आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(Weather February 17 Update): दिल्ली-एनसीआर में आज से 20 फरवरी तक हल्की बारिश होने का अनुमान है। वहीं उत्तराखंड सहित उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में एक बार फिर बर्फबारी हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार पहाड़ों में ताजा बारिश हुई भी है और इसके कारण मैदानी इलाकों में भी दोबारा मौसम बदलने से लोग फिर सर्दी महसूस कर रहे हैं।
- देश में सक्रिय है पश्चिमी जेट वायु धारा
- तेजी से बढ़ रहा तापमान चिंता का विषय
- हिमस्खलन और हिमखंड पिघलने का डर
- उत्तराखंड में व्यापक असर की आंशका
विभाग का कहना है कि देश में पश्चिमी जेट वायु धारा सक्रिय है और इसके कारण मौसम करवट ले रहा है। खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान में अप्रत्याशित बढ़ोतरी होने का अनुमान है। जिससे हिमखंड पिघलने और हिमस्खलन की आशंका है।
पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली-एनसीआर में बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली एनसीआर में दो दिन तक हल्की बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी के अनुसार आज हल्की बारिश के साथ दिन भर बादल छाए रहेंगे। शीतलहर की कोई संभावना नहीं है। सफर इंडिया के अनुसार राजधानी में एयर इंडेक्स ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच सकता है।
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उत्तराखंड में 5 दिन में तापमान में अत्यधिक वृद्धि का अलर्ट
उत्तराखंड में मौसम की बढ़ती बेरुखी पर मौसम विज्ञानियों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि शीतकाल में लगातार बारिश में कमी के बाद अब तेजी से बढ़ रहा तापमान चिंता का विषय है। प्रदेश में अभी गर्मी महसूस होने लगी है।
मौसम विभाग ने अगले पांच दिन में राज्य के तापमान में अत्यधिक वृद्धि का अलर्ट जारी किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार जेट स्ट्रीम का उत्तराखंड में भी व्यापक असर पड़ने की आंशका है।
मानसून खत्म होने के बाद से उत्तराखंड का मौसम शुष्क
उत्तराखंड में अक्टूबर में ही मानसून की विदाई हो गई थी और उसके बाद से राज्य बारिश को तरस रहा है। शीतकाल में प्रदेश में औसत बारिश में 70 प्रतिशत से ज्यादा की कमी दर्ज की गई। बारिश व हिमपात कम होने से दिसंबर-जनवरी में भी सामान्य से कम ठंड रही है और ज्यादातर समय वातावरण शुष्क रहा।
जानिए क्या होती है जेट वायु धारा
जेट स्ट्रीम या जेट वायु धाराएं परी वायुमंडल में विशेषकर समताप मंडल में तेज गति से प्रवाहित होने वाली हवाएं हैं। इसकी प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह ही निश्चित होती हैऔर यह भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक है। यह दो प्रकार की होती है, पश्चिमी जेट स्ट्रीम और पूर्वी जेट स्ट्रीम।
पश्चिमी जेट स्ट्रीम स्थायी जेट स्ट्रीम है। इसका आंशिक प्रभाव वर्षभर रहता है। इसके प्रवाह की दिशा मुख्य रूप से पश्चिम और उत्तर भारत से दक्षिण की ओर रहती है और यह शीतकाल में शुष्क हवाओं के लिए उत्तरदायी है। सतह पर गर्म हवाओं से बनने वाला निम्न दबाव क्षेत्र तापमान वृद्धि का कारण है। पूर्वी जेट स्ट्रीम की दिशा दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमोत्तर भारत की ओर है। यह अस्थायी प्रवाह है और इसका असर वषार्काल में ही दिखता है।
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