Wayanad Lok Sabha By-Election, अजीत मेंदोला, (आज समाज), नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की वायनाड में अपने भाई राहुल गांधी से ज्यादा बड़ी जीत हासिल करने के मंसूबों पर पानी फिरता दिख रहा है। अगर ऐसा होता है तो प्रियंका समर्थकों के साथ कांग्रेस के लिए भी अच्छी खबर नहीं होगी। वहीं कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल की भी मुश्किलें बढ़ेंगी, क्योंकि अभी तक वही कर्ताधर्ता रहे हैं।
प्रियंका परिणामों से खुश नहीं होगी और वह जीत के बाद केरल में सीधा दखल रखेगी।इस चुनाव परिणाम का 2026 के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ सकता है। प्रचार के मामले में तो प्रियंका ने अपने भाई को काफी पीछे छोड़ दिया था।लगातार रैली, रोड शो,नुक्कड़ सभाएं,पत्राचार मतलब 23 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करने से लेकर प्रचार बंद होने तक प्रियंका ने वायनाड पर ही पूरा फोकस रखा।चुनाव वाले राज्यों में प्रचार तो दूर पार्टी को जिताने की कोई अपील भी नहीं की।
13 नवंबर को वायनाड वोट पड़ने के बाद जरूर महाराष्ट्र का दौरा किया।प्रियंका की बड़ी जीत के लिए कांग्रेस के सभी पावर सेंटरों ने वायनाड में प्रचार भी किया।उनके बड़े भाई और पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने दो रोड शो और जनसभाओं को संबोधित कर अपनी बहन को जिताने की अपील की।राहुल वहां पर चार दिन गए।पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने भी दौरा कर वोट देने की अपील की।वेणुगोपाल तो गांधी परिवार के साथ हर फोटो में दिखे,वोट दिलवा पाएंगे कहना मुश्किल है।
प्रियंका की मां सोनिया गांधी, प्रियंका के पति राबर्ट वाड्रा,बेटा रेहान भी वायनाड पहुंचे।राहुल ने अपने भांजे रेहान के साथ अपने एक्स में पोस्ट कर एक मैसेज भी दिया।इतना सब होने के बाद भी वायनाड से मतदान के बाद जो रिपोर्ट आ रही हैं वह प्रियंका और कांग्रेस के हिसाब से ठीक नहीं है। चुनाव जीतने को लेकर तो कोई आशंका नहीं है,लेकिन जीत का नया रिकॉर्ड भी नहीं बनता दिख रहा है।हो सकता जीत का अंतर काफी कम हो जाए। अगर ऐसा होता है तो केरल की राजनीति पर असर पड़ेगा।पिछला विधानसभा का चुनाव कांग्रेस हार चुकी है।
आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब कांग्रेस गठबंधन वहां पर लगातार दूसरी बार चुनाव हारा। 2021 के विधानसभा चुनावों में सरकार नहीं बना पाने से कांग्रेस को झटका लगा था। वामदलों का गठबंधन पहली बार अपनी सरकार रिपीट कराने में सफल रहा था। पूरे भारत में कांग्रेस एक मात्र केरल से ही जीत की उम्मीद करती थी,लेकिन हार ने कई सवाल खड़े कर दिए।बीते पांच सालों में देश के साथ केरल की भी राजनीति बदली। इस साल हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी एक सीट जीतने में सफल रही।प्रदेश में बीजेपी का जनाधार बढ़ रहा है।जो कहीं ना कहीं होने वाले विधानसभा चुनावों में असर डालेगा।
यही वामदलों की चिंता है।क्योंकि बीजेपी का असल वोटर हिंदू है।बीजेपी उसी को टारगेट भी कर रही है।वायनाड संसदीय सीट के तहत आने वाले कोझिकोड जैसे जिले में बीजेपी ने अपना जनाधार बनाया भी है।संघ सालों से केरल को फोकस किए हुए।अगर बीजेपी ने हिंदू वोटरों को साधा तो बाकी अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस और वामदलों के गठबंधन के बीच बंटेगा।कांग्रेस और मुस्लिम लीग का गठबंधन पहले से है।इसके साथ दूसरे मुस्लिम संगठन भी अपने हिसाब से फैसले करते हैं।वामदल अब इस कोशिश में जुट गए हैं कि किसी तरह हिन्दू वोटरों को साधा जाए।
इसके लिए कांग्रेस उनके निशाने पर है।वामदल इसी कोशिश में है कि कांग्रेस को को किसी तरह से कमजोर किया जाए।इसके लिए वह कांग्रेस को मुस्लिम समर्थक बताने से नहीं चूक रही।वायनाड चुनाव के समय केरल के सीएम पी विजयन ने कांग्रेस पर जमात का साथ लेने का आरोप लगाया भी।इसके साथ विजयन ने खुद अपने प्रत्याशी के लिए पूरी ताकत लगाई है।यही नहीं वक्फ बोर्ड के जमीन कब्जाने को लेकर भी ईसाई समुदाय भी कांग्रेस से छिटका है।वामदल ने इसे मुद्दा भी बनाया है।
प्रियंका के लिए चिंता का विषय इसलिए है कि क्योंकि वायनाड में मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट आई है।2009 में वायनाड सीट का गठन हुआ था तब से लेकर अब तक जितने चुनाव हुए हैं उनमें सबसे कम वोटिंग 65% इस बार हुई।उनके भाई जब दो बार चुनाव जीते तो पहली बार में 2014 में 80% और 2024 में 73% वोटिंग हुई थी।इससे साफ है कि प्रियंका गांधी की जीत का अंतर इस बार मामूली हो सकता है।
प्रियंका के लिए यह बड़ा झटका होगा।क्योंकि उनकी कोशिश यही थी कि बड़ी जीत हासिल कर वह लोकसभा में प्रवेश करे।लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। और कोई मंथन करे ना करे प्रियंका जरूर मंथन करेंगी। उनके निशाने पर केरल के ही रहने वाले संगठन महासचिव वेणुगोपाल आ सकते हैं।
कहीं ना कहीं कांग्रेस की अंदर की राजनीति भी गर्मा सकती है।क्योंकि इस चुनाव के बाद केरल में होने वाले विधानसभा चुनावों की राजनीति शुरू हो जाएगी।अभी तक वेणुगोपाल ही प्रभावशाली थे क्योंकि वह राहुल के सबसे करीबी माने जाते हैं।अब प्रियंका के वहां से सांसद बनने के बाद केरल की राजनीति उनके इर्दगिर्द घूमेगी।वेणुगोपाल विरोधी सीधे उनके साथ जुड़ेंगे।मतलब कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में तो ठीकठाक खींचतान शुरू होगी।जिसका असर केरल चुनाव पर भी पड़ सकता है।
वामदलों के साथ कांग्रेस के संबंधों में ठकराव बढ़ेगा।क्योंकि वामदलों के पास अब एक मात्र केरल ही बचा हुआ है जिसे वह खोना नहीं चाहेंगे।दूसरी तरफ कांग्रेस की एक मात्र उम्मीद केरल से ही है।वामदल भले ही इंडिया गठबंधन के घटक दल हैं और कांग्रेस के साथ केंद्र में खड़े दिखाई भी देते हैं।लेकिन केरल की राजनीति अब बदलती दिख रही है।वामदल जानते हैं कि कांग्रेस का असर देशभर में खत्म सा होता जा रहा है,ले दे कर कांग्रेस को केरल ही सुरक्षित लगता है।केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन से लेकर तमाम नेता बार बार गांधी परिवार को हिदायत दे चुके हैं कि अगर आप को बीजेपी से लड़ाई लड़नी है तो उत्तर भारत की सीट से चुनाव लड़ चुनौती दें। वामदल गठबंधन अब कांग्रेस से सीधे भिड़ेगा।