कन्या राशिफल 30 जून 2022

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Virgo Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************

दिनाँक:-30/06/2022, गुरुवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या 

आज का दिन आपके लिए आलस्य भरा रहेगा, जिसके कारण आपका किसी कार्य को करने में मन नहीं लगेगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। बनते कामों में विघ्न आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। जीवनसाथी से सामंजस्य बैठाएं। फालतू खर्च होगा। कुसंगति से बचें। बेवजह लोगों से मनमुटाव हो सकता है। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। आय में निश्चितता रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। जल्दबाजी न करें। कार्यक्षेत्र में काम की अधिकता होने के कारण आपको परेशानी होगी। जो लोग व्यापार करते हैं, उनके लिए धन का निवेश करना लाभदायक रहेगा। प्रेम जीवन जी रहे लोगों में कोई आपसी मतभेद हो सकता है। आपको किसी विपरीत परिस्थिति में भी धैर्य बनाकर रखना बेहतर रहेगा। माता जी द्वारा आपको कोई कार्य सौंपा जाएगा, जिसे आपको समय रहते पूरा करना होगा। संतान की किसी निवेश संबंधी योजना में निवेश करने से पहले जीवनसाथी से सलाह मशवरा अवश्य करें।

तिथि ————- प्रतिपदा 10:48:45 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——— पुनर्वसु 25:05:57
योग————– ध्रुव 09:49:15
करण————– बव 10:48:45
करण———– बालव 24:00:00
वार———————– गुरूवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि—— मिथुन 18:22:01
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————- मिथुन
ऋतु———————— ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:28:16
सूर्यास्त————— 19:17:25
दिन काल————- 13:49:09
रात्री काल———— 10:11:12
चंद्रोदय—————- 06:07:43
चंद्रास्त—————- 20:35:04

लग्न—- मिथुन 14°3′ , 74°3′

सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र—————— पुनर्वसु
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

को—- पुनर्वसु 11:37:34

हा—- पुनर्वसु 18:22:01

ही—- पुनर्वसु 25:05:57

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 14:12 आर्द्रा , 3 ड
चन्द्र = मिथुन 23°23, पुनर्वसु, 2 को
बुध =वृषभ 26 ° 07′ मृगशिरा ‘ 1 वे
शुक्र=वृषभ 14°05, रोहिणी ‘ 2 वा
मंगल=मेष 02°30 ‘ अश्विनी ‘ 1 चू
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°55’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°55 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 14:06 – 15:50 अशुभ
यम घंटा 05:28 – 07:12 अशुभ
गुली काल 08:56 – 10:39 अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:05 – 10:59 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:36 – 16: 32अशुभ

*** चोघडिया, दिन
शुभ 05:28 – 07:12 शुभ
रोग 07:12 – 08:56 अशुभ
उद्वेग 08:56 – 10:39 अशुभ
चर 10:39 – 12:23 शुभ
लाभ 12:23 – 14:06 शुभ
अमृत 14:06 – 15:50 शुभ
काल 15:50 – 17:34 अशुभ
शुभ 17:34 – 19:17 शुभ

*** चोघडिया, रात
अमृत 19:17 – 20:34 शुभ
चर 20:34 – 21:50 शुभ
रोग 21:50 – 23:07 अशुभ
काल 23:07 – 24:23* अशुभ
लाभ 24:23* – 25:39* शुभ
उद्वेग 25:39* – 26:56* अशुभ
शुभ 26:56* – 28:12* शुभ
अमृत 28:12* – 29:29* शुभ

*** होरा, दिन
बृहस्पति 05:28 – 06:37
मंगल 06:37 – 07:46
सूर्य 07:46 – 08:56
शुक्र 08:56 – 10:05
बुध 10:05 – 11:14
चन्द्र 11:14 – 12:23
शनि 12:23 – 13:32
बृहस्पति 13:32 – 14:41
मंगल 14:41 – 15:50
सूर्य 15:50 – 16:59
शुक्र 16:59 – 18:08
बुध 18:08 – 19:17

*** होरा, रात
चन्द्र 19:17 – 20:08
शनि 20:08 – 20:59
बृहस्पति 20:59 – 21:50
मंगल 21:50 – 22:41
सूर्य 22:41 – 23:32
शुक्र 23:32 – 24:23
बुध 24:23* – 25:14
चन्द्र 25:14* – 26:05
शनि 26:05* – 26:56
बृहस्पति 26:56* – 27:47
मंगल 27:47* – 28:38
सूर्य 28:38* – 29:29

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:44 से 06:00 तक
कर्क > 06:00 से 08:24 तक
सिंह > 08:24 से 10:28 तक
कन्या > 10:28 से 12:44 तक
तुला > 12:44 से 14:59 तक
वृश्चिक > 14:59 से 17:14 तक
धनु > 17:14 से 19:24 तक
मकर > 19:24 से 21:06 तक
कुम्भ > 21:06 से 22:40 तक
मीन > 22:40 से 23:06 तक
मेष > 23:06 से 01:50 तक
वृषभ > 01:50 से 04:44 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

1 + 5 + 1 = 3 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

सूर्य ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

*** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ

*सर्वार्थ सिद्धि,अमृत सिद्धि योग 25: 06 से

*मनोरमा द्वितीया (बंगाल)

*** शुभ विचार ***

दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः ।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे ।।
।।चाo नी o।।

एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा .

*** सुभाषितानि ***

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

निश्चयं श्रृणु में तत्र त्यागे भरतसत्तम ।,
त्यागो हि पुरुषव्याघ्र त्रिविधः सम्प्रकीर्तितः ॥,

हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन ! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन।, क्योंकि त्याग सात्विक, राजस और तामस भेद से तीन प्रकार का कहा गया है॥,4॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*
********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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