इशिका ठाकुर, करनाल, 1अप्रैल :
सरकार और प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि 1 अप्रैल यानी शनिवार से मंडियों में गेहूं की ख़रीद शुरू हो जाएगी, लेकिन बात अगर मंडियों की करें तो करनाल अनाज मंडी में अभी तक न बारदाना आया है और न ही सरकारी खरीद एजेंसी खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा इंस्पेक्टर नियुक्त किये गए हैं। मंडी में खरीद के इंतजाम भी नाकाफी हैं। अनाज मंडी में व्यवस्थाओं के लिए नियुक्त मंडी सचिव भी गेहूं का सीजन शुरू होने से 2 दिन पहले ही अपना तबादला करवा कर मौके से चलते बने। गेहूं के सीजन से पहले मंडी सचिव का तबादला हो जाना करनाल के लिए कोई नई बात नहीं है। लेकिन जिले के आला अधिकारियों को इससे कुछ भी लेना देना नहीं है। जिनके चलते अनाज मंडी में इस बार भी किसान की परेशानी पढ़ना लाजमी है।
खरीद एजेंसी मंडी में अभी तक नहीं आई: सह सचिव संदीप
मार्केट कमेटी वह सरकारी विभाग है जिसके ऊपर अनाज मंडी में व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है। अनाज मंडी में जब गेहूं की फसल आती है तो किसानों को परेशानी ना हो इसके लिए सुचारू रूप से गेट पास काटने की प्रक्रिया तथा गेहूं की खरीद और उठान का कार्य भी शुरू हो जाना जरूरी होता है। किसानों के लिए पानी के साथ साथ सफाई आदि की भी व्यवस्था मार्केट कमेटी द्वारा की जाती है, लेकिन करनाल मार्केट कमेटी के सह सचिव संदीप बता रहे हैं कि करनाल मार्केट कमेटी में विभाग द्वारा अभी तक किसी भी सचिव की नियुक्ति नहीं की गई है और मार्केट कमेटी कार्यालय में मौजूद सचिन की कुर्सी नए सचिव के आने का इंतजार कर रही है।
मार्केट कमेटी के सह सचिव संदीप ने बताया कि हमने अपनी तरफ से तैयारियां की हुई है लेकिन कोई भी खरीद एजेंसी मंडी में अभी तक नहीं आई । किसानों के लिए भरथना की व्यवस्था है मगर फिलहाल किसानों की गेहूं की फसल में नमी है और ऊपर से मौसम भी खराब है, आज मंडी में तकरीबन 360 कुंटल गेहूं पहुंची हुई है।
अनाज मंडी में गेहूं खरीद के पहले ही दिन 360 क्विंटल गेहूं तो जरूर पहुंची है लेकिन खरीद एजेंसियों द्वारा वातावरण में नमी होने की बात कह कर गेहूं की खरीद करने से अपना पल्ला झाड़ लिया, जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट दिखाई दी क्योंकि अभी तक तो खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा गेहूं की खरीद के लिए विभाग के इंस्पेक्टर की नियुक्त नहीं किए गए हैं, ऐसे में अनाज मंडी में पहुंची गेहूं की फसल की खरीद आखिर करता कौन? अब यदि गेहूं की फसल सरकार द्वारा खरीदी भी जाती तो खरीद की गई गेहूं की फसल को बोरियों में भरा कैसे जा सकता था क्योंकि इसे भरने के लिए आढ़तियों के पास अभी तक विभाग द्वारा बारदाना भी उपलब्ध नहीं करवाया जा सका है। यानी सरकार तथा जिला प्रशासन ने अभी तक जो दावे गेहूं की खरीद को लेकर किए थे वह सभी फेल दिखाई दे रहे हैं यह बात हम नहीं बल्कि खुद सरकारी अधिकारी बता रहे हैं।
प्रशासन और सरकार के दावों को पोल खोल रहे हैं किसान
वहीं किसान मंडी में गेहूं की फसल लेकर आना शुरू हो गए हैं। गेहूं की खरीद के पहले दिन बहुत ज्यादा किसान तो मंडी में फसल लेकर नहीं पहुंचे, क्योंकि बे-मौसमी हुई बरसात के कारण खेतों में गेहूं फसल भीगी हुई है, लेकिन कुछ किसान जरूर मंडी में पहुंचे हैं, जो प्रशासन और सरकार के दावों को पोल खोल रहे हैं।
किसानों का कहना कि हरियाणा सरकार ने कहा था कि 1 तारीख से मंडी में गेहूं की खरीद शुरू होगी हमने अपनी गेहूं की फसल कटवाई और मंडी में लेकर पहुंचे मगर यहां पर कोई भी किसी तरह की खरीद नहीं हुई और हमारी फसल पूरी तरह पक्की हुई है कोई भी नमी नहीं सरकार के सारे मापदंड पूरे करती है मंडी में गेहूं के रखरखाव के लिए उचित व्यवस्था न होने के कारण गेहूं की फसल को खुले में डालना पड़ रहा है, अगर बारिश फिर से हो गई तो फिर नुकसान झेलना पड़ेगा, सरकार को चाहिए कि देरी न करते हुए सब काम जल्दी और अच्छी व्यवस्था से हो।
इस बार करनाल में 22 गेहूं के खरीद केंद्र बनाए गए हैं किसानों को कहा जा रहा है कि गेहूं सुखा कर लाएं ताकि खरीद में परेशानी न हो, लेकिन समस्या ये भी है कि बारिश के कारण गेहूं में नमी अधिक है। सरकार की तरफ से गेहूं का समर्थन मूल्य 2125 रुपए है, वहीं सरकार का दावा ये भी है गेहूं खरीद के 72 घंटे बाद किसानों के खाते में पैसे आ जाएंगे। बहराल अभी व्यवस्था में सुधार की जरूरत है कि जब अन्नदाता मंडी में आए तो उसे परेशानी ना हो।
वहीं मंडी के आढ़ती ने बताया कि आज मंडी में भी आई हुई है हरियाणा सरकार ने आज भेजने के आदेश दिए थे लेकिन हिंदी में अभी तक वहीं प्रशासन अपनी तैयारियां पूरी कर रहा है कुछ गेहूं में नमी भी है अभी तक कोई भी किसी तरह की खरीद शुरू नहीं हुई।
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