• 16 सदस्यों ने पक्ष में डाला वोट, 11 ने विरोध में किया मतदान
  • संशोधनों ने विपक्ष की चिंताओं को दूर किया : जेपीसी अध्यक्ष

JPC On Waqf Bill, (आज समाज), नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने आज 16-11 बहुमत के बाद मसौदा रिपोर्ट को अपनी स्वीकृति दे दी। मतलब जेपीसी के 16 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में वोट डाला और 11 ने इसके विरोध में मतदान किया। विपक्षी सांसदों ने रिपोर्ट पर अपनी असहमति जताते हुए कहा है कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशें संविधान की भावना के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने कहा, भाजपा सांसदों की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया, जबकि उनकी सिफारिशों को खारिज कर दिया गया।

विपक्षी सांसदों ने ये लगाए आरोप

विपक्षी दलों के सांसदों ने यह भी आरोप लगाया है कि समिति में शामिल बीजेपी के सदस्यों ने उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया। विपक्षी सांसदों ने कहा कि उन्हें मंगलवार शाम को 655 पन्नों की रिपोर्ट मिली और इसका अध्ययन व सिफारिशें करने का उन्हें समय ही नहीं मिला। उधर समिति अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता जगदंबिका पाल का कहना है कि समिति द्वारा मंजूर किए गए कई संशोधनों ने विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को दूर किया है।

वक्फ बोर्डों को नष्ट कर देगा प्रस्तावित कानून

जगदंबिका पाल ने कहा कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों को अधिक कुशलता से काम करने में मदद करेगा। विधेयक को आगामी बजट सत्र में संसद में फिर से पेश किए जाने के सवाल पर जगदंबिका पाल ने कहा कि यह अध्यक्ष को तय करना है। समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने यह भी कहा कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों को नष्ट कर देगा व इसके कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 66 संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, जिनमें से 23 बीजेपी के सांसदों ने और 44 विपक्ष ने प्रस्तावित किए थे।

वक्फ के पक्ष में नहीं विधेयक : ओवैसी

एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, वक्फ (संशोधन) विधेयक वक्फ के पक्ष में नहीं है। मैं शुरू से ही कह रहा हूं कि बीजेपी ने यह विधेयक मुसलमानों के खिलाफ लाया है। इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों को नुकसान पहुंचाना और मस्जिदों को जब्त करना है। उन्होंने कहा कि जब यह विधेयक संसद में लाया जाएगा, तो हम वहां भी इसका विरोध करेंगे। अगर हिंदू, सिख और ईसाई अपने बोर्ड में अपने धर्म के सदस्य रख सकते हैं, तो मुस्लिम वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य कैसे हो सकते हैं?

जानें विपक्षियों में से किसने क्या कहा

कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि पैनल द्वारा समर्थित संशोधन असंवैधानिक थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है। इस रिपोर्ट में कई आपत्तियां और सुझाव शामिल नहीं किए गए। सरकार ने अपनी मर्जी के मुताबिक रिपोर्ट बनाई है। तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि समिति की सिफारिशें पूरी तरह से विकृत हैं। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन संविधान के खिलाफ हैं। डीएमके सांसद ए राजा ने कहा कि उन्हें कल रात 10 बजे 650 पन्नों की मसौदा रिपोर्ट मिली। संसद सदस्यों से रातों-रात असहमति नोट देने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

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