***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-11/10/2022, मंगलवार
द्वितीया, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
कन्या
दुष्टजनों से दूर बनाएं। धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ-दान इत्यादि में खर्च होगा। कोर्ट व कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में रुके कार्य मनोनुकूल रहेंगे। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में लाभ होगा। शारीरिक कष्ट के योग हैं, सावधानी रखें।
तिथि———- द्वितीया 25:28:48 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— अश्विनी 16:16:05
योग———— हर्शण 15:14:44
करण———– तैतुल 13:28:37
करण————– गर 25:28:48
वार———————– मंगलवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि——————— मेष
सूर्य राशि——————– कन्या
रितु————————– शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:18:00
सूर्यास्त————— 17:53:28
दिन काल————–11:35:28
रात्री काल———— 12:25:04
चंद्रास्त—————- 07:28:23
चंद्रोदय—————- 18:55:22
लग्न—- कन्या 23°31′ , 173°31′
सूर्य नक्षत्र——————– चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————– अश्विनी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
चो—- अश्विनी 10:08:51
ला—- अश्विनी 16:16:05
ली—- भरणी 22:25:41
लू—- भरणी 28:37:40
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 23 :49 चित्रा , 1 पे
चन्द्र =मेष 07 °23, अश्विनी , 3 पा
बुध =कन्या 05 ° 34′ उ o फाo ‘3 पा
शुक्र=कन्या 20°05, हस्त ‘ 4 ठ
मंगल=वृषभ 28°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°27’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°27 विशाखा , 1 ती
राहू काल 14:59 – 16:27 अशुभ
यम घंटा 09:12 – 10:39 अशुभ
गुली काल 12:06 – 13:33 अशुभ
अभिजित 11:43 – 12:29 शुभ
दूर मुहूर्त 08:37 – 09:23 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:51 – 23:38 अशुभ
वर्ज्यम 12:11 – 13:49 अशुभ
🚩गंड मूल 06:18 – 16:16 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग 06:18 – 07:45 अशुभ
उद्वेग 07:45 – 09:12 अशुभ
चर 09:12 – 10:39 शुभ
लाभ 10:39 – 12:06 शुभ
अमृत 12:06 – 13:33 शुभ
काल 13:33 – 14:59 अशुभ
शुभ 14:59 – 16:27 शुभ
रोग 16:27 – 17:53 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
काल 17:53 – 19:27 अशुभ
लाभ 19:27 – 20:59 शुभ
उद्वेग 20:59 – 22:33 अशुभ
शुभ 22:33 – 24:06* शुभ
अमृत 24:06* – 25:39* शुभ
चर 25:39* – 27:12* शुभ
रोग 27:12* – 28:45* अशुभ
काल 28:45* – 30:19* अशुभ
💮होरा, दिन
मंगल 06:18 – 07:16
सूर्य 07:16 – 08:14
शुक्र 08:14 – 09:12
बुध 09:12 – 10:10
चन्द्र 10:10 – 11:08
शनि 11:08 – 12:06
बृहस्पति 12:06 – 13:04
मंगल 13:04 – 14:02
सूर्य 14:02 – 14:59
शुक्र 14:59 – 15:58
बुध 15:58 – 16:56
चन्द्र 16:56 – 17:53
🚩होरा, रात
शनि 17:53 – 18:56
बृहस्पति 18:56 – 19:58
मंगल 19:58 – 20:59
सूर्य 20:59 – 22:02
शुक्र 22:02 – 23:04
बुध 23:04 – 24:06
चन्द्र 24:06* – 25:08
शनि 25:08* – 26:10
बृहस्पति 26:10* – 27:12
मंगल 27:12* – 28:14
सूर्य 28:14* – 29:16
शुक्र 29:16* – 30:19
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:43 से 05:44 तक
तुला > 05:44 से 07:54 तक
वृश्चिक > 07:54 से 10:14 तक
धनु > 10:14 से 12:44 तक
मकर > 12:44 से 14:22 तक
कुम्भ > 14:22 से 15:50 तक
मीन > 15:50 से 16:24 तक
मेष > 16:24 से 17:58 तक
वृषभ > 17:58 से 20:44 तक
कर्क > 20:44 से 01:14 तक
सिंह > 01:14 से 03:42 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 2 + 3 + 1 = 21 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 16:16 तक
* गुरु रामदास जयंती
* जयप्रकाश नारायण जयंती
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
दुराचारी दुरादृष्टिर्दुरावासी च दुर्जनः ।
यन्मैत्रीक्रियते पुम्भिर्नरःशीघ्रं विनश्यति ।।
।। चा o नी o।।
जो व्यक्ति दुराचारी, कुदृष्टि वाले, एवं बुरे स्थान पर रहने वाले मनुष्य के साथ मित्रता करता है, वह शीघ्र नष्ट हो जाता है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचक्षुषा ।,
भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम् ॥,
इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को (क्षेत्र को जड़, विकारी, क्षणिक और नाशवान तथा क्षेत्रज्ञ को नित्य, चेतन, अविकारी और अविनाशी जानना ही ‘उनके भेद को जानना’ है) तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान नेत्रों द्वारा तत्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं॥,34॥,
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