उत्तर प्रदेश में कोरोना से मुकाबला अब निर्वाचित सरकार नहीं अधिकारियों के हाथों में पूरी तरह से आ गया है। प्रदेश के जिले जिले में निर्वाचित जनप्रतिनिधि और राजनैतिक दलों के नेता अधिकारियों की मनमानी की शिकायतें कर रहे हैं। कोरोना काल में अपनी सुनवाई न होने से और फैसलों को लागू करवाने में शून्य हो चुकी भूमिका से नाराज जनप्रतिनिधि पत्रों और मीडिया के जरिए अपनी भड़ास सार्वजनिक कर रहे हैं। अधिकारियों की गलतबयानी का आलम यह है कि प्रदेश में छोटे व मझोले उद्यमों के दम पर 90 लाख नई नौकरी सृजित कर देने का दावा कर दिया गया है। हकीकत इसके ठीक उलट है। प्रदेश के छोटे मझोले उद्योग खुद को और अपने मौजूदा स्टाफ को बचाने की जंग से जूझ रहे हैं और एसे में उनके लिए नयी नौकरी सृजित कर पाना एक सपने से बढ़कर कुछ भी नही है। सोमवार रात औचक निरीक्षण को निकले बहराइच जिले के भारतीय जनता पार्टी विधायक सुरेश्वर सिंह को दर्जनों मजदूर सड़क पर पैदल घर लौटते मिले। हाल पूंछने पर विधायक के सामने ही प्रवासी मजदूरों का दर्द छलक आया। हजारों किलोमीटर दूर से पैदल, सायकिल और ठेले से लौट रहे इन मजदूरों ने विधायक को पुलिसिया उत्पीड़न, खाना न मिलने और तमाम परेशानियां बतायीं। उन्होंने बताया कि न खाना मिला, न जांच हुयी और न ही प्रशासन से मिलने वाली राशन की किट दी गयी। हाल जान गुस्साए विधायक ने सबके सामने अधिकारियों को फटकारते हुए पूरे जिले को लूट का अड्डा बना देने का आरोप लगाया। विधायक सुरेश्वर ने कहा राशन किटों में घोटाला हो रहा है और सब्जी किसानों से टैक्स माफ होने के बावजूद 6 फीसदी कर लिया जा रहा जो आढ़ती और अधिकारी जेब में रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस दुकान का शटर भर उठा देने पर हजारों की वसूली कर रही और कोरोना के नाम पर लूट खसोट जमकर हो रही है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में कोरोना से जंग पर सरकारी सेना पस्त हो गयी है। विपक्ष के हमलों से बेपरवाह योगी सरकार को अब खुद भारतीय जनता पार्टी के सांसद, विधायक और मेयर चेतावनी दे रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर गुस्सा निकाल रहे हैं। प्रदेश में कोरोना से हुयी मौतों का मुकाबला घर लौट रहे श्रमिकों की दुर्घटना और अन्य परेशानियों से होने वाली मौतों से होने लगा है। उत्तर प्रदेश में आगरा, मेरठ, कानपुर कोरोना के हब बन कर उभरे हैं। आगरा के मेयर नवीन जैन ने जहां कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र लिख अपने शहर को बचाने की अपील की थी वहीं मेरठ से पहले भाजपा विधायक सोमेंद्र तोमर और अब सांसद कांता कर्दम ने खत लिख कर बदहाली के किस्से बयान किए हैं। कोरोना संकट से राहत के लिए फीडबैक लेने के लिए लगायी गयी मुख्यमंत्री कार्यालय की टीम को विधायकों से तमाम शिकायतों से दो चार होना पड़ रहा है। इसी कोरोना काल में भाजपा अपने तीन विधायकों को अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी कर चुकी है। सवालों से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट पर होने वाली नियमित ब्रीफिंग को अब केवल सरकारी मीडिया व एक निजी टीवी न्यूज एजेंसी के लिए सीमित कर दिया है। मेरठ से भाजपा की राज्यसभा सांसद व प्रदेश संगठन की उपाध्यक्ष कांता कर्दम ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मेरठ की खराब हालात की ओर ध्यान दिलाया है। सांसद का कहना है कि मेरठ में कोरोना मरीजों की तादाद 209 और मृतकों की 11 पहुंच गयी है जबकि शहर में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। उनका कहना है कि लाकडाउन का पालन सख्ती से नहीं हो रहा है और दिल्ली रोड, कोटला बाजार व नवीन मंडी में स्थिति विस्फोटक हो गयी है। सभी सब्जी विक्रेताओं के लिए कोरोना टेस्ट जरुरी बताते हुए सांसद कहती हैं शहर का इकलौता मेडिकल कालेज ईलाज के मामले में लचर है। रेड जोन मेरठ में शराब की दुकानों बंद करने का अनुरोध करते हुए कांता कर्दम ने कहा कि अब तो शहरी क्षेत्र के लोग नशा करने के लिए ग्रामीण इलाकों की ओर भाग रहे हैं। कुछ दिन पहले मेरठ के भाजपा विधायक सोमेंद्र तोमर ने इसी तरह का पत्र लिख कर सरकार से अपने जिले को बचाने की मांग की थी।
कोरोना बम के मुहाने पर बैठे उत्तर प्रदेश के आगरा शहर की हालात बेहद खराब हो चुके हैं। कभी देश भर में अपनी सफलता के तौर पर पेश किए गए आगरा माडल की हालात कुछ ही दिन पहले वहां के मेयर नवीन जैन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बतायी थी। आज उत्तर प्रदेश के इस शहर में पूरे प्रदेश के लगभग एक तिहाई कोरोना मरीज हैं। सोमवार तक की सूचना के मुताबिक आगरा में 755 कोरोना पेशेंट है और अब तक 25 की मौत हो गयी है। आगरा में ही एक प्रमुख हिन्दी दैनिक अखबार के पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ की मौत गुरुवार को कोरोना से हो गयी थी। इसी समाचार पत्र के आगरा दफ्तर में काम करने वाले 12 और लोग कोरोना के शिकार हो चुके हैं। प्रदेश सरकार ने अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों को आगरा में स्थिति पर काबू पाने के लिए तैनात किया है। रविवार देर रात में आगरा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और सहायक निदेशक परिवार कल्याण को हटा दिया गया है। कोरोना संदिग्धों को रखने के लिए प्रदेश भर में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों और गरीबों विस्थापितों को खाना देने के लिए बने कम्यूनिटी किचन का बुरा हाल हो चुका है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा क्वारंटाइन सेंटरों से लोगों के भागने की खबरें आ रही हैं। ज्यादातर गांवों में क्वारंटाइन सेंटर कागजों पर चल रहे हैं और यहां रखे गए लोग अपने घरों में खा पी व सो रहे हैं। सुल्तानपुर में क्वारंटाइन सेंटरों का हाल बताते हुए एक स्थानीय पत्रकार कहते हैं कि यहां खाने के नाम पर आधा पेट राशन और स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर कुछ नही है। बलरामपुर जनपद में एक क्वारंटाइन सेंटर का मुआयना करने गए भाजपा विधायकों ने अधिकारियों पर अव्यवस्था पर जमकर भड़ास निकाली। श्रावस्ती जिले में एक सेंटर पर खुद जिलाधिकारी ने खुद दौरा कर कई दिनों से भूंखे प्यासे लोगों को पाया। हर रोज लाखों गरीबों को पका खाने खिलाने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार क कम्यूनिटी किचन की हालात भी अलग अलग जिलों से आ रही है जो चौंकाने वाली है। झांसी में खुद भाजपा के पदाधिकारियों में मेन्यू से इतर खाना पकते देखा। यहां सोमवार को तय मेन्यू दाल चावल रोटी की जगह 32 रुपये की दर से चार-छह पूड़ी व सब्जी तैयार की जा रही है। राजधानी लखनऊ तक में ज्यादातर लोगों को महज एक टाइम ही खाना दिया जा रहा है। तमाम जिलों में कम्यूनिटी किचन चलाने के प्रदेश सरकार की ओर से कोई पैसा नहीं दिया गया है। इन जिलों में बड़े अधिकारी स्थानीय धनपशुओं के सहारे खाना बांटने का काम कर रहे हैं। जनसहयोग के सहारे चलने वाली कम्यूनिटी किचन का भी सरकारी बिल बनाए जाने की शिकायतें कई जिलों से प्राप्त हो रही हैं। प्रदेश में यों तो हर रोज कोरोना संकट से निपटने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की बनाई गयी टीम 11 की बैठक होती है पर उसमें फैसलों, क्रियान्वन से लेकर आगे की रणनीति बनाने जैसे मामलों में न तो किसी मंत्री और न ही जनप्रतिनिधि की कोई भूमिका रहती है। खुद सत्ताधारी दल का संगठन भी कोरोना से लड़ाई से कोसों दूर रखा गया है जिसे बस फैसलों की जानकारी दी जाती है।
(लेखक उत्तर प्रदेश पै्रस मान्यता ििस्मत के अध्यक्ष हैं।) यह इनके निजी विचार हैं।
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