कन्या राशिफल 18 जून 2022

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Virgo Horoscope 25 August 2022

*** || जय श्री राधे || ***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-18/06/2022, शनिवार
पंचमी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या

आज का दिन आप के प्रभाव व  प्रताप में वृद्धि लेकर आएगा। यदि आपने ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति को धन उधार दिया था, तो वह आपको वापस मिल सकता है, जिससे आपके धन कोष में वृद्धि होगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य खराब हो सकता है। प्रमाद न करें। जीवन साथी को कहीं सैर सपाटे पर लेकर जा सकते हैं। आपको धन व्यय करने से पहले कुछ दिन भविष्य के लिए भी संचय करना बेहतर रहेगा। जो लोग किसी व्यवसाय संबंधित यात्रा पर जाएंगे, उनके पराक्रम में वृद्धि होगी। पारिवारिक बिजनेस में लंबे समय से मंदी आने के कारण यदि किसी व्यक्ति से सलाह ले, तो किसी अनुभवी व्यक्ति से ले, तो बेहतर रहेगा।

तिथि————पंचमी 24:18:55 तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र———– श्रवण 07:38:01
योग———— वैधृति 13:48:30
करण———– कौलव 13:34:28
करण———– तैतुल 24:18:55
वार———————– शनिवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि——– मकर 18:41:43
चन्द्र राशि—————— कुम्भ
सूर्य राशि——————– मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन

सूर्योदय————— 05:25:10
सूर्यास्त—————- 19:15:34
दिन काल————- 13:50:23
रात्री काल————- 10:09:46
चंद्रास्त—————- 09:20:02
चंद्रोदय—————- 23:12:51

लग्न—- मिथुन 2°36′ , 62°36′

सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र—————— श्रवण
नक्षत्र पाया——————– ताम्र

*** पद, चरण ***

खो—- श्रवण 07:38:01

गा—- धनिष्ठा 13:08:45

गी—- धनिष्ठा 18:41:43

गु—- धनिष्ठा 24:17:01

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 02:12 मृगशिरा , 3 का
चन्द्र = मकर 21°23 , श्रवण , 4 खो
बुध =वृषभ 09 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मेष 29°05, कृतिका ‘ 1 अ
मंगल=मीन 23°30 ‘ रेवती ‘ 3 च
गुरु=मीन 11°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°0’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°30 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:53 – 10:37 अशुभ
यम घंटा 14:04 – 15:48 अशुभ
गुली काल 05:25 – 07:09 अशुभ
अभिजित 11:53 -12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 07:16 – 08:11 अशुभ

पंचक 18:42 – अहोरात्र अशुभ

***चोघडिया, दिन
काल 05:25 – 07:09 अशुभ
शुभ 07:09 – 08:53 शुभ
रोग 08:53 – 10:37 अशुभ
उद्वेग 10:37 – 12:20 अशुभ
चर 12:20 – 14:04 शुभ
लाभ 14:04 – 15:48 शुभ
अमृत 15:48 – 17:32 शुभ
काल 17:32 – 19:16 अशुभ

***चोघडिया, रात
लाभ 19:16 – 20:32 शुभ
उद्वेग 20:32 – 21:48 अशुभ
शुभ 21:48 – 23:04 शुभ
अमृत 23:04 – 24:20* शुभ
चर 24:20* – 25:37* शुभ
रोग 25:37* – 26:53* अशुभ
काल 26:53* – 28:09* अशुभ
लाभ 28:09* – 29:25* शुभ

***होरा, दिन
शनि 05:25 – 06:34
बृहस्पति 06:34 – 07:44
मंगल 07:44 – 08:53
सूर्य 08:53 – 10:02
शुक्र 10:02 – 11:11
बुध 11:11 – 12:20
चन्द्र 12:20 – 13:30
शनि 13:30 – 14:39
बृहस्पति 14:39 – 15:48
मंगल 15:48 – 16:57
सूर्य 16:57 – 18:06
शुक्र 18:06 – 19:16

***होरा, रात
बुध 19:16 – 20:06
चन्द्र 20:06 – 20:57
शनि 20:57 – 21:48
बृहस्पति 21:48 – 22:39
मंगल 22:39 – 23:30
सूर्य 23:30 – 24:20
शुक्र 24:20* – 25:11
बुध 25:11* – 26:02
चन्द्र 26:02* – 26:53
शनि 26:53* – 27:44
बृहस्पति 27:44* – 28:35
मंगल 28:35* – 29:25

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:30 से 06:50 तक
कर्क > 06:50 से 09:10 तक
सिंह > 09:10 से 11:14 तक
कन्या > 11:14 से 13:30 तक
तुला > 13:30 से 15:45 तक
वृश्चिक > 15:45 से 18:00 तक
धनु > 18:00 से 20:06 तक
मकर > 20:06 से 21:52 तक
कुम्भ > 21:52 से 23:26 तक
मीन > 23:26 से 00:52 तक
मेष > 00:052 से 02:40 तक
वृषभ > 02:40 से 04:30 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान———पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 5 + 7 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभा रूढ़ = शुभ कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

*कोकिला पंचमी

*नाग पंचमी (बंगाल)

*सर्वार्थ सिद्धि योग

* महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस

*** शुभ विचार ***

अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम् ।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृध्दस्य तरुणी विषम् ।।
।। चा o नी o।।

जिस अध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर है. जिसका पेट ख़राब है उसके लिए भोजन जहर है. निर्धन व्यक्ति के लिए लोगो का किसी सामाजिक या व्यक्तिगत कार्यक्रम में एकत्र होना जहर है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

मूढग्राहेणात्मनो यत्पीडया क्रियते तपः।,
परस्योत्सादनार्थं वा तत्तामसमुदाहृतम्‌॥,

जो तप मूढ़तापूर्वक हठ से, मन, वाणी और शरीर की पीड़ा के सहित अथवा दूसरे का अनिष्ट करने के लिए किया जाता है- वह तप तामस कहा गया है॥,19॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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