कन्या राशिफल 03 जुलाई 2022

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Virgo Horoscope 25 August 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-03/07/2022, रविवार
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष,
आषाढ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कन्या 

आज आप अच्छे मूड में नजर आएंगे, लेकिन आपको किसी से भी भला बुरा बोलने से बचना होगा, जो लोग सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, उन्हें कुछ जनसभाएं भी करने का मौका मिलेगा। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। ऐश्वर्य पर खर्च होगा। आपके कुछ शत्रु आपके पीछे आपकी बुराई करते नजर आएंगे। आपको आज अपने किसी मित्र के लिए कुछ रुपयों का इंतजाम भी करना पड़ सकता है। नवविवाहित जातकों के जीवन में आज नए मेहमान की दस्तक हो सकती है। आपका कोई अपना परिचित आपके घर दावत पर आ सकता है, जिसमें आपको धन खर्च करना होगा। कुछ खर्चे आपको मजबूरी में भी करने पड़ेंगे।

तिथि———– चतुर्थी 17:06:13 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र——– आश्लेषा 06:28:58
योग————– वज्र 12:04:11
करण——- विष्टि भद्र 17:06:13
वार———————— रविवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि———कर्क 06:28:58
चन्द्र राशि———————सिंह
सूर्य राशि——————– मिथुन
रितु—————————ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————–नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत——————-1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:29:22
सूर्यास्त————— 19:17:25
दिन काल————- 13:48:03
रात्री काल————- 10:12:20
चंद्रोदय—————-08:53:41
चंद्रास्त————— 22:29:51

लग्न—-मिथुन 16°55′ , 76°55′

सूर्य नक्षत्र——————– आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र—————–आश्लेषा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

डो—- आश्लेषा 06:28:58

मा—- मघा 13:04:31

मी—- मघा 19:38:41

मू—- मघा 26:11:24

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 16:12 आर्द्रा , 4 छ
चन्द्र = कर्क 29°23, अश्लेषा, 4 डो
बुध =मिथुन 01 ° 07′ मृगशिरा ‘ 3 का
शुक्र=वृषभ 17°05, रोहिणी ‘ 3 वी
मंगल=मेष 04°30 ‘ अश्विनी ‘ 2 चे
गुरु=मीन 13°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 25°40’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 25°40 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 17:34 – 19:17 अशुभ
यम घंटा 12:23 – 14:07 अशुभ
गुली काल 15:50 – 17: 34अशुभ
अभिजित 11:56 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 17:27 – 18:22 अशुभ

*** गंड मूल अहोरात्र अशुभ

*** चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:29 – 07:13 अशुभ
चर 07:13 – 08:56 शुभ
लाभ 08:56 – 10:40 शुभ
अमृत 10:40 – 12:23 शुभ
काल 12:23 – 14:07 अशुभ
शुभ 14:07 – 15:50 शुभ
रोग 15:50 – 17:34 अशुभ
उद्वेग 17:34 – 19:17 अशुभ

*** चोघडिया, रात
शुभ 19:17 – 20:34 शुभ
अमृत 20:34 – 21:51 शुभ
चर 21:51 – 23:07 शुभ
रोग 23:07 – 24:24* अशुभ
काल 24:24* – 25:40* अशुभ
लाभ 25:40* – 26:57* शुभ
उद्वेग 26:57* – 28:13* अशुभ
शुभ 28:13* – 29:30* शुभ

*** होरा, दिन
सूर्य 05:29 – 06:38
शुक्र 06:38 – 07:47
बुध 07:47 – 08:56
चन्द्र 08:56 – 10:05
शनि 10:05 – 11:14
बृहस्पति 11:14 – 12:23
मंगल 12:23 – 13:32
सूर्य 13:32 – 14:41
शुक्र 14:41 – 15:50
बुध 15:50 – 16:59
चन्द्र 16:59 – 18:08
शनि 18:08 – 19:17

*** होरा, रात
बृहस्पति 19:17 – 20:08
मंगल 20:08 – 20:59
सूर्य 20:59 – 21:51
शुक्र 21:51 – 22:42
बुध 22:42 – 23:33
चन्द्र 23:33 – 24:24
शनि 24:24* – 25:15
बृहस्पति 25:15* – 26:06
मंगल 26:06* – 26:57
सूर्य 26:57* – 27:48
शुक्र 27:48* – 28:39
बुध 28:39* – 29:30

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:32 से 05:48 तक
कर्क > 05:48 से 08:12 तक
सिंह > 08:12 से 10:16 तक
कन्या > 10:16 से 12:32 तक
तुला > 12:32 से 14:47 तक
वृश्चिक > 14:47 से 17:02 तक
धनु > 17:02 से 19:12 तक
मकर > 19:12 से 20:54 तक
कुम्भ > 20:54 से 22:28 तक
मीन > 22:28 से 22:58 तक
मेष > 22:58 से 01:38 तक
वृषभ > 01:38 से 04:32 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:

यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

4 + 1 + 1 = 6 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष

क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक

*** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

सांय 17:06 तक समाप्त

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*** विशेष जानकारी ***

* विनायक चतुर्थी

*** शुभ विचार ***

मूर्खस्तु परिहर्त्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः ।
भिद्यते वाक्यशूलेन अदृश्यं कण्टकं यथा ।।
।। चा o नी o।।

मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं,जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता है .

*** सुभाषितानि ***

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

नियतस्य तु सन्न्यासः कर्मणो नोपपद्यते ।,
मोहात्तस्य परित्यागस्तामसः परिकीर्तितः ॥,

(निषिद्ध और काम्य कर्मों का तो स्वरूप से त्याग करना उचित ही है) परन्तु नियत कर्म का (इसी अध्याय के श्लोक 48 की टिप्पणी में इसका अर्थ देखना चाहिए।,) स्वरूप से त्याग करना उचित नहीं है।, इसलिए मोह के कारण उसका त्याग कर देना तामस त्याग कहा गया है॥,7॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*

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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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