VPN क्या है? जानें इसके खतरों और फायदे, और भारत में क्या है इसका लीगल स्टेटस!

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VPN क्या है? जानें इसके खतरों और फायदे, और भारत में क्या है इसका लीगल स्टेटस!

VPN: आज के डिजिटल युग में VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) एक जरूरी टूल बन गया है, खासकर साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच। कई इंटरनेट यूजर्स इसे ब्लॉक्ड वेबसाइट्स एक्सेस करने, ऑनलाइन ट्रैकिंग से बचने और डेटा को सिक्योर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन क्या यह पूरी तरह सुरक्षित है? और भारत में VPN का इस्तेमाल लीगल है या नहीं? आइए, इस टेक्नोलॉजी को विस्तार से समझते हैं।

VPN (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) क्या होता है?

VPN एक तकनीक है जो आपके डिवाइस और इंटरनेट के बीच एक एन्क्रिप्टेड टनल बनाती है। यह आपके IP एड्रेस को छुपाकर ट्रैफिक को किसी रिमोट सर्वर के जरिए रूट करता है, जिससे आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।

VPN का मुख्य उद्देश्य:

  • प्राइवेसी और सिक्योरिटी बढ़ाना
  • जियो-रेस्ट्रिक्शन्स को बायपास करना
  • ब्लॉक की गई वेबसाइट्स को एक्सेस करना
  • पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क पर डेटा को सुरक्षित रखना

VPN के फायदे

बेहतर ऑनलाइन सिक्योरिटी – VPN आपके डेटा को एन्क्रिप्ट करके साइबर अटैक्स और हैकिंग से बचाता है।

प्राइवेसी और गुमनामी – यह आपके असली IP एड्रेस को छुपाता है, जिससे गवर्नमेंट एजेंसियां और ट्रैकर्स आपकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर नहीं रख पाते।

जियो-रेस्ट्रिक्शन्स को बायपास करना – नेटफ्लिक्स, यूट्यूब और अन्य रीजन-लॉक्ड कंटेंट को एक्सेस करने में मदद करता है।

पब्लिक वाई-फाई पर सुरक्षित ब्राउज़िंग – खुले नेटवर्क पर डेटा लीक होने से बचाता है।

ISP थ्रॉटलिंग से बचाव – इंटरनेट स्पीड को धीमा करने वाले प्रतिबंधों को बायपास करने में मदद करता है।

VPN के नुकसान

इंटरनेट स्पीड पर असर – एन्क्रिप्शन और रीरूटिंग की वजह से नेटवर्क स्पीड धीमी हो सकती है। कई फ्री VPN सेवाएं आपका डेटा ट्रैक और स्टोर कर सकती हैं या थर्ड-पार्टी को बेच सकती हैं। कुछ वेबसाइट्स VPN को ब्लॉक करती हैं – नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और कई सरकारी वेबसाइट्स VPN यूज़र्स को एक्सेस ब्लॉक कर सकती हैं।

प्रीमियम VPN की कीमत – सुरक्षित और तेज VPN सेवाओं के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। गुमनामी की पूरी गारंटी नहीं – VPN प्राइवेसी बढ़ाते हैं लेकिन पूरी तरह गुमनामी की गारंटी नहीं देते, क्योंकि वेबसाइट्स कुकीज़ और फिंगरप्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से ट्रैक कर सकती हैं।

क्या भारत में VPN लीगल है?

भारत में VPN का उपयोग पूरी तरह से लीगल है। लेकिन, 2022 में लागू किए गए नए नियमों के तहत, भारत में काम करने वाले VPN प्रोवाइडर्स को कम से कम 5 साल तक यूजर डेटा (IP एड्रेस, ब्राउजिंग एक्टिविटी आदि) स्टोर करना होगा।

इस नियम के चलते कई बड़े VPN प्रोवाइडर्स (ExpressVPN, NordVPN, ProtonVPN) ने भारत में अपने सर्वर बंद कर दिए हैं। अगर VPN का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों (हैकिंग, साइबर क्राइम, फ्रॉड) के लिए किया जाता है, तो यह भारतीय कानून के तहत अपराध माना जाएगा।