Voice of the Global South Summit: मोदी बोले-आज गंभीर खतरे बन गए हैं आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद

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Voice of the Global South Summit पीएम मोदी बोले-आज आतंकवाद, अलगाववाद और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर वैश्विक खतरे
Voice of the Global South Summit : पीएम मोदी बोले-आज आतंकवाद, अलगाववाद और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर वैश्विक खतरे

PM Modi Address Voice of the Global South Summit, (आज समाज), नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वॉयस आफ ग्लोबल साउथ समिट को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोविड के बाद दुनिया अनिश्चितता से जूझ रही है। आज आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरे बन गए हैं और ऐसे में पिछले दशक में स्थापित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान आज के मुद्दों से निपटने में कम पड़ गए हैं।

बता दें कि भारत वर्चुअल प्रारूप में वॉयस आफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी कर रहा है, जिसमें वैश्विक दक्षिण के देशों को एक मंच पर विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करने के लिए एक साथ लाने की परिकल्पना की गई है। शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा, 2022 में जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली, तो हमने जी20 को एक नया ढांचा देने का संकल्प लिया।

हमने समावेशी और विकासोन्मुखी दृष्टिकोण के साथ जी20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था जब अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता मिली। पीएम ने संघर्षों और अन्य चिंताओं के बीच मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में अनिश्चितता पर प्रकाश डाला और कहा कि वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान आज की चुनौतियों से निपटने में ‘अक्षम’ रहे हैं।

उन्होंने कहा, दुनिया कोविड के प्रभाव से अब भी पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। अब भी पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है। दूसरी ओर, युद्ध की स्थितियों ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। मोदी ने कहा, हम जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना कर रहे हैं और अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां भी हैं।

भारत के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन पर आधारित यह आयोजन प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण का विस्तार है। उन्होंने आगे वैश्विक दक्षिण के देशों से एक साथ आने और एक-दूसरे की ताकत के रूप में काम करने का आह्वान किया। मोदी  ने कहा, यह समय की मांग है कि वैश्विक दक्षिण के देश एक साथ आएं, एक स्वर में एक-दूसरे की ताकत बनें। हमें एक-दूसरे के अनुभवों से सीखना चाहिए, अपनी क्षमताओं को साझा करना चाहिए और दुनिया की दो-तिहाई मानवता को मान्यता देनी चाहिए।