Uttar Pradesh Election 2022 Update हमेशा जनता के पाले में, स्वार्थ के लिए घुटने नहीं टेकूंगा : वरुण गांधी

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Uttar Pradesh Election 2022 Update हमेशा जनता के पाले में, स्वार्थ के लिए घुटने नहीं टेकूंगा : वरुण गांधी

आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली :

Uttar Pradesh Election 2022 Update : हमेशा चर्चित रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद और मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी फिर सुर्खियों में हैं। वे अपनी ही सरकार पर आक्रामक हैं। उत्तर प्रदेश में जब कुछ मंत्रियों और विधायकों ने पाला बदला तो वरुण की भावी रणनीति को लेकर भी आकलन लगाया जाने लगा। अटकलें तेज हो गई कि वह किस पाले में हैं। यदि उनसे सवाल पूछा जाए तो जवाब मिलता है कि मैं हमेशा जनता के पाले में। जनता के सवाल उठाता रहूंगा। अपने स्वार्थ के लिए मैं घुटने नहीं टेक सकता।

बेटी की एफडी से कोरोना की दवाएं दीं Uttar Pradesh Election 2022 Update 

वे कहते हैं कि राजनीति में स्वार्थ साधने नहीं आया। सांसद के रूप में वेतन तक नहीं लेता। (Uttar Pradesh Election 2022 Update) न सरकारी घर और अन्य सरकारी सुविधाएं। मां और वह ईमानदारी से जन स्वाभिमान की रक्षा की राजनीति करते हैं, लोगों को अपना परिवार मानते हैं। कोरोना महामारी के दौरान जब मेरे संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में आक्सीजन सिलेंंडर का अभाव हो गया, सरकारी अस्पतालों में जरूरी दवाएं नहीं मिल रही थीं, तो मैंने अपनी बेटी की एफडी तोड़कर उन पैसों से पीलीभीत में आक्सीजन सिलेंडर और दवाएं पहुंचाई।

जनता ने मुद्दे उठाने के लिए सांसद चुना Uttar Pradesh Election 2022 Update 

मैं जनता के खेमे में हूं। जनता ने मुझे किसलिए सांसद चुना है, उनके मुद्दे उठाने के लिए। सरकारें आएंगी, (Uttar Pradesh Election 2022 Update) जाएंगी, यही लोकतंत्र है। देखना होगा कि क्या ये चुनाव लोगों से जुड़े जरूरी और बुनियादी मुद्दों का ध्यान रख रहे हैं या ये राजनीतिक पार्टियों के नारों के जाल में उलझ गए हैं।

उत्तर प्रदेश चुनाव का ये लगाया आंकलन

वे बोले किसी भी चुनाव को 80:20 या 85:15 के सांचे में नहीं देखना चाहता। मेरे हिसाब से किसी भी वोटर को धर्म या जाति के आधार पर देखना ही गलत है। मैं तो वोटर को सबसे बड़ा ‘स्टेक होल्डर’ मानता हूं। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को अपने वोट के जरिये इन मूल सवालों के जवाब देने हैं कि क्या इस पांच साल की सरकार में जमीन पर भ्रष्टाचार कम हुआ? क्या किसानों के साथ न्याय हुआ? क्या महंगाई की मार से जनता को राहत मिली है? संविदा कर्मचारियों को इंसाफ के लिए और कितना इंतजार करना होगा, एक और बड़ा सवाल कि क्या युवाओं को रोजगार मिला? किसी भी चुनाव को ऐसे बुनियादी और जरूरी सवालों के जवाब देने ही पड़ते हैं।

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