【 नौजवानों संग आस्था-अवस्थापना का संगम खेत खलिहान तक पहुंच बनाए रखने की कोशिश की है योगी सरकार ने लेकिन पिछले बजट के प्रावधानों और जारी राशि को समय से खर्च न कर पाने पर सवाल भी हैं 】
योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पेश अब तक का सबसे बड़ा बजट पहली नजर में राज्य की मौजूदा जरूरतों और राजनीतिक प्राथमिकताओं के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है । शायद इससे बेहतर नियोजन की गुंजाइश भी नहीं थी। मुख्यमंत्री योगी का कहना है कि उनका पहला बजट किसानों, दूसरा अवस्थापना तथा औद्योगिक विकास के लिए और पिछला बजट महिलाओं के लिए खास था । इस बार युवाओं की बारी है। सरकार का इस साल का बजट युवाओं के लिए खास तो है। प्रशिक्षण, नौकरी, स्वरोजगार और उद्यमिता को लेकर युवाओं के लिए खास पैकेज के साथ योगी सरकार ने भारी भरकम 5.12 लाख करोड़ रुपये के आकार वाला बजट है ।
लेकिन सवाल भी कई हैं और इसका जवाब भी मुख्यमंत्री योगी को ही तलाशना होगा । वास्तव में मुख्यमंत्री की मंशा और कोशिशों पर इस बार भी शायद कोई सवाल नहीं है लेकिन उत्तर प्रदेश की आदतन आलसी हो गई नौकरशाही के रवैये में अपेक्षित बदलाव न होने के चलते वे सवाल जरूरी हो जाते हैं जो आमतौर पर महसूस किए जाते रहे हैं ।
इस सरकार का पिछला बजट भी पहले के मुकाबले सबसे बड़ा था लेकिन बजटीय प्रावधानों के सापेक्ष अफसरशाही के ढीलेपन के चलते दस महीना गुजर जाने के बाद भी आधा पैसा खर्च नहीं हो सका है । मिसाल के तौर पर इस बार जिन युवाओं को केंद्र में रखकर बजट की दिशा है, पिछले 12 साल इन्हीं युवाओं के कौशल विकास जैसे विषय के लिए आवंटित 1041 करोड़ रुपए से 899 करोड़ जारी किए गए लेकिन अभी कुछ दिनों पहले तक कुल 452 करोड रुपए ही खर्च हुए । अधिकांश विभागों का यही हाल है जो निश्चित रूप से योगी की अच्छी मंशा पर अफसरशाही की नाकारा रफ्तार के नाते सवाल खड़े करती है।
फिलहाल इस बजट में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ ही आस्था पर खास जोर है।
इस बार बजट का आकार पिछले साल के मुकाबले करीब 7 फीसदी ज्यादा है। राजकोषीय घाटे बीते साल की ही तरह इस बार भी 2.97 फीसदी है। बजट में 10967 करोड़ रुपये की नयी योजनाएं शामिल की गयी हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यह प्रधानमंत्री मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी में उत्तर प्रदेश की भूमिका तय करने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का यह चौथा बजट युवाओं को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। युवाओं के स्वरोजगार के लिए हर जनपद की योजना इस बजट में है। कई कल्याणकारी योजनाओं को समाहित किये यह बजट युवाओं को समर्पित है।
योगी सरकार के इस बार के बजट में जहां अवस्थापना सुविधाओं की बड़ी परियोजनाओं जैसे एक्सप्रेस वे, मेट्रो, सड़कों, हवाई अड्डों व कालेजों व विश्वविद्यालयों के लिए खासा धन का आवंटन किया गया है वहीं पेयजल व जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए भी अच्छी धनराशि की व्यवस्था की गयी है।
बजट में हवाई अड्डों, मेट्रो परियोजनाओं, गंगा एक्सप्रेस वे जैसी अवस्थापना क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं के लिए 5436 करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि का आवंटन किया गया है। सड़कों के लिए लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण सड़क परियोजना, विश्व बैंक परियोजना व अन्य को बजट में लगभग 7400 करोड़ रुपये की धनराशि दी जा रही है। हर घर तक नल से पानी पहुंचाने के मिशन पर आगे बढ़ते हुए प्रदेश 0सरकार ने लगभग 9000 करोड़ रुपये का आवंटन विभिन्न योजनाओं में किया है।
प्रदेश के लाखो प्रशिक्षित नौजवानों को उद्यमी बनाने के लिए योगी सरकार ने युवा हब के नाम से नयी योजना का एलान इस बार के बजट में किया है। इस योजना के तहत 1200 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक लाख नौजवानों को उद्यमी बनाने का अनुमान है। प्रदेश के हर जिले में युवा हब की स्थापना के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गयी है।
गौरतलब है कि बीते साल योगी सरकार ने 4.79 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था जिसमें 21212 करोड़ रुपये की नयी योजनाएं शामिल की गयी थीं।
गंगा एक्सप्रेस वे के लिए 2000 करोड़ रुपये तो जेवर अंतरर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए भी 2000 करोड़ रुपये की धनराशि का आवंटन किया गया है। अयोध्या में बन रहे एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है वहीं रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत नए हवाई अड्डों के लिए बजट में 92.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सालाना बजट में दिल्ली से मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्सटम के लिए 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लिए 358 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है तो आगरा मेट्रों के लिए बजट में 286 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गोरखपुर व अन्य शहरों में मेट्रो के संचालन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआऱ) तैयार की जा रही है। बजट में इन मेट्रों परियोजनाओं के डीपीआर के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के लिए इस बार भी बीते साल के बजट की तरह 250 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
योगी सरकार के बजट में राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) और पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले मूल्य संवर्द्धित कर (वैट) से 91568 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया है जबकि पिछले बजट में यह लक्ष्य 77640 करोड़ रुपये का था।
प्रदेश सरकार के इस बार के बजट में आबकारी शुल्क से 37500 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान रखा गया है पिछली बार यह लक्ष्य 31517 करोड़ रुपये था। इसी तरह स्टांप एवं पंजीयन शुल्क से 23197 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान है जबकि बीते साल के बजट में स्टांप शुल्क से 19179 करोड़ रुपये के राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था। वाहन कर के मद में इस बार के बजट में 8650 करोड़ रुपये की प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है।
ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 5 लाख मकान बनाने के लिए बजट में 6240 करोड़ रुपये, स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में सामुदायिक शौचालय के लिए 5791 करोड़ रुपये के साथ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए 1357 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में की गयी है। बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्रों में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 3300 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है।
युवाओं को रोजगार दिलाने व उन्हें उद्यमी बनाने को लेकर बजट में दो खास एलान किए गए हैं। प्रदेश के नौजवानों को एमएसएमई इकाईयों में आन-जाब प्रशिक्षण देते हुए निश्चित अवधि के रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना शुरु की जा रही है जिसके तहत इन नौजवानों को हर महीने 2500 रुपये का स्टाइपेंड दिया जाएगा। योजना के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में की गयी है। लाखों की तादाद में प्रशिक्षित युवाओं को युवा उद्यमिता विकास अभियान (युवा) के जरिए उद्यम ललगाने के लिए युवा हब बनाया जाएगा। इसके लिए बजट में 1200 करोड़ रुपये दिए गए हैं। हर जिले में युवा हब को स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सहारनपुर, आजमगढ़ व अलीगढ़ में तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना के साथ प्रयागराज में विधि विश्वविद्यालय व गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय बनाया जाएगा।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के बजट भाषण में आस्था को लेकर सरकार की फिक्र साफ नजर आयी अयोध्या में एयरपोर्ट के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटन के साथ ही यहां उच्च स्तरीय पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 85 करोड़ रुपये व तुलसी स्मारक भवन के लिए 10 करोड़ रुपये व्यवस्था की गयी है। वाराणसी में संस्कृति केंद्र की स्थापना के लिए 180 करोड़ रुपये और पर्यटन ईकाई के प्रोत्साहन के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था बजट में की गयी है। काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में रामगढ़ ताल में वाटर स्पोर्ट्स के लिए 25 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
★ चिंता भी होनी चाहिए !
योगी सरकार के लिए यह निश्चित रूप में चिंता की बात है कि अफसरों की लापरवाही के चलते गत वित्तीय वर्ष के बजट में कई विभागों ने आवंटित धनराशि का आधा हिस्सा भी अभी तक विकासकार्यो में खर्च नही किया है। बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, पीडब्ल्यूडी और नागरिक उड्डयन विभाग बजट खर्च में जहां आगे रहे हैं, वहीं राजस्व, कृषि और एमएसएमई जैसे विभाग बजट खर्च में कमजोर साबित हुए हैं।
वास्तव में वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुल 479701.10 करोड़ के बजट की तुलना में प्रदेश सरकार ने दिसंबर तक 84 विभागों को 317951.63 करोड़ रुपये जारी किए थे। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते विभाग सिर्फ 242872.31 करोड़ ही खर्च कर सके हैं।
प्रदेश की सत्ता संभालते ही किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प योगी सरकार ने लिया था। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने कई लोकप्रिय योजनाएं लागू कीं। इसके लिए सरकार ने कृषि विभाग को 6245.91 करोड़ का बजट दिया था और नौ माह में विभाग को महज 4812.21 करोड़ रुपये जारी किए गए, जिसमें विभाग सिर्फ 2658.96 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका।
पर्यटन विभाग को 1022.62 करोड़ का बजट दिया गया। नौ माह में 391.69 करोड़ रुपये जारी भी हुए लेकिन कुल 177.71 करोड़ ही खर्च हो सके।
लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग के लिए 627.98 करोड़ का बजट प्रावधान था। सिर्फ 298.39 करोड़ रुपये दिए गए, और उसमें भी विभाग महज 71.36 करोड़ ही खर्च सका।
योगी सरकार ने पिछले साल युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और कौशल विकास पर 1041.30 करोड़ के बजट का प्रावधान किया था। सरकार ने नौ माह में 899.19 करोड़ रुपये जारी भी किए, लेकिन विभाग ने 452.32 करोड़ रुपये ही खर्च किए। इसी तरह सरकार ने ग्राम्य विकास विभाग के लिए 22481.26 करोड़ का बजट प्रावधान किया। लेकिन विभाग को 40 प्रतिशत से भी कम 8263.78 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए और विभाग ने सिर्फ 4619.82 करोड़ रुपये खर्च किए।
मजे की बात है कि कुछ महकमे बजट खर्च करने में लापरवाह साबित हुए वहीं कई विभागों ने खुलकर खर्च किया। पीडब्ल्यूडी के लिए वित्तीय वर्ष में 23329.82 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया था। नौ माह में विभाग को 17963.57 करोड़ का बजट जारी किया गया। नई सड़कों के निर्माण और सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए विभाग ने 13642.92 करोड़ रुपये खर्च भी किए। इसी तरह नागरिक उड्डयन विभाग ने स्वीकृत 1371.01 करोड़ रुपये में से 1363.14 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें ज्यादातर राशि जेवर एयरपोर्ट के लिए अल्प समय में जमीन अधिग्रहण से लेकर निविदा प्रक्रिया पूरी करने में खर्च की गयी।
(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अध्यक्ष हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)