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कन्या राशिफल 24 मई 2022

*** || जय श्री राधे || ***

*** महर्षि पाराशर पंचांग  ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
******************

दिनाँक:- 24/05/2022, मंगलवार
नवमी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत।।

कन्या

आपका रचनात्मक कार्य में खूब मन लगेगा,लेकिन आपको राजकीय मदद मिलती दिख रही है। आप अपने पारिवारिक जनों के साथ किसी शुभ व मांगलिक कार्यक्रम पर विचार विमर्श कर सकते हैं। यदि घर या बाहर कहीं पर भी कोई वाद-विवाद पनपे तो आपको उसमें दूर रहना बेहतर रहेगा,नहीं तो वह कानूनी हो सकता है। मेहमानों का आवागमन होगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। मान बढ़ेगा। जल्दबाजी न करें। जोखिम के कार्यों से दूर रहें। पराक्रम में वृद्धि होगी। परिवार में सहयोग का वातावरण रहेगा। अभिष्ट कार्य की सिद्धि के योग हैं। उलझनों से मुक्ति मिलेगी। यदि अपने साझेदारी में किसी व्यापार को चलाया हुआ है,तो वह आपको मन मुताबिक लाभ दे सकता है। कार्यक्षेत्र में भी लोग आपकी मीठी बातों से प्रसन्न रहेंगे,जो लोग नौकरी में कार्यरत हैं व किसी पार्ट टाइम कार्य को करने की सोच रहे हैं,तो उसके लिए आप समय निकालने में कामयाब रहेंगे।

तिथि———– नवमी 10:44:41 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र—- पूर्वाभाद्रपदा 22:32:09
योग——— विश्कुम्भ 23:39:11
करण————– गर 10:44:40
करण———– वणिज 22:33:47
वार———————- मंगलवार
माह———————— ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——- कुम्भ16:25:58
चन्द्र राशि——————- मीन
सूर्य राशि——————–वृषभ
रितु———————— ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:27:38
सूर्यास्त—————- 19:04:43
दिन काल————- 13:37:05
रात्री काल————- 10:22:33
चंद्रास्त—————- 13:36:44
चंद्रोदय—————- 26:23:07

लग्न—- वृषभ 8°40′ , 38°40′

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र———— पूर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*** पद, चरण ***

सो—-पूर्वाभाद्रपदा 10:22:00

दा—- पूर्वाभाद्रपदा 16:25:58

दी—- पूर्वाभाद्रपदा 22:32:09

दू—- उत्तराभाद्रपदा 28:40:32

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 08:12 कृतिका , 4 ए
चन्द्र =कुम्भ 23°23 , पू o भा o, 2 सो
बुध =वृषभ 05 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=मीन 00°05, अश्विनी ‘ 1 चू
मंगल=कुम्भ 05°30 ‘ उoभाo’ 1 दू
गुरु=मीन 08°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°50’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°50 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 15:40 – 17:23 अशुभ
यम घंटा 08:52 – 10:34 अशुभ
गुली काल 12:16 – 13:58 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:11 – 09:06 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:14 – 24:08* अशुभ

पंचक अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:28 – 07:10 अशुभ
उद्वेग 07:10 – 08:52 अशुभ
चर 08:52 – 10:34 शुभ
लाभ 10:34 – 12:16 शुभ
अमृत 12:16 – 13:58 शुभ
काल 13:58 – 15:40 अशुभ
शुभ 15:40 – 17:23 शुभ
रोग 17:23 – 19:05 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 19:05 – 20:23 अशुभ
लाभ 20:23 – 21:40 शुभ
उद्वेग 21:40 – 22:58 अशुभ
शुभ 22:58 – 24:16* शुभ
अमृत 24:16* – 25:34* शुभ
चर 25:34* – 26:52* शुभ
रोग 26:52* – 28:09* अशुभ
काल 28:09* – 29:27* अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:28 – 06:36
सूर्य 06:36 – 07:44
शुक्र 07:44 – 08:52
बुध 08:52 – 10:00
चन्द्र 10:00 – 11:08
शनि 11:08 – 12:16
बृहस्पति 12:16 – 13:24
मंगल 13:24 – 14:32
सूर्य 14:32 – 15:40
शुक्र 15:40 – 16:49
बुध 16:49 – 17:57
चन्द्र 17:57 – 19:05

होरा, रात
शनि 19:05 – 19:57
बृहस्पति 19:57 – 20:48
मंगल 20:48 – 21:40
सूर्य 21:40 – 22:32
शुक्र 22:32 – 23:24
बुध 23:24 – 24:16
चन्द्र 24:16* – 25:08
शनि 25:08* – 25:59
बृहस्पति 25:59* – 26:52
मंगल 26:52* – 27:44
सूर्य 27:44* – 28:35
शुक्र 28:35* – 29:27

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 04:14 से 06:12 तक
मिथुन > 06:12 से 08:25 तक
कर्क > 08:25 से 10:42 तक
सिंह > 10:42 से 12:54 तक
कन्या > 12:42 से 15:06 तक
तुला > 15:06 से 17:21 तक
वृश्चिक > 17:21 से 19:42 तक
धनु > 19:42 से 21:42 तक
मकर > 21:42 से 23:28 तक
कुम्भ > 11:28 से 01:01 तक
मीन > 01:01 से 02:31 तक
मेष > 02:31 से 04:14 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 9 + 3 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 22:38 से प्रारम्भ

मृत्यु लोक = सर्वलोक विनाशिनी

*** विशेष जानकारी ***

* पंचक अहोरात्र

*सर्वार्थ सिद्धि योग 22:32 से

*** शुभ विचार ***

गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत् ।
वर्तमानेन कालेन प्रवर्त्तन्ते विचक्षणाः ।।
।। चा o नी o।।

हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया. हम भविष्य की चिंता भी ना करे. विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

आत्मसम्भाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।,
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम्‌॥,

वे अपने-आपको ही श्रेष्ठ मानने वाले घमण्डी पुरुष धन और मान के मद से युक्त होकर केवल नाममात्र के यज्ञों द्वारा पाखण्ड से शास्त्रविधिरहित यजन करते हैं॥,17॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

Neelima Sargodha

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Neelima Sargodha

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