Himachal Assembly
मांगें मनवाने के लिए आंदोलन से दबाव डालना सही नहीं : मुख्यमंत्री
लोकिन्दर बेक्टा, शिमला।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की बहाली को लेकर वीरवार को विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और बाद में सदन से वाकआउट भी किया। विपक्ष इस मुद्दे पर नियम 67 के तहत दिए गए स्थगन प्रस्ताव पर तत्काल चर्चा की मांग कर रहा था। विपक्ष की इस मांग को विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इसी मुद्दे पर कुछ विधायकों ने सवाल पूछे हैं और सदस्य प्रतिपूरक सवाल के माध्यम से मामले की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसलिए इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव की मंजूरी नहीं दी जा सकती।
कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने ओल्ड पेंशन बहाल करने का मुद्दा उठाया
विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के जगत सिंह नेगी ने ओल्ड पेंशन बहाल करने का मुद्दा उठाया और सरकार पर इस मुद्दे पर कर्मचारियों के आंदोलन को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हजारों कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सड़कों पर है, लेकिन सरकार कर्मचारी मुद्दों पर बात करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के इतिहास में पहली बार कर्मचारियों को कानून का डर दिखाकर आंदोलन से रोका जा रहा है।
कर्मचारियों को धरने-प्रदर्शन तक की इजाजत नहीं दी जा रही : मुकेश अग्निहोत्री
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इसी मुद्दे पर कहा कि विपक्ष ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव दिया है और इस पर तुरंत चर्चा करवाई जाए। उन्होंने सरकार पर कर्मचारियों की आवाज कुचलने की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि कर्मचारियों को धरने-प्रदर्शन तक की इजाजत नहीं दी जा रही है। यही नहीं, कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और धरने-प्रदर्शनों को रोकने को धारा 144 लगाई गई है जो लोकतंत्र का तकाजा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन को घोषणा करनी चाहिए।
दोनों ओर से शोरगुल होता रहा Himachal Assembly
इस दौरान सदन में दोनों ओर से शोरगुल होता रहा और जब विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने व्यवस्था देते हुए इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव को रद्द कर दिया तो पूरा विपक्ष नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच पहुंच गया। इस दौरान माकपा के राकेश सिंघा भी कांग्रेस के साथ कुछ देर तक सदन के बीचोंबीच नारे लगाते रहे और बाद पूरा विपक्ष वाकआउट कर सदन से बाहर चला गया। हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल की कार्यवाही आरंभ कर दी, जिसमें विपक्ष के सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया।
मांगें मनवाने के लिए आंदोलन के माध्यम से दबाव डालना सही नहीं – जयराम ठाकुर Himachal Assembly
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि वाकआउट करना विपक्ष की आदत बन गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में नेतृत्व की भारी कमी है और उसे नारे लगाने तक के लिए सीपीएम का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे लगता है कि कांग्रेस ने अपनी लीडरशिप सीपीएम को आउटसोर्स कर दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनपीएस 2003 में लागू हुई थी और उस समय भाजपा सत्ता में नहीं थी। उस समय वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने इसे लागू किया था, लेकिन आज वही कांग्रेस ओपीएस को लागू करने की मांग कर रही है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि मांगें मनवाने के लिए आंदोलन के माध्यम से दबाव डालना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आज जो कर्मचारी विधानसभा के बाहर धरना-प्रदर्शन के लिए पहुंचे हैं, वह कांग्रेस और माकपा की विचारधारा से जुड़े हैं। ये वही कर्मचारी हैं जो अपने काम की कम जिम्मेदारी और पार्टी की ज्यादा निभाते हैं। उन्होंने ओपीएस के लिए आंदोलन कर रहे कर्मचारियों से सरकार के सामने अपनी बात सौहार्दपूर्ण तरीके से रखने की अपील की और इसके बाद फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने माकपा और कांग्रेस पर कर्मचारियों को भड़काने का आरोप भी लगाया।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस ने राजस्थान में भले ही ओपीएस लागू करने की घोषणा की है, लेकिन इसे लागू करना क्या संभव है, यह बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को आंदोलन से रोकने के लिए जो प्रतिबंध लगाए हैं, इस तरह के प्रतिबंध कांग्रेस अपनी सरकार में बीसियों बार लगा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के लिए हमेशा संवेदनशील रही है और समय-समय पर उनकी सभी मांगें मानी गई हैं, क्योंकि कर्मचारियों की प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी है। यह कमेटी देखेगी कि क्या ओपीएस लागू हो सकती है या नहीं।
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