नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
साप्ताहिक जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में चल रहे साप्ताहिक जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन की शुरुआत सरस्वती वंदना, दीप प्रज्ज्वलन और कुलगीत के साथ हुई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कार्यक्रम से सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। कार्यक्रम के समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता श्रीवास्तव और विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण कार्यक्रम संयोजक डॉ. वी.एन. यादव द्वारा दिया गया। अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ, परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक और शांति कार्यकर्त्ता डॉ. सुमित दत्ता ने कार्यक्रम की शरुआत हमारे जीवन में मानसिक स्वास्थ्य, तनाव, कल्याण, जैव-मनो-सामाजिक मॉडल और जीवन कौशल की प्रासंगिकता को समझाते हुए किया। इसके साथ उन्होंने कार्यक्रम के प्रत्येक दिन व्यक्तिगत अभ्यास, समूह कार्य और बड़ा समूह प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रतिभागियों को स्वयं और दूसरे लोगों के जीवन में चल रहे दैनिक समस्याओं से कैसे निपटना है, खुद को कैसे आशावादी बनाना है, कैसे वातावरण में चल रहे संघर्षों, साथ ही साथ व्यक्तिगत मानसिक संघर्षों को ख़त्म करके एक स्वस्थ मानसिक व सामाजिक वातारण कैसे तैयार करें आदि-आदि की सामान्य जानकारी प्रदान की।
जीवन कौशलों का प्रशिक्षण भी दिया
डॉ. सुमित दत्ता ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मुख्य रूप से निर्धारित 10 जीवन कौशलों- आत्म-जागरूकता,संचार कौशल, संवेग प्रबंधन, समानुभूति, सम्बन्ध, समस्या समाधान, सृजनात्मकता, महत्वपूर्ण सोच कौशल, निर्णय लेना और तनाव प्रबंधन को विस्तारपूर्वक समझाया और प्रतिभागियों से अंतःक्रियात्मक सत्रों के माध्यम से उनको इन सभी जीवन कौशलों का प्रशिक्षण भी दिया। उन्होंने बताया कि ये 10 जीवन कौशल किस तरह यूनाइटेड नेशन द्वारा निर्धारित 17 सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। एनर्जाइजर अभ्यास और व्यक्तिगत अभ्यास की मदद से आत्म-चिंतन के माध्यम से आत्म-जागरूकता का बहुत ही प्रभावकारी प्रशिक्षण प्रतिभागियों को दिया। सभी प्रतिभागियों ने आत्मसंप्रत्यय से सम्बंधित स्वॉट एनालिसिस और जोहारी विंडो संकल्पना को व्यक्तिगत क्रियाकलाप के माध्यम से सीखा।
जीवन कौशलों का उपयोग करके दूसरे लोगों की मदद करे
डॉ. दत्ता ने अनेक विश्वप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों सिग्मंड फ्रायड, जीन पियाजे, कोहलबर्ग, इरिक्सन, रोजर्स, मैसलो आदि के सिद्धांतों की मदद से प्रतिभागियों को विकासात्मक जीवन अवधियों के दौरान उत्पन्न समस्याओं, किशोरों की समस्याओं, अतार्किक विचार, विकृत सोच, भावना अस्थिरता, खराब निर्णय लेना, दुर्भावनापूर्ण व्यवहार इत्यादि से अवगत कराकर उससे सम्बंधित जीवन कौशलों का प्रशिक्षण दिया और उन्होंने आगे बताया कि प्रतिभागी इन जीवन कौशलों का उपयोग करके किस प्रकार से अपनी और दूसरे लोगों की मदद करके जीवन को सहज, उन्नत, उपयोगी, और उत्पादक बना सकते हैं। इस कार्यक्रम की एक खास बात यह थी कि यह कार्यक्रम केवल एक ही विशेषज्ञ व वक्ता द्वारा संचालित किया गया, जो प्रतिभागियों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक रहा क्योंकि डॉ. दत्ता ने न केवल जीवन कौशलों से प्रशिक्षित किया बल्कि वास्तविक जीवन के उदाहरणों के माध्यम से बीच-बीच में प्रेरित भी किया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रदीप कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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