर्म महसूस कर रहे है और हिंदी भाषा के स्थान पर अन्य भाषाओं को महत्व दे रहे है। यह चिंता का विषय है। हिंदी भाषा हमारे समाज से धीरे-धीरे गायब होती जा रही है। यदि हालात यही रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हिंदी भाषा हमारे बीच से गायब हो जाएगी। मेरा मानना है कि जब हम हिन्दुस्थान में रहते हुए भी हम हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे तो क्या अमरीका व अन्य देशों के नागरिक प्रयोग करने के लिए आयेंगे? हमारी मानसिकता इस तरह की बनती जा रही है कि अंग्रेजी बोलने वाला ही ज्ञानी और बुद्धिमान होता है, कि अंग्रेजी सीखे बिना कोई देश तरक्की नही कर सकता है, लेकिन जापान, चीन फ्रांस और जर्मनी ये वो देश है जो अपनी मातृभाषा में पढ़कर लिखकर आगे बढ़ रहे है, तरक्की कर रहे है। यह देश का दुर्भाग्य है कि भारतीय संविधान में राजभाषा का दर्जा पाने के बावजूद हिंदी को आज तक देश में उचित सम्मान नहीं मिल पाया है। 15 अगस्त 2019 को भारत देश ने अपनी आजादी की 73वीं वर्ष गांठ मनाई है परन्तु यह बहुत दु:खद है कि अभी तक देश में हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित नही किया जा सका है। राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। देश तो अंग्रेजो से आजाद हो गया लेकिन हिंदी भाषा पर तो आज भी अंग्रेजी भाषा का आधिपत्य कायम है । भारत में हमें भी अपनी हिन्दी भाषा पर वैसा ही फर्ख करना चहिये जैसे फ्रेंच, जापान, फ्रांस जर्मनी और चाइनीज अपनी भाषा पर फर्ख महसूस करते हैं । भारत मे ही हिन्दी की दुर्दशा देखिए कि आप किसी से सवाल हिन्दी मे पूछेंगे और आपको वो व्यक्ति जवाब अंग्रेजी में देगा’ मेरा (युद्धवीर लांबा, धारौली, झज्जर) मानना है कि जापान, चीन, रूस जैसे विकसित देशों ने अपनी मातृभाषा को महत्त्व दिया है और निरन्तर प्रगतिमान हैं। हिंदी भारत की राजभाषा है, लेकिन अब इसे राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए। वह इसलिए, क्योंकि हिंदी देश के कोने-कोने में स्वीकार्य भाषा है। आज तक उसे यह दर्जा प्राप्त नहीं हो सका है तो यह हमारे नेतृत्व की कमी रही है। राजनीतिक लाभ-हानि का विचार करने के कारण हम इसका फैसला नहीं कर सके। यह बात केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सितंबर 2015 को भोपाल में आयोजित 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन अवसर पर समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुई कही थी। किसी भी राष्ट्र की पहचान उसके भाषा और उसके संस्कृति से होती है। देश की सफलता का कारण वहां की राष्ट्रभाषा और संस्कृति होती है। यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दूसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम माना जाता है। विचारों का आदान-प्रदान किसी भाषा में हो लेकिन भावनाओं को प्रदर्शन करने के लिए अपनी मातृभाषा हिंदी भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। हमें यदि हिंदी भाषा को संजोए रखना है तो इसके प्रचार-प्रसार को बढ़ाना होगा। हिंदी अति सरल और मीठी भाषा हैं’ हम अपनी ‘हिंदी’ भाषा को उचित स्थान नहीं देते हैं अपितु अंग्रेजी जैसी भाषा का प्रयोग करने में गर्व महसूस करते हैं। सरकारी कामकाज में हिंदी को प्राथमिकता देनी होगी। तभी हिंदी भाषा को जिंदा रखा जा सकता है। क्या हमें अंग्रेजी की गुलामी छोड़कर हिन्दी को महत्व नहीं देना चाहिए ?
युद्धवीर सिंह लांबा

admin

Recent Posts

Chandigarh News: डीएसपी बिक्रम सिंह बराड़ की अगुवाई में थाना लालडू में शिकायत निवारण कैंप का किया आयोजन

Chandigarh News: डेराबस्सी डीएसपी बिक्रम सिंह बराड़ की अगुवाई में थाना लालडू में शिकायत निवारण…

4 hours ago

Chandigarh News: पंजाब के राज्यपाल ने प्रयागराज से ऐतिहासिक स्वामित्व योजना कार्यक्रम में लिया वर्चुअली भाग।

Chandigarh News: चंडीगढ़ आज समाज चंडीगढ़ ग्रामीण सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते…

4 hours ago

Chandigarh News: रोड पर बारिश के पानी की निकासी के लिए लगाए गए ढक्कन भी टूटने लगे

Chandigarh News: स्थानीय लोहगढ़ गांव में 2 महीने पहले इंटरलॉक टाइल लगाकर एक सड़क बनाई…

4 hours ago

Chandigarh News: एसडी कॉलेज के जेंडर चैंपियंस क्लब ने जेंडर सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप का किया आयोजन

Chandigarh News: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पहल के…

4 hours ago

Chandigarh News: सड़क सुरक्षा फोर्स तथा फायर ब्रिगेड की समझदारी से टला बड़ा हादसा

Chandigarh News: शनिवार सुबह-सुबह एक कार जीरकपुर के के-एरिया लाइट प्वाइंट पर डिवाइडर से टकरा…

4 hours ago

Chandigarh News: मार्बल मार्केट में लगी आग से चार दुकानें जली

Chandigarh News: चंडीगढ़ के धनास के पास सारंगपुर में भीषण आग लगने का मामला सामने…

4 hours ago