उत्तर प्रदेश की जीवनरेखा गंगा को आस्था के साथ रोजीरोटी और पर्यटन जोड़ने की मुहिम शुरू हुई है। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से गंगा किनारे बसे हजारों गांवों की तकदीर बदलने की योजना है।
करीब छह साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बनारस को अपना संसदीय क्षेत्र चुना और पहली मर्तबा काशी विश्वनाथ की धरती पर पहुंचे तो मां गंगा ने बुलाया है, वाला उनका कथन आज तक पूरे भारत में लोगों को याद है। गंगा के प्रति मोदी के प्रयासों को इसके किनारे रहने वालों तक तरीके से पहुंचाने में फिलहाल योगी आदित्यनाथ की पूरी उत्तर प्रदेश सरकार लगी हुई है।
फिलहाल उत्तर प्रदेश में गंगा यात्रा चल रही है। वैसे तो यह दुनिया की सबसे अधिक आस्था और आदर सम्मान प्राप्त नदी के प्रति सरकारी सरोकारों के निर्वहन का प्रयास है लेकिन विपक्ष इसे गंगा यात्रा नहीं, वोट यात्रा की निगाह से देख रहा है।
वास्तव में गंगा किनारे के 1600 गावों से गुजरने वाली इस यात्रा के मूल में जहां इस पौराणिक नदी की निर्मलता वापस लाना, आस्था से लोगों को जोड़ना है वहीं भाजपा इसके सहारे बड़े पैमाने पर उन अति पिछड़ी जातियों से सीधा संवाद व संपर्क बनाए रखना चाहती है जिन्होंने पूर्व में इसके दिग्विजय के रथ में पहिए का काम किया था। गंगा किनारे बसी इन जातियों में केवट, बिंद, निषाद, मल्लाह, कहार से लेकर प्रजापति वगैरा शामिल हैं जो भाजपा के यूपी मिशन को कामयाब बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मुख्यमंत्री योगी के इस महत्वाकांक्षी गंगा यात्रा में प्रत्यक्ष उद्देश्य नदी के किनारे बसे इन पिछड़े गांवों की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना और यहां आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना भी है।
यह स्थापित सत्य है कि पूरे विश्व में ऐसी कोई नदी नहीं है, जिसे गंगा जितना सम्मान मिलता हो। इसे केवल जल स्रोत ही नहीं, बल्कि मां का दर्जा प्राप्त है। वास्तव में यह भारतीय संस्कृति का ही मेरुदंड है। वर्तमान समय में कई भौतिक कारणों से इसमें प्रदूषण बढ़ा है, जिससे इसकी निर्मलता और अविरलता प्रभावित हुई है। बीते कुछ वर्षों में गंगा की स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई प्रयास किए गए। नमामि गंगे परियोजना के तहत इसमें थोड़ी बहुत सफलता भी मिली है। लेकिन अभी तक गंगा को अपना पुराना स्वरूप प्राप्त नहीं हो पाया है। वास्तव में गंगा की समस्या को समग्रता से समझने की आश्यकता है। इसके लिए सरकार के साथ सामूहिक स्वर देने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 27 जनवरी तक 27 जनपदों में 5 दिवसीय गंगा यात्रा निकाली जो शुक्रवार को समाप्त हुई है। दावा किया गया है कि इस यात्रा का उद्देश्य ही गंगा की निर्मलता और अविरतला के साथ ही प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
वास्तव में नादियीं के किनारे सदियों से सभ्यताओं का विकास होता रहा है। नदियां न केवल हमारी प्रेरणा स्त्रोत रही हैं, बल्कि मनुष्यों के लिए पवित्र एवं जीवनदायिनी भी हैं। 1140 किमी. की गंगा यात्रा 26 जनपदों से होकर गुजरेगी। प्रथम चरण में बिजनौर से कानपुर, तो दूसरे चरण में बलिया से कानपुर तक यह यात्रा निकाली जाएगी। इस यात्रा के जरिए प्रदेश सरकार लोगों को गंगा के सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व के बारे में जागरुक करेगी। साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों के द्वार तक पहुंचेगी।
उत्तर प्रदेश में लाखों हेक्टेयर जमीन गंगा के पानी से सिंचित होती है। इस यात्रा के माध्यम से कृषकों की आमदनी दोगुनी करने कि दिशा में गंगा के तटवर्ती सभी ग्राम पंचायतों में जीरो बजट खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर आधारित इस खेती से किसान को न तो अपने उत्पाद को औने-पौने दाम में बेचना पड़ेगा और न ही पैदावार कम होने की शिकायत रहेगी। इसके अलावा फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को फलदार पौध उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं गांवों में ‘गंगा नर्सरी’ की स्थापना के साथ ही, किसानों को ‘गंगा उद्यान’ के लिए प्रेरित करेगी। ‘माटी कला बोर्ड’ के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए 5 दिनों तक प्रशिक्षण शिविर आयोजित होंगी। इसके साथ ही लोगों को मछली पालन और सिंघाड़े की खेती का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार इस यात्रा में गंगा के तटवर्ती क्षेत्र में पड़ने वाले 21 नगर निकायों, 1038 ग्राम पंचायतों और 1638 राजस्व ग्राम में ओडीएफ प्लस के लक्ष्य को पूर्ण करने की समस्त कार्यवाही करेगी। गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में शमशान गृह/घाट का निर्माण कराने के साथ ही गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाएं जाएंगे, जिसमें स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम तथा आयुष्मान योजना के तहत समुचित इलाज प्रारम्भ किया जाएगा। इसके अलावा नगर निकायों में पशु आरोग्य मेला का भी आयोजन होगा। इन कार्यक्रमों के जरिए वो लोग सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़ेंगे, जो अभी तक वंचित रह गए थे।
यात्रा में नगर निकायों में गंगा तट के किनारे समुचित स्थल को चिन्हित कर ‘’गंगा पार्क’’ का विकास किया जाएगा, जहां लोगों को मॉर्निंग वॉक एवं ओपन जिम की सुविधा उपलब्ध होगी। वहीं ग्राम पंचायतों में खेलकूद हेतु ‘’गंगा मैदान’’ की व्यवस्था की जाएगी और खेलकूद की विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा। इन कार्यों से केंद्र सरकार का ‘’फिट इंडिया’’ और ‘’खेलो इंडिया खेलो’’ मूवमेंट का विस्तार होगा। इससे जहां एक तरफ लोग अपने स्वास्थ्य प्रति सजग होंगे, वहीं नई प्रतिभाएं भी निकलकर सामने आएंगी।
गंगा हर हिंदुस्तानी के हृदय में है। यह पवित्रता का पर्याय और हमारी भारतीयता का प्रतीक तो है ही, कइयों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी का संबल भी है। इसके तट पर सभ्यताएं विकसित हुईं और परम्पराएं आगे बढ़ी हैं। संस्कृति के एक लम्बे प्रवाह ने दुनिया को जीने की कला सिखाई है। देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भी गंगा नदी की भूमिका सदियों से महत्वपूर्ण रही है। यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि योगी सरकार की गंगा यात्रा उत्तर प्रदेश के गांवों लिए ‘आर्थिक समृद्धि की यात्रा’ साबित होगी।
गंगा यात्रा के बाद प्रदेश सरकार की योजना इन गांवों को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के साथ ही लोगों को वहां आकर्षित करने की है। सरकार का मानना है कि परंपरागत स्थानों की जगह इस पौराणिक नदी के किनारे बसे गांवों को ईको टूरिज्म सेंटर की तरह विकसित किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन के लिए लोगों में बढ़ते रुझान को देखते हुए प्रदेश सरकार इसे रोजगार सृजन के अवसर के तौर पर भी ले रही है।
★ गरीबों पर भाजपा की नजर, विपक्ष पर प्रहार
गंगा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि दशकों से उपेक्षित बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र का अब तेजी से विकास हो रहा है। वे कहते हैं कि गंगा यात्रा आस्था और अर्थ का संगम है, इसमें सभी का योगदान होना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मां गंगा ने मुझे बुलाया है, क्योंकि गंगा जी को प्रदूषित किया जा रहा था और उसी क्षण पीएम मोदी ने नमामि गंगे की परियोजना से मां गंगा को निर्मल और अविरल करने का प्रण लिया। गंगा जी की निर्मलता का कार्य हमारी सरकार युद्ध स्तर पर कर रही है। कानपुर के सीसामऊ का नाला सीधा गंगा जी में गिरता था, पानी जहर हो रहा था, लेकिन अब एक भी बून्द गन्दा पानी गंगा जी में नहीं गिरता है। उन्होंने कहा कि भगीरथ ने कभी गंगा जी की धारा को गंगा सागर तक ले जाने का कार्य किया था, आज प्रधानमंत्री मोदी मां गंगा के लिए भागीरथ बने हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि गंगा यात्रा महान उद्देश्य के लिए निकाली जा रही है, जिसकी प्राप्ति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही नहीं, सभी लोग योगदान दें। मां गंगा हमारी संस्कार हैं। गंगा जी इस लोक में ही नहीं, बल्कि परलोक में भी हमें मोक्ष प्रदान करती हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से गंगा जी को स्वच्छ बनाने का कार्य शुरू किया, लेकिन उस वक्त की उत्तर प्रदेश सरकार ने इस महान कार्य में कोई सहयोग नहीं दिया। भाजपा के नेता और मंत्री इस दौरान विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कह रहे हैं कि सपा, बसपा और कांग्रेस परिवारवाद और वंशवाद की पार्टी है, उन्होंने जातिवाद का विकास किया। अब उत्तर प्रदेश में राष्ट्रवादी सरकार है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सभी का विकास हो रहा है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह इस यात्रा के दौरान राज्य की पूर्ववर्ती सपा बसपा और कांग्रेस की सरकारों पर राज्य में जमकर डकैती डालने का आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि सपा और बसपा ने तो उत्तर प्रदेश को निपटा ही दिया था, ऐसे समय में आप लोगों ने योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का बागडोर सौंपी। उन्होंने कहा कि के जीवन में खुशहाली लाना है।
स्वतंत्र देव सहित गंगा यात्रा को संबोधित करने वाले सभी बड़े छोटे भाजपा नेता और केंद्र तथा राज्य सरकारों के मंत्री जनता को समझा रहे हैं कि मोदी और योगी का जीवन गरीबों के कल्याण के लिए है।