(Uttar Pradesh News) अजय त्रिवेदी। उत्तर प्रदेश के बाजारों में पहली बार खाद्य तेलों के दाम सरसो तेल से भी उपर निकल गए हैं। बीते कुछ महीनों में ही खाद्य तेलों के दाम 13 से 15 फीसदी तक बढ़े हैं और इसका असर रसोई से लेकर अर्थव्यवस्था तक पर नजर आने लगा है।
हाल के दिनों में शेयर बाजार में और खासकर एफएमसीजी कंपनियों में उतार-चढ़ाव को इसी से जोड़कर देखा जा सकता है
राजधानी लखनऊ के खुदरा बाजारों में दीवाली से शुरु हुयी खाद्य तेलों की तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है और इन दिनों इसके दाम सरसों तेल के आसपास चल रहे हैं। पांडेगंज थोक गल्ला मंडी में खाद्य तेलों में कुछ ब्रांड के दाम सरसों तेल के मंहगे हो चले हैं। व्यापार मंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे हरीशंकर मिश्रा का कहना है कि केंद्र सरकार ने पाम आयल और अन्य खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है जिसका असर बाजार में दिखने लगा है। उनका कहना है कि आयात शुल्क में की गयी वृद्धि अब अर्थव्यवस्था पर सीधा असर दिखाने लगी है। हाल के दिनों में शेयर बाजार में और खासकर एफएमसीजी कंपनियों में उतार-चढ़ाव को इसी से जोड़कर देखा जा सकता है।
लखनऊ में रानीगंज व्यापार मंडल पदाधिकारी आशुतोष बाजपेयी का कहना है के खाद्य तेलों में आयी तेजी का असर रेस्टोरेंटों से लेकर बेकरी और यहां तक कि कास्मेटिक्स बनाने वालों पर भी पड़ा है।
संशोधन के बाद प्रभावी आयात शुल्क 13.75% से बढ़कर 33.75% हो गया
उनका कहना है कि पाम आयल का इस्तेमाल कई तरह के साबुन, बिस्कुट से लेकर नमकीन और अन्य चीजों के बनने में होता है। आयात शुल्क बढ़ने से पाम आयल काफी मंहगा हुआ है जिसका असर सभी पड़ना लाजिमी है। बाजपेयी कहते हैं कि सरकार द्वारा सितंबर में आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया गया जिसके बाद इसे परिष्कृत पाम तेल के लिए 32.5% और कच्चे तेल के वेरिएंट के लिए 20% तक कर दिया गया। संशोधन के बाद प्रभावी आयात शुल्क 13.75% से बढ़कर 33.75% हो गया।
हाल के महीनों में कच्चे पाम तेल की लागत में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है, जो दिसंबर 2024 तक 1,280 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई है। यह उछाल पूरे स्पेक्ट्रम में फैला हुआ है, जो सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की कीमतों को काफी प्रभावित कर रहा है। इसका असर घरेलू बजट में पहले से ही दिखाई दे रहा है।थोक व्यापारियों का कहना है कि भारत में खाद्य तेल की खपत का 57% हिस्सा आयात पर निर्भर है, इसलिए इस नीतिगत बदलाव का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। बीते तीन महीनों में ही खाद्य तेलों के दाम 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में साबुन से लेकर केक और बिस्कुट तक बनाने वाली कंपनियां या तो दाम बढ़ाएंगी या फिर अपनी पैकिंग में वजन कम करेंगी। कुल मिलाकर आम ग्राहक की जेब पर ही असर पड़ेगा।
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