लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गुरुवार को दावा किया कि वर्ष 2018-19 में नीति आयोग की स्वास्थ्य सम्बन्धी रैंकिंग में राज्य शीर्ष तीन सूबों में शामिल होगा। सिंह ने विधान परिषद में सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में माना कि नीति आयोग की देश के बड़े राज्यों की स्वास्थ्य सम्बन्धी सूची में उत्तर प्रदेश आखिरी 21वीं पायदान पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 और 2017-18 में भी उत्तर प्रदेश इस स्वास्थ्य रैकिंग में अंतिम 21वें स्थान पर ही था। मार्च 2017 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद इतने बड़े राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में तुरंत सुधार सम्भव नहीं था, मगर 2018-19 की रैंकिंग में उत्तर प्रदेश शीर्ष तीन में शामिल होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य सूचकांक की गणना 23 बिंदुओं पर की जाती है। उनमें से 14 पर सरकार ने सुधार किया है, तीन पर स्थिति यथावत है जबकि पांच बिंदुओं पर गिरावट दर्ज की गयी है। इन पर काम किया जा रहा है। सदन में सपा और विपक्ष के नेता अहमद हसन ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य की स्थिति बेहद खराब है। सरकारी डॉक्टर इस्तीफा दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ‘वॉक इन इंटरव्यू’ के जरिये 1688 नये चिकित्सकों की भर्ती की गयी है। वर्ष 2017 में जब भाजपा की सरकार बनी थी तो पीएमएस संवर्ग में 7348 पद खाली थे। इस वक्त 5972 पद रिक्त हैं।