संजीव कुमार, रोहतक:
डॉक्टरों को दुनिया भगवान का दर्जा देती है। लेकिन क्या हो जब कोई डॉक्टर ही पैसों के लिए मरीजों की जान का दुश्मन बन जाये और पीड़ित व्यक्ति को न्याय भी न मिले। ऐसा ही एक मामला उस समय प्रकाश में आया जब जनता कालोनी निवासी आशा लता पत्नी प्रताप सिंह स्थानीय अमृत कालोनी में विशाल हरियाणा अनुसूचित एवं पिछड़ी जाति कल्याण मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट दयानंद रंगा से मिली तथा न्याय दिलवाने की गुहार लगाई।
अपनी शिकायत में आशा लता ने बताया कि 9 फरवरी, 2019 को वह शिवाजी कालोनी चौंक स्थित ब्रह्मशक्ति हॉस्पिटल में प्रेगनेंसी का पहली बार चैकअप करवाने गई थी। जहां डॉ. शीनू शर्मा ने मेरा अल्ट्रासाऊंड करवाया तथा मेरा ईलाज शुरू किया। अल्ट्रासाऊंड में बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था तथा मुझे 23 सितम्बर, 2019 की डिलीवरी की तारीख दी गई थी। पर डॉ. शीनू शर्मा ने 2 सितम्बर से ही मेरे ऊपर डिलीवरी करने का दबाव बनाया परन्तु मैं अपनी डिलीवरी समय से पहले नहीं करवाना चाहती थी। बाद में डॉक्टर ने मुझे डराया कि तेरे पेट में पानी ज्यादा है इसलिए तेरी डिलीवरी जल्दी करवानी पड़ेगी। इस बीच डॉक्टर शीनू शर्मा बार-बार फोन करती रही और समय से पहले डिलीवरी करने का दबाव बनाती रही। बच्चे की जान को खतरा बताकर बार-बार परेशान करती रही। 10 सितम्बर, 2019 को वह डॉक्टर के पास दिखाने के लिए गई तो उसने मुझे अरण्डी का तेल लेने के लिए बोला और कहा कि रात को यह तेल दूध के साथ लेना और सुबह मेरे पास आ जाना। बार-बार बच्चे की जान को खतरा बताकर मानसिक रूप से परेशान और भयभीत करती रही।
आशा लता ने बताया कि बाद में वह तेल पीकर ब्रह्मशक्ति हॉस्पिीटल में पहुंची तो वहां जाने के बाद बिना बात किये डॉ. शीनू मुझे डिलीवरी रूम में ले गई और जबरदस्ती डिलीवरी करवाने की कोशिश की। वहां मौजूद एक स्टाफ नर्स ने बताया कि बच्चे की धडकन बंद हो चुकी है। जिस पर डॉक्टर शीनू शर्मा के हाथ-पांव फूल गये और अस्पताल में आॅपरेशन की सुविधा नहीं थी और ना ही वहां कोई एंबुलेंस की सुविधा थी। किसी तरह से उसने मुझे अपने जानकार डॉ. रमेश नांदल के हस्पताल में ले गई। इसके बाद डॉ. रमेश नांदल ने कहा कि आपका बच्चा तो खत्म हो चुका है और आपकी जान भी खतरे में है। जिसके लिए आपका आॅपरेशन करना पड़ेगा। जिस पर परिजनों ने आॅपरेशन करवाकर जान बचाने की गुहार लगाई। आॅपरेशन होने के बाद जब बच्चा घरवालों को दिखाया गया तो उसके हाथ-पैर नीले पड़े हुए थे और उसकी आंखें बंद थी और धडकनें भी बन्द थी। इसके बाद डॉ. शीनू शर्मा ने अपनी जान-पहचान के स्पैक्स हॉस्पीटल के डॉ. विकास गुप्ता के पास बच्चे को ले गई। जब एम्बुलेंस से बच्चे को लेकर जा रहे थे तब भी उसे कोई आॅक्सीजन नहीं लगाया गया। डॉ. विकास गुप्ता ने बच्चे को तीन दिन रखने को कहा और डेढ़ दिन में यह कहते हुए वापिस दे दिया कि इसकी डिलीवरी के समय में बहुत बड़ी लापरवाही बरती गई है। बाद में पीजीआई के इमरजेंसी वार्ड में बच्चे को ले जाने पर वहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया।
आशा लता ने बताया कि इस बारे में थाना शिवाजी कालोनी में डॉ. शीनू शर्मा के खिलाफ एक शिकायत दी। जिसके काफी समय बाद मामले में सिविल हॉस्पिटल के डॉक्टरों की एक कमेटी गठित की गई। जिसमें हमारे ब्यान लिये गए लेकिन हमारी बातें न मानकर सीएमओ ने ही डॉ. शीनू को क्लीन चिट दे दी। इसकी शिकायत शिवाजी कालोनी थाने में दी गई तो पुलिस वालों ने बताया कि जब तक पोस्टमार्टम की रिर्पोट नहीं आ जाती वे कुछ नहीं कर सकते। आईओ कश्मीर ने कहा कि वो डॉक्टर्स से ऊपर नहीं है इसलिए बिना कोई भी कार्यवाही किये बिना केस बंद कर दिया। आशा लता ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों व कमेटी ने मिल-जुलकर डॉ. शीनू शर्मा को क्लीनचिट दे दी है और उनकी शिकायत व आवाज को अनसुना किया जा रहा है।
रूंआसी आशा लता ने आरोप लगाया कि डॉ. शीनू शर्मा उसके बच्चे की कातिल है तथा वे हर हाल में उसे सजा दिलवायेंगी। उन्होंने कहा कि वे हर जगह न्याय की मांग लेकर भटक रही है लेकिन अभी तक कहीं से उसे न्याय नहीं मिल सका है। उसने मंच के अध्यक्ष से उसे न्याय न्याय दिलवाने तथा ऐसी गलत डॉक्टर का लाइसेंस रद्द करवाने की मांग की। क्योंकि ये इसी तरह से लोगों को ठगकर उनकी जान के साथ खेल रही है।
पीड़िता की बात सुनकर मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट दयानंद रंगा ने कहा कि इस मामले में कार्यवाही के लिए जल्द ही उपायुक्त से मिला जायेगा व हर हाल में न्याय दिलवाने के लिए लड़ाई लड़ी जायेगी। उन्होंने प्रशासन को चेताया कि अगर एक माह के अन्दर-अन्दर इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई तो वे बड़े से बड़ा आंदोलन चलाने को मजबूर होंगे।
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