उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व से लेकर मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ तक क़रीब दस दिनों से समुद्र मंथन में जुटा है। लगातार बैठकों का सिलसिला चला, सलाह-सुझाव मांगे गए, फीडबैक जाना गया और अभी तक नतीजों का इंतजार है। बैठकों की दौर यूपी की राजधानी लखनऊ से खत्म होकर अब दिल्ली की ओर बढ़ गया है। दिल्ली में संघ व भाजपा के बड़े नेताओं की बैठक में यूपी के मंथन से निकले विष या अमृत का परीक्षण कर उसकी उपयोगिता या अनुपयोगिता के आधार पर कोई अंतिम फैसला होगा।
दरअसल साल 2024 के आम चुनावों से पहले फ़रवरी 2022 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और उसे न केवल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के लिए बड़ी परीक्षा माना जा रहा है बल्कि सेमीफाइनल कहा जा रहा है।
यूपी में हाल ही में संपन्न पंचायत चुनाव और कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में दिखी नाकामयाबी से उपजे जनता के गुस्से ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को उसके लिए अहम इस सबसे बड़े प्रदेश को लेकर सोचने को मजबूर कर दिया। केंद्रीय नेतृत्तव को तो हाल में पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों ने भी बड़ा झटका दिया है।
भाजपा के लिए देश में सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट के बाद काफी कुछ बदल चुका है। दिल्ली फतेह में सबसे बड़ा किरदार निभाने वाले इस सूबे में सरकार से लेकर संगठन की दिशा व दिशा ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल रखा है। दो दिनों से यूपी की राजधानी में केंद्रीय नेतृत्व के मंत्रियों व संगठन के आलाधिकारियों के साथ चले मंथन ने चिंता को और गहराने का काम किया है। भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और यूपी के प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव राधामोहन सिंह ने तीन दिन की बैठकों का दौर समाप्त किया है। यों तो बैठक कोरोना संकट में सेवा कार्यों, आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तय करने के साथ पंचायत चुनावों की समीक्षा के लिए बतायी गयी पर इसमें शामिल किए गए लोगों और तौर तरीकों से साफ हो गया है कि सर्जरी बड़ी करने की तैयारी है। आने वाले दिनों में यूपी मंत्रिमंडल में परिवर्तन से लेकर संगठन में नए चेहरे तक नजर आ सकते हैं।
इससे पहले यूपी संकट को लेकर आरएसएस के नए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने दिल्ली में पहले प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, जे पी नड्डा और यूपी प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ मुलाक़ात की। फिर लखनऊ में होसबोले ने संघ के प्रांत और क्षेत्रीय प्रचारकों और कुछ अन्य नेताओं से फीडबैक लिया तो बंसल ने बीजेपी नेताओं के साथ बैठकें कीं।
बीएल संतोष और राधामोहन सिंह ने यूपी के उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा से अकेले में बात की। बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनो उप मुख्यमंत्रियों की कही गयी छोटी छोटी बातों को भी नोट किया गया और उन्हें अलग अलग 40 मिनट का समय दिया गया। इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और यूपी के संगठन महामंत्री सुनील बंसल को भी कमरे से बाहर रखा गया। हालांकि बैठक के बाद न तो दोनो उप मुख्यमंत्रियों और न ही केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ कहा बल्कि सेवा कार्यों व कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के तौर तरीकों पर बात होने की बात ही दोहरायी। तीसरी लहर और सेवाकार्यों पर हो रही बातों को गोपनीय रखने और स्वतंत्रदेव व सुनील बंसल को भी न शामिल करने जैसे सवालों के जवाब नहीं दिए गए।
बैठक से निकल कर केशव प्रसाद मौर्य ने जरुर कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा 300 के पार होगी। यह वही नारा है जो 2017 के विधानसभा चुनावों में मौर्य ने यूपी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए दिया था। केशव प्रसाद मौर्य के नारे और आत्मविश्वास से इतना साफ हो गया है कि वह केंद्रीय नेतृत्व के भरोसेमंद बने हुए हैं और भविष्य में गठन अथवा चुनाव संचालन में कुछ नयी जिम्मेदारी भी पा सकते हैं। दूसरे उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने तो बदलाव की संभावना जैसे सवालों को दरकिनार कर दिया।
भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने यूपी के 12 मंत्रियों से अकेले में बात की और ये सभी अलग-अलग क्षेत्र व जातियों से संबंध रखते थे। इनमें महेंद्र सिंह, ब्रजेश पाठक, स्वामी प्रसाद मौर्य, जय प्रताप सिंह, सुरेश खन्ना, स्वामी प्रसाद मौर्य और सतीश दिवेदी शामिल थे। हाल ही में अपने भाई की ईडब्लूएस कोटे से नियुक्ति व मंहगी जमीने सस्ते दरों पर खरीदने को लेकर चर्चा में आए सतीश दिवेदी को मीडिया के सवालों से बचाने के लिए पिछले दरवाजे से अंदर बुलाया गया और वहीं से उन्हें निकल…
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