कन्या राशिफल Virgo Horoscope 17 April 2022

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जय श्री राधे

महर्षि पाराशर पंचांग

अथ पंचांगम्
जय श्री राधे
दिनांक: 17/04/ 2022, रविवार
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष
चैत्र (समाप्ति काल)

दैनिक राशिफल

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशे: प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशे: प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या Virgo Horoscope 17 April 2022

शरीर में कमर व घुटने आदि के दर्द से परेशानी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकता है।

पक्ष कृष्ण

नक्षत्र चित्रा 07:15:37
नक्षत्र स्वाति 29:32:37
योग वज्र 23:38:32
करण बालव 11:14:57
करण कौलव 22:01:07
वार रविवार
माह वैशाख
चन्द्र राशि तुला
सूर्य राशि मेष
रितु वसंत
आयन उत्तरायण
संवत्सर नल
संवत्सर (उत्तर) राक्षस
विक्रम संवत 2079
विक्रम संवत (कर्तक) 2078
शाका संवत1944

वृन्दावन

सूर्योदय 05:54:12
सूर्यास्त 18:43:43
दिन काल 12:49:31
रात्री काल 11:09:29
चंद्रास्त 06:13:31
चंद्रोदय 19:28:52

लग्न कन्या Virgo Horoscope 17 April 2022

सूर्य नक्षत्र अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र चित्रा
नक्षत्र पाया रजत
पद, चरण
री चित्रा 07:15:37
रू स्वाति 12:51:26
रे स्वाति 18:26:07
रो स्वाति 23:59:48
ता स्वाति 29:32:37
गरह गोचर
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मीन 02:12 अश्विनी , 1 चु
चन्द्र =तुला 05त्23 , चित्रा, 4 री
बुध =मेष 17 त् 07′ भरणी ‘ 2 लू
शुक्र=कुम्भ 18त्05, शतभिषा ‘ 4 सी
मंगल=कुम्भ 07त्30 ‘ शतभिषा’ 1 गो
गुरु=मीन 00त्30 ‘ पू ङ्म भा ङ्म, 4 दी
शनि=मकर 29त्33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29त्55’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29त्55 विशाखा , 3 ते
महूर्त प्रकरण
राहू काल 17:08 18:44 अशुभ
यम घंटा 12:19 13:55 अशुभ
गुली काल 15:31 17:08 अशुभ
अभिजित 11:53 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 17:01 17:52 अशुभ

चोघडिया, दिन

उद्वेग 05:54 07:30 अशुभ
चर 07:30 09:07 शुभ
लाभ 09:07 10:43 शुभ
अमृत 10:43 12:19 शुभ
काल 12:19 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 15:31 शुभ
रोग 15:31 17:08 अशुभ
उद्वेग 17:08 18:44 अशुभ

चोघडिया, रात

शुभ 18:44 20:07 शुभ
अमृत 20:07 21:31 शुभ
चर 21:31 22:55 शुभ
रोग 22:55 24:18 अशुभ
काल 24:18 25:42 अशुभ
लाभ 25:42 27:06 शुभ
उद्वेग 27:06 28:30 अशुभ
शुभ 28:30 29:53 शुभ

होरा, दिन

सूर्य 05:54 06:58
शुक्र 06:58 08:02
बुध 08:02 09:07
चन्द्र 09:07 10:11
शनि 10:11 11:15
बृहस्पति 11:15 12:19
मंगल 12:19 13:23
सूर्य 13:23 14:27
शुक्र 14:27 15:31
बुध 15:31 16:35
चन्द्र 16:35 17:40
शनि 17:40 18:44

होरा, रात

बृहस्पति 18:44 19:40
मंगल 19:40 20:35
सूर्य 20:35 21:31
शुक्र 21:31 22:27
बुध 22:27 23:23
चन्द्र 23:23 24:18
शनि 24:18 25:14
बृहस्पति 25:14 26:10
मंगल 26:10 27:06
सूर्य 27:06 28:02
शुक्र 28:02 28:57
बुध 28:57 29:53

उदयलग्न प्रवेशकाल

मीन > 03:00 से 04:56 तक
मेष > 05:56 से 06:47 तक
वृषभ > 06:47 से 08:45 तक
मिथुन > 08:45 से 10:59 तक
कर्क > 10:59 से 13:15 तक
सिंह > 13:15 से 15:28 तक
कन्या > 15:28 से 07:39 तक
तुला > 07:39 से 07:54 तक
वृश्चिक > 07:54 से 10:11 तक
धनु > 10:11 से 00:16 तक
मकर > 00:16 से 02:02 तक
कुम्भ > 02:02 से 03:00 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभगवास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट जोधपुर 6 मिनट
जयपुर +5 मिनट अहमदाबाद8 मिनट
कोटा +5 मिनट मुंबई7 मिनट
लखनऊ +25 मिनटबीकानेर5 मिनट
कोलकाता +54जैसलमेर 15 मिनट
नोट: दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमश: सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञानपश्चिम

परिहार: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है ’
इस मंत्र का उच्चारण करें:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च ’
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:

अग्नि वास ज्ञान :

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेरमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दशार्येत् ।।
15 + 1 + 1 + 1 = 18 रु 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है ’

गरह मुख आहुति ज्ञान

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

चन्द्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल :
16 + 16 + 5 = 37 रु 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल :
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
एकलिंग जी पटोत्सव (उदयपुर)
ईस्टर संडे
शुभ विचार
यस्यार्स्थास्तस्य मित्राणि यस्यार्स्थास्तस्य बान्धवा: ।
यस्यार्था: स पुमाल्लोके यस्यार्था: सचजीवति ।।
।।चा ङ्म नी ङ्म।।
वह व्यक्ति जिसके पास धन है उसके पास मित्र और सम्बन्धी भी बहोत रहते है. वही इस दुनिया में टिक पाता है और उसीको इज्जत मिलती है.
सभाषितानि

गीता : गुणत्रयविभागयोग अङ्म14
समदु:खसुख: स्वस्थ: समलोष्टाश्मकाञ्चन: ।,
तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुति: ॥,
जो निरन्तर आत्म भाव में स्थित, दु:खसुख को समान समझने वाला, मिट्टी, पत्थर और स्वर्ण में समान भाव वाला, ज्ञानी, प्रिय तथा अप्रिय को एकसा मानने वाला और अपनी निन्दास्तुति में भी समान भाव वाला है॥,24॥,