इस जगह रखे हैं karan kavach Kundal, नहीं पहुंच सकता कोई भी इंसान

महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में कर्ण एक विशेष स्थान रखते हैं और उनके कवच और कुंडल से जुड़ी कई रहस्यमयी कथाएँ प्रचलित हैं।

कर्ण को उनके कवच और कुंडल वजह से उन्हें युद्ध में पराजित करना लगभग असंभव था।

देवराज इन्द्र अर्जुन के पिता ने कर्ण से छल के माध्यम से उनके कवच और कुंडल प्राप्त किए।

देवराज इन्द्र अर्जुन के पिता ने कर्ण से छल के माध्यम से उनके कवच और कुंडल प्राप्त किए।

इन्द्र का ऐसा करना अर्जुन की विजय सुनिश्चित करने की एक योजना थी।

कवच-कुंडल त्यागने के बाद कर्ण युद्ध में असुरक्षित हो गए, और अंततः अर्जुन द्वारा उनका वध हो गया।

 इन्द्र ने जब इन कवच-कुंडल को प्राप्त किया, तो उन्हें स्वर्ग में प्रवेश नहीं मिल सका, क्योंकि ये उन्हें छल से प्राप्त हुए थे।

इनकी सुरक्षा का दायित्व सूर्य देव और समुद्र देव पर छोड़ दिया।

कथा के अनुसार, ये कवच-कुंडल आज भी वहां सुरक्षित हैं, और कोई भी साधारण व्यक्ति इन तक नहीं पहुँच सकता।