नई दिल्ली।उत्तराखंड को लेकर आ रही रिपोर्ट ने बीजेपी आलाकमान को चिंता में डाल दिया है।सोशल मीडिया पर मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर पहाड़ी गीत वायरल होने लगे हैं।गीतों के माध्य्म से मुख्यमंत्री को असफल बताया जा रहा है।विभिन्न एजेसियों के सर्वे में मुख्यमंत्री का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।डोईवाला की एक झील से लेकर मुंबई के उधोगपति सलाहकार पर गंभीर भरस्टाचार के आरोप सामने आए हैं।कांग्रेस ने भी सदन में इन मामलों को उठाया है।बीजेपी आलाकमान के सूत्रों की माने तो 5 राज्यों के चुनाव के बाद उत्तराखंड को लेकर अहम फैसला किया जा सकता है।बीजेपी पहले भी एक बार चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने का प्रयोग कर चुकी है।तब आज के केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था।हालांकि उस समय बीजेपी आलाकमान आज की तरह ताकतवर नही था जिसके चलते भुवनचंद्र खंडूरी जैसे मुख्यमन्त्री को बीजेपी व कांग्रेस बालों ने मिलकर हरा दिया था।
लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए है।बीजेपी के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा चेहरा है जो राज्यों मे भी पार्टी को चुनाव जितवाने की क्षमता रखते हैं।बिहार इसका ताजा उदाहरण है।उत्तराखंड में भी मोदी आज भी पूरी तरह से लोकप्रिय हैं।इसकी बानगी त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ बनाये गए पहाड़ी गीत से झलकती है।पवन सेमवाल के वीडियो कैसेट के शीर्षक मोदी त्वे से बैर नी,झांपु तेरी खैर नी एक तरह मुख्यमंत्री पर सीधा कटाक्ष है।इसमें मुख्यमंत्री का सीधे नाम नहीं लिया गया है,पर इशारा बहुत कुछ कहता है।इसका सीधा मतलब है मोदी तुझसे बेर नही,झांपु तेरी खेर नही है।चार साल से बैठा है,काम कुछ नही किया।प्रधानमंत्री से अपील की जा रही है मोदी उत्तराखंड बचाओ झांपु को भगाओ।इस तरह के कई व्यंग गीत सोशल मीडिया में वायरल किये गए हैं।इससे सरकार की छवि के साथ साथ पार्टी पर भी असर पड़ रहा है।उत्तरखण्ड एक मात्र राज्य जिसे लेकर लगातार चिंताएं जताई जा रही है।मुख्यमंत्री अपने व्यवहार और कार्यप्रणाली को लेकर सवालों के घेरे में हैं।सबसे बड़ा किसी से न मिलने का आरोप कार्यकर्ता ही लगाते है।कुछ विधायको ओर नेताओं ने पिछले दिनों आलाकमान से मिल शिकायत भी की है।भाई भतीजे और चार अफसरों की चौकड़ी उत्तराखंड सरकार को चलाने की शिकायतें भी आलाकमान तक पहुंचाई गई हैं।डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में बन रही झील के आसपास जमीन की ख़रीद फरोख्त पर भी विवाद है।इसी तरह मुंबई से लाये गए एक सलाहकार की कंपनी का मामला भी विधानसभा में उठ चुका है।विवाद बढ़ने पर सलाहकार का नाम कंपनी से हटा दिया गया।उत्तराखंड में यूपी के साथ ही अगले साल चुनाव होना है।यूपी में जहाँ मुख्यमंत्री योगी लोकप्रियता के शिखर में हैं वही उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत सबसे कमजोर सीएम के रूप में उभरे हैं।ऐसे संकेत हैं कि आलाकमान 5 राज्यों के चुनाव के बाद मई में उत्तरखण्ड को लेकर अहम फैसला कर सकता है।सीएम पद की रेस में रमेश पोखरियाल निशंक,अजय भट्ट,तीरथ सिंह रावत,सतपाल महाराज आदि के नाम की चर्चा है।
-अजीत मैंदोला