Aaj Samaj (आज समाज), We Women Want, नई दिल्ली: वी वूमेन वांट के इस सप्ताह के शो में हम ग्रे जोन में चलेंगे और पूछेंगे कि क्या लिंगभेद का महिलाएं ही हमेशा शिकार होती हैं और पुरुष शिकारी। लिंग भेद कई बार दूसरे तरीके से भी काम करता है जिसमें महिलाएं कानून की खामियों का फायदा उठाती हैं जिसमें कुछ पुरुष शिकार बन जाते हैं।
पैनल में शाजिया इल्मी व एक लैंगिक कार्यकर्ता शामिल
इस बार के पैनल में शाजिया इल्मी, भाजपा नेता और एक लैंगिक कार्यकर्ता, भारत के कानून कार्यालयों में प्रबंध साझेदार अलकनश्री धर और वृत्तचित्र फिल्म निमार्ता और कार्यकर्ता दीपिका भारद्वाज भी शामिल रहेंगी।
दहेज कानूनों का गलत इस्तेमाल
वहीं दीपिका ने मंच से उन सर्वेक्षणों की ओर भी इशारा किया जो महिलाओं को दलित के रूप में दिखाते हैं और पीड़ित पुरुषों का सर्वेक्षण नहीं करते। ऐसे भी मामले पाए गए हैं जहां महिलाएं सास सहित अपने ससुराल वालों के साथ बदला लेने के लिए दहेज कानूनों का इस्तेमाल करती हैं।
महिलाओं के पास विकल्प
इसके अतिरिक्त मंच पर ही शाजिया बताती हैं कि हिजाब प्रश्न जैसे कुछ मामलों में ऐसा प्रतीत हो सकता है कि महिलाओं के पास एक विकल्प है, लेकिन मान लीजिए कि वह इसे पहनने का विकल्प चुनती है तो उसे बहिष्कृत होने या कम से कम समाज द्वारा लेबल किए जाने का खतरा होता है। वहीं इस दौरान अलकनश्री ने भी कानून के बारे में चर्चा की।
वी वूमेन वांट एक साप्ताहिक शो
वी वूमेन वांट एक साप्ताहिक शो है जोकि महिलाओं सहित कई मुद्दों पर केंद्रित है। इसका संचालन आईटीवी नेटवर्क की सीनियर कार्यकारी संपादक प्रिया सहगल द्वारा किया जाता है। शो में बॉडी शेमिंग, घरेलू हिंसा, महिलाओं की मदद करने वाले कानून (और जो नहीं करते हैं), महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर प्रजनन, मासिक धर्म, स्तन कैंसर और आईवीएफ, एसिड अटैक सर्वाइवर्स, घरेलू हिंसा वाले मुद्दों से निपटा गया है। यह शो तेजी से महिलाओं के लिए एक सहायता समूह बनता जा रहा है।
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