***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-30/05/2022, सोमवार
अमावस्या, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
कन्या
आज के दिन दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा और आपके प्रतिद्वंदी भी आपके सिरदर्द बने रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग को सफलता मिलेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। नए कार्यों, योजनाओं की चर्चा होगी। लाभदायी समाचार आएँगे। समाज में आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। साहस, पराक्रम बढ़ेगा। विश्वासप्रद माहौल रहेगा। आपको वृद्धजनों की सेवा व दान पुण्य के कार्य पर धन व्यय करने से आपके मन में हर्ष होगा। आपको संतान द्वारा कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है,जो लोग नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं,उन्हें उसे तुरंत ज्वाइन करना बेहतर रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में अक्समात गिरावट के कारण आप परेशान रहेंगे। आपका साझेदारी में चल रहा व्यवसाय आपको मन मुताबिक लाभ देगा। यदि किसी संपत्ति के विक्रय की योजना बना रहे हैं,तो उसमें आपको अपनी आंख व कान दोनों खुले रखकर ही किसी डील को फाइनल करना बेहतर रहेगा।
तिथि——– अमावस्या 16:59:14 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— कृत्तिका 07:11:08
योग———— सुकर्मा 23:36:51
करण———— नाग 16:59:15
वार———————– सोमवार
माह————————–ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————- वृषभ
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक) ———2078
शाका संवत—————–1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:25:49
सूर्यास्त—————- 19:07:54
दिन काल————- 13:42:05
रात्री काल————- 10:17:41
चंद्रोदय—————- 05:45:01
चंद्रास्त—————- 19:12:44
लग्न—- वृषभ 14°25′ , 44°25′
सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया——————- लोहा
*** पद, चरण ***
ए—- कृत्तिका 07:11:08
ओ—- रोहिणी 13:52:05
वा—- रोहिणी 20:33:56
वी—- रोहिणी 27:16:36
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 14:12 रोहिणी , 2 वा
चन्द्र = वृषभ 09°23 , कृतिका , 4 ए
बुध =वृषभ 02 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=मेष 07°05, अश्विनी ‘ 3 चो
मंगल=मीन 09°30 ‘ उoभाo’ 2 थ
गुरु=मीन 09°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°30’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°30 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 07:09 – 08:51 अशुभ
यम घंटा 10:34 – 12:17 अशुभ
गुली काल 13:59 – 15: 42अशुभ
अभिजित 11:49 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 12:44 – 13:39 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:29 – 16:23 अशुभ
चोघडिया, दिन
अमृत 05:26 – 07:09 शुभ
काल 07:09 – 08:51 अशुभ
शुभ 08:51 – 10:34 शुभ
रोग 10:34 – 12:17 अशुभ
उद्वेग 12:17 – 13:59 अशुभ
चर 13:59 – 15:42 शुभ
लाभ 15:42 – 17:25 शुभ
अमृत 17:25 – 19:08 शुभ
चोघडिया, रात
चर 19:08 – 20:25 शुभ
रोग 20:25 – 21:42 अशुभ
काल 21:42 – 22:59 अशुभ
लाभ 22:59 – 24:17* शुभ
उद्वेग 24:17* – 25:34* अशुभ
शुभ 25:34* – 26:51* शुभ
अमृत 26:51* – 28:08* शुभ
चर 28:08* – 29:26* शुभ
होरा, दिन
चन्द्र 05:26 – 06:34
शनि 06:34 – 07:43
बृहस्पति 07:43 – 08:51
मंगल 08:51 – 09:59
सूर्य 09:59 – 11:08
शुक्र 11:08 – 12:17
बुध 12:17 – 13:25
चन्द्र 13:25 – 14:34
शनि 14:34 – 15:42
बृहस्पति 15:42 – 16:51
मंगल 16:51 – 17:59
सूर्य 17:59 – 19:08
होरा, रात
शुक्र 19:08 – 19:59
बुध 19:59 – 20:51
चन्द्र 20:51 – 21:42
शनि 21:42 – 22:34
बृहस्पति 22:34 – 23:25
मंगल 23:25 – 24:17
सूर्य 24:17* – 25:08
शुक्र 25:08* – 25:59
बुध 25:59* – 26:51
चन्द्र 26:51* – 27:43
शनि 27:43* – 28:34
बृहस्पति 28:34* – 29:26
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
वृषभ > 03:50 से 05:48 तक
मिथुन > 05:48 से 08:01 तक
कर्क > 08:01 से 10:18 तक
सिंह > 10:18 से 12:26 तक
कन्या > 12:26 से 14:42 तक
तुला > 14:42 से 16:57 तक
वृश्चिक > 16:57 से 19:18 तक
धनु > 19:18 से 21:18 तक
मकर > 21:18 से 23:04 तक
कुम्भ > 11:04 से 00:37 तक
मीन > 00:37 से 02:03 तक
मेष > 02:03 से 03:50 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 15 + 2 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*** शिव वास एवं फल ***
30 + 30 + 5 = 65 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
*सोमवती अमावस्या
*देवपितृकार्य अमावस्या
* वट सावित्री व्रत
* शनि जयंती
* सर्वार्थ सिद्धि योग 07: 11से
* संत ज्ञानेश्वर जयंती
*** शुभ विचार ***
काष्ठ-पाषाण-धातूनां कृत्वा भावेन सेवनम् ।
श्रध्दया च तया सिध्दिस्तस्य विष्णोः प्रसादतः ।।
।। चा o नी o।।
काठ, पाषाण तथा धातु की भी श्रध्दापूर्वक सेवा करने से और भगवत्कृपा से सिध्दि प्राप्त हो जाती है।
*** सुभाषितानि ***
गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16
यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।,
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्॥,
जो पुरुष शास्त्र विधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को प्राप्त होता है, न परमगति को और न सुख को ही॥,23॥,
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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