बीजिंग। पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम करने और मतभेदों को दूर करने के प्रयासों का चीन ने समर्थन किया था। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग द्वारा पर्दे के पीछे से निभाई गई भूमिका को उजागर करते हुए यह बात कही। पाकिस्तान के जैश-ए-मोहम्मद द्वारा फरवरी में किए गए हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर के खिलाफ हवाई हमले किए थे। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। हवाई हमले के बाद दोनों देशों के बीच 27 फरवरी को हवाई झड़प हुई थी।
पाकिस्तान के एक विमान का पीछा करते हुए भारत का विमान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसके बाद एक भारतीय पायलट को भी पाकिस्तान ने बंदी बना लिया था। पाकिस्तान ने जल्द ही भारतीय पायलट को रिहा करने की घोषणा की और पायलट को भारत को सौंप दिया गया। भारत-पाक तनाव के चरम पर होने के दौरान चीन ने अपने उप विदेश मंत्री कोंग शुयानयू को पाकिस्तान भेजकर धैर्य रखने की सलाह दी थी। सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अखबार ‘पीपुल्स डेली’ को दिए गए साक्षात्कार में वांग ने 2019 में चीन की कूटनीतिक उपलब्धियों में पुलवामा बाद के तनाव और भारत तथा पाकिस्तान के बीच शांति बनाने के प्रयासों का जिक्र किया।
वांग ने कहा, ”भारत- पाकिस्तान संघर्ष के दौरान चीन ने दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने के प्रयासों का समर्थन किया और वार्ता के माध्यम से मतभेदों को दूर करने के प्रयास किए। उन्होंने सीधे तौर पर पुलवामा हमले और उसके बाद के संघर्ष का जिक्र नहीं किया।” उनके साक्षात्कार के प्रतिलेख को मंगलवार (24 दिसंबर) को चीन के विदेश मंत्रालय ने यहां जारी किया। वांग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अक्टूबर में हुए दूसरे अनौपचारिक शिखर सम्मेलन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बैठक से दोनों पक्षों को अपने संबंधों में नियमित विकास का मार्ग बनाने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ”चीन की कूटनीति में इस वर्ष कई विशेषताएं रहीं।” इससे पहले 13 दिसम्बर को ‘2019 में चीन की कूटनीति पर आयोजित संगोष्ठी में वांग ने कहा था कि चेन्नई शिखर सम्मेलन से भारत और चीन के बीच नियमित एवं मजबूत विकास का रास्ता तय करने में मदद मिली।