Aaj Samaj (आज समाज), Western Disturbance, नई दिल्ली: पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण उत्तर भारत के पहाड़ों व मैदानी इलाकों में इन दिनों जहां बार-बार मौसम खराब होने से भीषण गर्मी से राहत है, वहीं देश के अधिकतर भागों में प्रचंड गर्मी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है और अब भी इन जगहों पर गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं।
- रोहतांग और किन्नौर में फिर हिमपात
अप्रैल में सबसे अधिक दिन तक लू चली
देश के ज्यादातर इलाकों में अप्रैल में सबसे अधिक दिन तक लू चली। मई में गर्मी अभी और सताएगी। उधर 4 और 5 मई को एक नए पश्चिमी विक्षोभ के फिर सक्रिय होने का अनुमान है और इसके प्रभाव से हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी का येलो अलर्ट जारी किया है। इस बीच बुधवार को रभी प्रदेश के रोहतांग और किन्नौर में फिर बर्फबारी हुई, वहीं लाहौल व कुल्लू में जमकर बारिश हुई।
बर्फबारी के कारण जलोड़ी दर्रे में वाहनों की आवाजाही ठप
बर्फबारी के कारण जलोड़ी दर्रे में वाहनों की आवाजाही ठप रही। राजधानी शिमला समेत अन्य क्षेत्रों में बुधवार को दिन भर धूप खिली रही। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, शुक्रवार को प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में मौसम साफ रहने का अनुमान है। इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते शनिवार से हिमाचल में मौसम करवट ले सकता है।
अप्रैल में दो दौर में चली लू : आईएमडी
मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अप्रैल में 5 से 7 और फिर 15 से 30 तारीख के बीच दो दौर में लू चली। औसत अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में अप्रैल में औसत न्यूनतम तापमान 28.12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 1901 से दर्ज किए जा रहे तापमान में यह पहला मौका था कि इन क्षेत्रों में अप्रैल में इतना अधिक न्यूनतम तापमान रहा। उन्होंने यह भी बताया कि 1980 के दशक के बाद से दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान आम हो गया है।
आंधी, बारिश व ओलावृष्टि की वजह पश्चिमी विक्षोभ, देश में मई में सामान्य बारिश का अनुमान
आईएमडी के मुताबिक, पांच सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से उत्तर और मध्य भारत में अप्रैल में नियमित अंतराल पर आंधी-तूफानों के साथ बारिश व ओलावृष्टि होती रही। मई में देशभर में सामान्य बारिश (दीर्घकालिक औसत के 91-109 फीसदी तक) होने का अनुमान है। उत्तर पश्चिम भारत, मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों, प्रायद्वीपीय और पूर्वोत्तर भारत के अधिकतर हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है।
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