Utter Pardesh : ग्राम प्रधानों और खंड विकास सहायकों के टीबी संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित

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TB sensitization workshop organized for village heads and block development assistants

(Utter Pardesh) हापुड़। खंड विकास कार्यालय, गढ़मुक्तेश्वर के सभागार में शुक्रवार को टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दौरान गढ़मुक्तेश्वर विकास खंड के ग्राम प्रधान और खंड विकास सहायकों का टीबी संवेदीकरण किया गया। खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) विजय कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अ‌भियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस मौके पर बीडीओ ने सभी ग्राम प्रधानों से अपने-अपने गांव के टीबी मरीजों को गोद लेने का आह्वान किया। ग्राम प्रधानों को बताया गया कि टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें भावनात्मक और सामाजिक सहयोग उपलब्ध कराना है। टीबी रोगियों को पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही उपचार पूरा होने तक दवा खाते रहने के लिए प्रेरित करते रहना है। ऐसे करने से टीबी रोगियों को बीमारी से रिकवरी में मदद मिलती है।

एडीओ (पंचायत) अमित कुमार ने कार्यशाला में गांव की स्वच्छता व टीबी उन्मूलन कार्यक्रम पर प्रकाश डाला

कार्यशाला में समाज कल्याण विभाग से एडीओ अविनाश कुमार और मनोज कुमार के अलावा जिला क्षय रोग विभाग से जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) गजेंद्र पाल सिंह आदि मौजूद रहे। सुशील चौधरी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि ‌जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ क्षय रोगियों को उनके घर के नजदीक बनाए गए डॉट से दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।  जिला पीपीएम समन्वयक ने ग्राम प्रधानों से आह्वान किया कि अपने-अपने गांव में टीबी के लक्षणों के बारे में जानकारी दें और यदि किसी व्यक्ति में एक भी लक्षण नजर आता है तो उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी की जांच कराने के लिए प्रेरित करें। दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहना, खांसी के साथ बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, थकान रहना, अचानक वजन कम होना या सीने में दर्द रहना टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने टीबी के हर रोगी को उपचार जारी रहने तक निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाता है। यह राशि सीधे रोगी के बैंक खाते में भेजी जाती है।

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