Utterkatha: Discuss the progress, not the problem!: उत्तरकथा :तकलीफ नहीं, तरक्की की चर्चा  कीजिए  !

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करोना के कष्ट काल में जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो लाखों की संख्या में जो लोग सड़कों पर दिखे, जिनके झुंड  सन 1947 के  शरणार्थियों की तरह  बताए गए  और  जो सबसे ज्यादा  हलकान रहे, उनमें सर्वाधिक  उत्तर प्रदेश के थे । जान का भय,  भविष्य को लेकर आशंका  सहित तमाम सवालों से जिस सूबे को रूबरू होना पड़ा,  उसका कुछ वक्त बाद ही फिर से तरक्की की राह पर चल पड़ना सुकून देता है । प्रवासी कामगारों की घर वापसी के बाद  उनकी रोजी रोटी के लिए की गई कोशिशों की तारीफ हुई है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना काल में उत्तर प्रदेश सरकार के काम की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर चुके हैं और इसने सूबे की तरक्की के लिए संजीवनी का काम किया है । देश का सबसे बड़े सूबा फिलहाल अच्छी खबरों के लिए चर्चा में है।
दरअसल कोरोना संकट, नीचे गिर रहे राजस्व और लड़खड़ा चुकी अर्थव्यवस्था से घबराने की बजाय उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने दनादन कई बड़े फैसले लिए और विकास की डगर चालू हो गई । लॉकडाउन खत्म होते ही सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे और इसके दोनों ओर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के निर्माण सहित  सहित कई अहम मेगा परियोजनाओं पर रफ्तार के साथ न सिर्फ फैसले लिए बल्कि काम भी शुरू कर दिया है। रफ्तार बनी रही तो एक जमाने में तरक्की के नाम पर उपहास झेलने वाला यूपी आने वाले वर्षों में सबसे ज्यादा और बड़े एक्सप्रेस वे के साथ ही सर्वाधिक चार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य हो जाएगा ।
दुनिया भर से भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली कुशीनगर आने वाले पर्यटक अब सीधे वहां के लिए उड़ान भर सकेंगे। कुशीनगर के साथ ही अब उत्तर प्रदेश केरल के बाद दूसरा ऐसा सूबा हो गया है जहां चार इंटरनेशनल एयरपोर्ट होंगे । लखनऊ और वाराणसी हवाई अड्डों से पहले से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ाने संचालित हो रही हैं । मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की मंजूरी दी थी जो 2023 में पूरा हो जाएगा । यह दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा और इसके शुरू होने से दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का बोझ काफी हल्का हो जाएगा । इस एयरपोर्ट के शुरू होने के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास और आगरा के पर्यटन उद्योग को नई उड़ान मिलने की संभावनाएं और प्रबल होंगी ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दो दिन पहले हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को मंजूरी मिलने पर  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ  गदगद हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत  केंद्रीय  कैबिनेट का आभार व्यक्त करने के साथ ही  उन्होंने प्रदेश की जनता को  कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट  मिलने की बधाई भी दी है। सीएम  कहते हैं कि कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने से  निश्चित तौर पर विकास की अपार सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। वास्तव में सिर्फ  तीन वर्ष के अंदर दो नए इंटरनेशनल एयरपोर्ट ,पश्चिम में जेवर और पूर्व में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में एयरपोर्ट की स्वीकृति मिलना प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। केंद्रीय कैबिनेट की घोषणा के बाद  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नई गति देने में कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नई भूमिका होगी। उन्होंने विश्वास  जताया है कि इससे कुशीनगर को दक्षिण-पूर्व एशिया के उन सभी देशों से जोड़ा जा सकेगा जो भगवान बुद्ध से अपना आत्मीय सम्बंध जोड़ते हैं। एयर कनेक्टिविटी मिलने से लोग आसानी से यहां आ सकेंगे और पर्यटन की सम्भावनाएं विकसित होंगी। विशेष तौर पर वह देश जहां पर भगवान बुद्ध के अनुयायियों की संख्या ज्यादा है खासतौर पर थाईलैण्ड, सिंगापुर, कम्बोडिया, जापान, श्रीलंका आदि देश इस एयरपोर्ट के माध्यम से जुड़ेंगे।
बुद्ध के अनुयायियों के लिए खास मुकाम बन चुके उत्तर प्रदेश में बौद्ध सर्किट से जुड़े छह स्थल  हैं। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली- कुशीनगर, पैतृक साम्राज्य स्थल- कपिलवस्तु, प्रथम उपदेश स्थल- सारनाथ और श्रावस्ती में ही उन्होंने जीवन के सर्वाधिक समय चातुर्मास व्यतीत किए। कौशाम्‍बी और संकिसा सहित यह छह महत्वपूर्ण स्थल उत्तर प्रदेश में होने के नाते न केवल बौद्ध पर्यटन की दृष्टि से बल्कि कुशीनगर एयरपोर्ट बनने के बाद रोजगार की सम्भावनाएं भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में बनेंगी।
  वास्तव में लाकडाउन खत्म होने के तुरंत बाद से प्रदेश की कई मेगा परियोजनाओं पर ताबड़तोड़ फैसलों और आर्थिक विकास की राह आसान करने के साथ ही कई जनकल्याणकारी कदमों ने यूपी को खड़ा करने की तरफ कदम बढ़ा दिया है। गंगा एक्सप्रेस वे, बहुमंजिला इमारतों में कारखाने, गन्ना किसानों का त्वरित भुगतान, किसान केंद्र, एक्सप्रेस वे के दोनो ओर औद्योगिक गलियारे का निर्माण और प्रवासी मजदूरों के लिए किराए पर सस्ते मकान जैसी तमाम बड़ी परियोजनाओं व फैसलों पर अमल इसी कोरोना काल में तेजी से हुआ है।
उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए गेमचेंजर साबित होने जा रही प्रदेश ही नहीं देश में एक्सप्रेस वे की सबसे बड़ी परियोजना गंगा एक्सप्रेस वे पर काम अगले महीने से शुरु हो जाएगा। इस 600 किलोमीटर लंबे और 30000 करोड़ रुपये की लागत वाले एक्सप्रेस वे को वाराणसी के मल्टी मोडल टर्मिनल से भी जोड़ा जाएगा।
मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरु करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण की कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को शुरु करते हुए इसे भविष्य में वाराणसी में मल्टी मोडल टर्मिनल से जोड़ने की सभावनाओं का अध्ययन कर, आवश्यक कार्यवाही की जाए। यह निर्देश भी दिए गए हैं कि गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए ट्रांजेक्शन एडवाइज़र की नियुक्ति के सबन्ध में सभी विकल्पों पर विचार करते हुए एक सप्ताह में ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए।
 एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अनुभवी और कुशल प्रोफेशनल नियुक्त करके आसपास के क्षेत्रों को औद्योगिक विकास एवं व्यावसायिक उपयोग के रूप में पहले से ही चिन्हित करने की तैयारी है । गौरतलब है कि गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए कैबिनेट की सैद्धान्तिक सहमति प्राप्त हो चुकी है। इसका डीपीआर भी तैयार कर लिया गया है। यह एक्सप्रेस-वे दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे से प्रारभ होकर प्रयागराज जिले में एनएच19 के बाईपास पर सोरांव तक जाएगा। इसकी कुल अनुमानित लबाई 602.13 किमी होगी। शुरु में 6 लेन का एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा, जिसका 8 लेन में विस्तार किया जा सकेगा। एक्सप्रेस-वे के सभी स्ट्रख्र 8 लेन के बनाए जाएंगे।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर लगभग 37,350 करोड़ रुपए का व्यय होने का अनुमान है। इसमें से भूमि अधिग्रहण की अनुमानित लागत 9,500 करोड़ रुपए है। एक्सप्रेस-वे का निर्माण 12 पैकेज में किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के निर्माण से दिल्ली-प्रयागराज की सड़क मार्ग से यात्रा लगभग 6 घण्टे में की जा सकेगी, जिसमें फिलहाल 11-12 घण्टे लगते हैं। एक्सप्रेस-वे के रास्ते में मेरठ, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, हापुड़, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज जिले पड़ेंगे। ।