Lucknow Chawal Gali, अजय त्रिवेदी,(आज समाज), लखनऊ: कभी उम्दा चावलों के व्यापार के लिए मशहूर रही पुराने लखनऊ की चावल वाली गली अब रोटियों की गमक से गुलजार है। लखनऊ के चौक इलाके में चावल वाली गली की बनी किस्म-किस्म की रोटियां देश के तमाम शहरों को भेजी जा रही हैं वहीं खाड़ी देशों से लेकर यूरोप तक से आर्डर आते हैं।

100 से ज्यादा दुकानों पर बनती हैं रोटिया

चावल वाली गली में आज 100 से ज्यादा दुकानों पर रोटियां बनाने का काम होता है और इनमें से भी कुछ के पास इतने ज्यादा आर्डर होते हैं कि दिन-रात काम चलता है। पुराने लखनऊ के अकबरी गेट इलाके में मौजूद चावल वाली गली के शीरमाल, बाकरख्वानी और ताफतानी रोटियां मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और भोपाल की शादियों में भेजी जाती है।

रोटियों का कारोबार कर रहे अकील अहमद

कई दशकों से रोटियों का कारोबार कर रहे अकील अहमद के मुताबिक अकेले इस गली से सालाना 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। उनका कहना है कि सहालग के दिनों में मुस्लिम और हिन्दू दोनो परिवारों की शादियों में यहां से रोटियां भेजी जाती हैं। आम दिनों में ही इस इलाके से लाखों की तादाद में रोटियां बिक जाती हैं जबकि शादी-ब्याह के सीजन में बिक्री कई गुना बढ़ जाती है।

खाड़ी देशों से आते हैं सबसे ज्यादा आर्डर

चावल वाली गली की पहली दुकान और स्विगी व जोमैटो पर सबसे मशहूर सलमान शीरमाल वाले के यहां सबसे ज्यादा आर्डर खाड़ी देशों से आते हैं। उनका कहना है कि लखनऊ से सीधी उड़ान होने के बाद से बाहर के देशों से आर्डर कई गुना बढ़ गए हैं। आम ग्राहकों के लिए तैयार की जाने वाली शीरमाल 10 रुपए और 12 रुपए में बिकती है जबकि खास शादियों के लिए खालिस दूध, मेवे, मक्खन और अंडे से बनने वाली शीरमाल की कीमत 60 रुपए से लेकर 300 रुपए तक होती है।

खमीरी रोटी, धनिया रोटी, नान और रूमाली रोटी

मुस्लिम शादियों, वलीमें, अकीके व अन्य कार्यक्रमों में परोसी जाने वाली खमीरी रोटी, धनिया रोटी, नान और रूमाली रोटी की खासी मांग इस गली की दुकानों से की जाती है। चावल वाली गली में उमर भाई रोटी वाले के नाम से कई दुकानों के मालिक उमर अहमद का कहना है कि गली में खमीरी, गिरदा, ताफ्तानी, कुल्चा, बाकरख्वानी, रूमाली, धनिया नान, मुगलई नान, बेसनी रोटी और शीरमाल जैसी 30 तरह की रोटियां बनाई जाती हैं। उनके मुताबिक यूपी के तमाम शहरों से आर्डर हर रोज आते हैं और राजधानी लखनऊ में तमाम अवधी जायके वाले रेस्टोरेंटों में दैनिक सप्लाई जाती है। उमर का कहना है कि धनिया रोटी 8 रुपए तो नान 6 रुपए में मिल जाती है जबकि रूमाली रोटी 4 रुपए मे भी मिल जाती है।

मेवे वाली इलाहाबादी रोटी

इसी गली में मेवे वाली इलाहाबादी रोटी के लिए मशहूर जुनैद अहमद का कहना है कि भारत से लंदन जा बसे लोग भी यहां से रोटियां मंगाते हैं। उनका कहना है कि मावा और ड्राईफ्रूट से बनी इलाहाबादी रोटी कई दिनों तक खराब नहीं होती है और बाहरी देशों से इसके आर्डर अक्सर आते हैं। जुनैद कहते हैं कि लखनऊ और आसपास के शहरों में रहने वाली बड़ी तादाद में शिया मुसलमानों की आबादी में मुहर्रम के दिनों में होने वाली मजलिसों में बांटने के लिए यहां की रोटी की भारी मांग रहती है। मुहर्रम की मजलिसों में तबर्रुक (प्रसाद) के तौर पर बांटने के लिए बाकरख्वानी, खमीरी और शीरमार रोटियों के आर्डर सबसे ज्यादा मिलते हैं।

पहले चावल फिर तवायफों के लिए मशहूर रह चुकी है गली

जानकार बताते हैं कि यह गली पहले चावल के लिए फिर तवायफों के लिए मशहूर रह चुकी है। उनका कहना है कि 200 साल पहले यहां उम्दा किस्म के चावल का व्यापार होता था। जब अंग्रेजों ने यहां 1857 की गदर के बाद विक्टोरिया स्ट्रीट के नाम से सड़क बनाई तो इलाके में तवायफों के कोठे आबाद हो गए थे। बाद में सरकार ने 60 के दशक में तवायफों को यहां से हटाया और रोटियों की दुकाने सजने लगी।

चावल वाली गली में ही रोटी के 3000 से ज्यादा कारीगर

अकेले चावल वाली गली में रोटी के 3000 से ज्यादा कारीगर काम करते हैं जबकि सहालग के दिनों में यह तादाद बढ़कर 5000 से ज्यादा हो जाती है। वैसे तो चावल वाली गली में 30 से भी ज्यादा किस्मों की रोटियां बनती और बिकती हैं पर सबसे ज्यादा मांग यहां की शीरमाल की होती है। शीरमाल की ईजाद भी लखनऊ में मानी जाती है और इसे नवाबों की रसोई की जीनत भी कहा जाता रहा है।

शीरमाल की कीमत 300 रुपए प्रति पीस तक

आमतौर पर 10-12 रुपए में मिलने वाली शीरमाल की कीमत 300 रुपए प्रति पीस तक जाती है। शीरमाल जहां सबसे ज्यादा बिकती है वहीं एक समय में बाजार से गायब हो चली बाकरखानी रोटी इन दिनों फिर से मांग में आ गयी है। चावल वाली गली में 15 रुपए से लेकर 120 रुपए तक बाकरखानी रोटी मिल जाती है। हसीबुल कहते हैं कि बाकरखानी रोटी ज्यादातर आर्डर पर तैयार होती हैं। लखनऊ के बाहर खासकर मुंबई और कोलकाता से इसके लिए आर्डर आते हैं। वहीं विदेशों में मुहर्रम के दिनों में तो लंदन और कनाडा तक से बाकरखानी रोटियों के आर्डर आते हैं।

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