Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम जारी

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Uttarakhand Tunnel Accident
उत्तरकाशी में टनल में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम जारी

Aaj Samaj (आज समाज), Uttarakhand Tunnel Accident, देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निमार्णाधीन सिल्क्यारा टनल में फंसे 40 मजदूरों को नई अमेरिकन आगर मशीन से सुरक्षित बाहर निकालने का काम जारी है। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर स्थित इस सुरंग के अंदर मंगलवार को उस समय मजदूर फंस गए थे जब इसका कुछ हिस्सा धंस गया था। हादसे के बाद से कई टीमें में मजदूरों को बचाने के काम में लगी हैं लेकिन फिलहाल कामयाबी नहीं मिली है।

  • 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा

2 किमी की खाली जगह में फंसे हैं श्रमिक, सभी सुरक्षित

सुरंग के अंदर सभी श्रमिक सुरक्षित बताए जा रहे हैं, जिन्हें पाइप के माध्यम से लगातार आॅक्सीजन, पानी, सूखे मेवे सहित अन्य खाद्य सामग्री, बिजली, दवाइयां आदि पहुंचाई जा रही हैं। वहीं अब मलबों के बीच से पाइप डालने के लिए बरमा ड्रिलिंग मशीनें लगाई गई हैं।

सेना के हरक्यूलिस विमान से हैवी आगर मशीन को अलग-अलग पार्ट्स में 15 नवंबर को दिल्ली से उत्तराखंड के चिन्यालीसौड़ हेलिपैड लाया गया और वहां से घटनास्थल पर पहुंचाया गया। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने कहा, मजदूर टनल के अंदर 2 किमी की खाली जगह में फंसे हुए हैं। इस गैप में रोशनी है और हम खाना-पानी भेज रहे हैं।

नई मशीन से बढ़ी हैं उम्मीदें

नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की भी रेस्क्यू में मदद ली जा रही है। सुरंग में 45 से 60 मीटर तक मलबा जमा है जिसमें ड्रिलिंग की जानी है। गुरुवार शाम सात बजे तक 21 मीटर तक मशीन से टनल में ड्रिल की जा चुकी थी।अमेरिकन मशीन के रेस्क्यू साइट पर पहुंचने के बाद गुरुवार को पहले उसकी पूजा की गई और फिर मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। इस मशीन से रेस्क्यू टीम को ड्रिलिंग करने में आसानी होगी। इसकी मदद से ही ड्रिलिंग कर 900 एमएम के पाइप इस तरफ से उस तरफ तक पहुंचाने का प्लान बनाया गया है। इससे मजदूरों को सेफ निकालने की उम्मीद बढ़ी हैं।

एक घंटे में 5-6 मीटर तक ड्रिल करती है मशीन

राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया, 25 टन की हैवी आगर मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल करती है। उन्होंने कहा, अगर, ये मशीन काम करती है तो अगले 10 से 15 घंटे में श्रमिकों को रेस्क्यू किया जा सकता है। हालांकि, यह अंदर की परिस्थितियों पर भी निर्भर करेगा।

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