***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक :-22/11/2022, मंगलवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कन्या
घर के छोटे सदस्यों संबंधी चिंता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।
तिथि———- त्रयोदशी 08:48:51 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– स्वाति 23:11:14
योग———- सौभाग्य 18:35:42
करण———– वणिज 08:48:50
करण——- विष्टि भद्र 19:55:18
वार———————– मंगलवार
माह——————— मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—————— तुला
सूर्य राशि—————– वृश्चिक
रितु————————- हेमंत
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2079
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:46:31
सूर्यास्त—————- 17:23:51
दिन काल————- 10:37:20
रात्री काल————- 13:23:26
चंद्रास्त————— 16:13:32
चंद्रोदय—————- 29:51:40
लग्न—– वृश्चिक 5°32′ , 215°32′
सूर्य नक्षत्र—————– अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र—————— स्वाति
नक्षत्र पाया——————- रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
रे—- स्वाति 11:46:42
रो—- स्वाति 17:30:04
ता—- स्वाति 23:11:14
ती—- विशाखा 28:50:19
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृश्चिक 05 :29 अनुराधा , 1 ना
चन्द्र =तुला 16°23, स्वाति, 3 रो
बुध =वृश्चिक 13 ° 34′ अनुराधा ‘4 ने
शुक्र=वृश्चिक 13°05, अनुराधा ‘ 4 ने
मंगल=वृषभ 27°30 ‘ मृगशिरा’ 1 दू
गुरु=मीन 04°30 ‘ उ o भा o, 1 दू
शनि=मकर 25°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 18°20 भरणी , 2 लू
केतु=(व) तुला 18°20 विशाखा , 4 ता
🚩💮 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩
राहू काल 14:45 – 16:04 अशुभ
यम घंटा 09:26 – 10:46 अशुभ
गुली काल 12:05 – 13:25 अशुभ
अभिजित 11:44 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 08:54 – 09:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:45 – 23:27 अशुभ
वर्ज्यम 28:28* – 29:58* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग 06:47 – 08:06 अशुभ
उद्वेग 08:06 – 09:26 अशुभ
चर 09:26 – 10:46 शुभ
लाभ 10:46 – 12:05 शुभ
अमृत 12:05 – 13:25 शुभ
काल 13:25 – 14:45 अशुभ
शुभ 14:45 – 16:04 शुभ
रोग 16:04 – 17:24 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
काल 17:24 – 19:04 अशुभ
लाभ 19:04 – 20:45 शुभ
उद्वेग 20:45 – 22:25 अशुभ
शुभ 22:25 – 24:06* शुभ
अमृत 24:06* – 25:46* शुभ
चर 25:46* – 27:26* शुभ
रोग 27:26* – 29:07* अशुभ
काल 29:07* – 30:47* अशुभ
💮होरा, दिन
मंगल 06:47 – 07:40
सूर्य 07:40 – 08:33
शुक्र 08:33 – 09:26
बुध 09:26 – 10:19
चन्द्र 10:19 – 11:12
शनि 11:12 – 12:05
बृहस्पति 12:05 – 12:58
मंगल 12:58 – 13:51
सूर्य 13:51 – 14:45
शुक्र 14:45 – 15:38
बुध 15:38 – 16:31
चन्द्र 16:31 – 17:24
🚩होरा, रात
शनि 17:24 – 18:31
बृहस्पति 18:31 – 19:38
मंगल 19:38 – 20:45
सूर्य 20:45 – 21:52
शुक्र 21:52 – 22:59
बुध 22:59 – 24:06
चन्द्र 24:06* – 25:13
शनि 25:13* – 26:19
बृहस्पति 26:19* – 27:26
मंगल 27:26* – 28:33
सूर्य 28:33* – 29:40
शुक्र 29:40* – 30:47
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
वृश्चिक > 05:24 से 07:46 तक
धनु > 07:46 से 10:16 तक
मकर > 10:16 से 11:54 तक
कुम्भ > 11:54 से 13:24 तक
मीन > 13:24 से 13:56 तक
मेष > 13:56 से 15:30 तक
वृषभ > 15:30 से 18:16 तक
कर्क > 18:16 से 22:46 तक
सिंह > 22:46 से 01:00 तक
कन्या > 01:00 से 03:14 तक
तुला > 03:14 से 05:35 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 13 + 3 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 8:48 से रात्रि 19:55 तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*मास शिव रात्रि व्रत
*बालाजी जयंती
*संत ज्ञानेश्वर पुण्य तिथि
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
क्रोधो वैवस्वतो राहा तृष्णा वैतरणी नदी ।
विद्या कामदुधा धेनुः सन्तोषो नन्दनंवनम् ।।
।। चा o नी o।।
क्रोध साक्षात् यम है. तृष्णा नरक की और ले जाने वाली वैतरणी है. ज्ञान कामधेनु है. संतोष ही तो नंदनवन है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।,
सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम् ॥,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।,
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ॥,
परन्तु जो पुरुष इन्द्रियों के समुदाय को भली प्रकार वश में करके मन-बुद्धि से परे, सर्वव्यापी, अकथनीय स्वरूप और सदा एकरस रहने वाले, नित्य, अचल, निराकार, अविनाशी, सच्चिदानन्दघन ब्रह्म को निरन्तर एकीभाव से ध्यान करते हुए भजते हैं, वे सम्पूर्ण भूतों के हित में रत और सबमें समान भाववाले योगी मुझको ही प्राप्त होते हैं॥,3-4॥
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