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Wayanad Landslide Study Report: विनाशकारी भूस्खलन की वजह जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण की अनदेखी, 30 सबसे ज्यादा भूस्खलन वाले जिलों में 10 केरल में

Climate Change The Reason Wayanad Landslide, (आज समाज), नई दिल्ली: केरल के वायनाड जिले में हुए विनाशकारी भूस्खलन की वजह जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण की अनदेखी है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र ने गत वर्ष भूस्खलन का एक मानचित्र जारी किया था। इसके मुताबिक देश के 30 सबसे ज्यादा भूस्खलन वाले जिलों में से 10 जिले केरल में हैं, जिनमें वायनाड 13वें स्थान पर है।

देश में इन जगह भूस्खलन का खतरा

स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी घाट और कोंकण पहाड़ियों (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र) में 0.09 मिलियन वर्ग किमी क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा है। विशेषतौर पर केरल में बहुत अधिक जनसंख्या के कारण पश्चिमी घाट के निवासियों के घरों का घनत्व अधिक महत्वपूर्ण है। स्टडी में कहा गया है कि केरल में सभी भूस्खलन वाले संवेदनशील केंद्र पश्चिमी घाट क्षेत्र और इडुक्की, एर्नाकुलम, कोट्टायम, वायनाड, कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में केंद्रित थे। राज्य में कुल भूस्खलन का 59% वृक्षारोपण वाले क्षेत्रों में हुआ।

वायनाड में 62 फीसदी जंगल गायब

वायनाड में घटते वन क्षेत्र पर 2022 में भी एक अध्ययन किया गया था, जिससे पता चला था कि 1950 और 2018 के बीच जिले में 62 फीसदी जंगल गायब हो गए। इंटरनेशनल जर्नल आॅफ एनवायरनमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि वायनाड के कुल क्षेत्र के करीब 85 फीसदी हिस्से में 1950 के दशक में वन क्षेत्र था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन से पश्चिमी घाट में भूस्खलन की संभावना बढ़ रही है। यह दुनिया के जैव विविधता के आठ सबसे गर्म हॉटस्पॉट है।

अरब सागर के गर्म होने से बन रहे गहरे बादल

कोचीन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एडवांस्ड सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रडार रिसर्च के निदेशक एस. अभिलाष का कहना कि अरब सागर के गर्म होने से गहरे बादल बन रहे हैं, जिससे केरल में थोड़े समय में अत्यधिक भारी बारिश हो रही है। साथ ही भूस्खलन की संभावना बढ़ रही है। अभिलाष ने कहा, हमारे शोध के अनुसार दक्षिण पूर्व अरब सागर गर्म हो रहा है, जिससे केरल सहित इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल अस्थिर हो गया है। यह वायुमंडल की अस्थिरता गहरे बादल बनने में मदद करती देती है। इससे पहले मंगलौर में उत्तरी कोंकण बेल्ट में ऐसी बारिश आम थी।

Vir Singh

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