Aaj Samaj (आज समाज), UP Varanasi News, वाराणसी: विश्व प्रसिद्ध धर्मनगरी वाराणसी में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां दो बेटिंया 358 दिन तक अपनी मां के शव के साथ कमरे में कैद थीं और पड़ोसियोें को भी इसकी भनक नहीं लगने दी। बेटियों ने अंतिम संस्कार न करने का कारण पैसे न होना बताया है। मामला लंका थाना क्षेत्र के मदरवा गांव का है। शुरुआती जानकारी के मुताबिक किसी बीमारी के कारण ऊषा त्रिपाठी की मौत पिछले साल 8 दिसंबर को हो गई थी और उसके बाद उसकी बेटियों ने शव का अंतिम संस्कार न कर उसे एक कमरे में रख दिया।
रिश्तेदार के घर आने पर चला मौत का पता
ऊषा त्रिपाठी का कोई रिश्तेदार बुधवार को मदरवा गांव में उनके घर पहुंचा तो पता चला कि ऊषा त्रिपाठी की मौत हो चुकी है और उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया। सुनकर पड़ोसी भी आश्चर्यचकित रह गए। घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुुंची पुलिस ने जबरन घर का दरवाजा तोड़ा और अंदर देखा, ऊषा की दोनों बेटियां पल्लवी और वैश्विक त्रिपाठी कंकाल के साथ बैठी थीं। 27 साल की पल्लवी संतक है और वह बड़ी हैं जबकि वैश्विक त्रिपाठी छोटी है और वह
दसवीं में पढ़ती है।
सामन और गहने बेचकर घर का खर्च चलाया
पुलिस ने दोनों बेटियों को हिरासत में लेकर जब पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि बीमारी के कारण मां की मौत आठ दिसंबर 2022 को हो गई थी और पैसे के आभाव में वे अंतिम संस्कार नहीं कर पार्इं। पुलिस ने दोनों से यह भी पूछा कि एक साल तक घर का खर्च कैसे चलता रहा। इस पर उन्होंने कहा कि घर का सामन और गहने बेचकर खाने का इंतजाम किया। पड़ोसियों के मुताबिक ऊषा त्रिपाठी के पति की मौत दो साल पहले हो गई थी।
मौत नेचुरल या हत्या, कई एंगल से जांच में जुटी पुलिस
पुलिस कई एंगल से जांच कर रही है। दोनों बेटियों की पढ़ाई एक साल तक कैसे चली। घर का खर्च कैसे निकल रहा था। ऊषा त्रिपाठी की मौत नेचुरल थी या हत्या। पुलिस इन सभी सवालों को तलाशने में जुटी है। लंका थाना प्रभारी ने बताया कि कंकाल का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है और रिपोर्ट के बाद ही मौत के कारणों का खुलासा होगा। उन्होंने बताया कि दोनों ही लड़कियां मानसिक रूप से बीमार भी दिख रही हैं।
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