Up News : प्रतिष्ठा का सवाल बने यूपी के उपचुनाव, योगी ने लगाई 30 मंत्रियों की ड्यूटी

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UP News : अनुपूरक बजट ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की ओर एक कदम, योगी ने कहा यूपी रेवेन्यू सरप्लस स्टेट
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

Up News | अजय त्रिवेदी, लखनऊ| लोकसभा चुनावों में अपेक्षा के अनुरूप नतीजे न मिलने के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल्द होने वाले दस विधानसभी सीटों के उपचुनावों को प्रतिष्ठा का प्रशन बना लिया है।
बीते एक महीने से भी ज्यादा समय से उपचुनावों की तैयारी में जुटे योगी ने हर सीट पर प्रदेश सरकार के मंत्रियों की ड्यूटी लगा दी है। प्रत्येक सीट पर एक कैबिनेट मंत्री के साथ दो राज्यमंत्री को प्रभारी बना दिया गया है।

करहल और कुंदरकी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर दो-दो कैबिनेट मंत्रीयों को प्रभारी बनाया गया है। इस तरह से प्रदेश सरकार के 13 कैबिनेट और 17 राज्यमंत्री उपचुनाव में जुटा दिए गए हैं। बुधवार को ही प्रभारी मंत्रियों के साथ उपचुनाव की समीक्षा करते हुए योगी ने उनसे हफ्ते में कम से कम दो रातें उपचुनाव वाले क्षेत्रों में ही गुजारने के निर्देश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश में जल्द ही कुंदरकी, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, फूलपुर, मझवा, मीरापुर, गाजियाबाद, खैर व सीसामऊ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।

इनमें से सीसामऊ की सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के आपराधिक मुकदमें में सजा होने के चलते खाली हुयी है जबकि बाकी सीटों के विधायक हाल ही में लोकसभा का चुनाव जीत गए हैं। इनमें से सीसामऊ, कुंदरकी, मिल्कीपुर, कटेहरी और करहल सीटें सपा ने तो गाजियाबाद, खैर, फूलपुर भाजपा ने और मझवा सीट उसके सहयोगी निषाद पार्टी व मीरापुर राष्ट्रीय लोकदल ने जीती थी।

इन उपचुनावों में मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश भाजपा संगठन की ओर से दसों सीटें जीतने का दावा किया जा रहा है। हालांकि उसके लिए सपा के कब्जे में रही पांचों सीटों पर खासी चुनौती है। इनमें सीसामऊ और कुंदरकी की सीटों पर भारी तादाद में अल्पसंख्यक वोट है और यहां 2017 में भाजपा के प्रचंड बहुमत मिलने की दशा में भी सपा जीती थी। कटेहरी की सीट कद्दावर नेता लालजी वर्मा के दबदबे वाली है वहीं करहल की सीट से खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव विधायक चुने गए थे और ये उनके परिवार की पैतृक सीट रही है।

मिल्कीपुर सीट अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद चुने जाने के बाद खाली हुयी है। यहां दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों की खासी तादाद है। उपचुनावों में भाजपा के लिए शहरी आबादी वाली गाजियाबाद और कुछ हद तक खैर की सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी जगहों पर खासी मुश्किल नजर आती है। हालांकि खैर सीट पर आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर रावण का खासा प्रभाव है और वो भी कुछ गुल खिला सकते हैं।

मीरापुर से पिछली बार रालोद के चंदन चौहान जीते थे जब सपा के साथ गठबंधन था। इस बार भाजपा मीरापुर की सीट पर अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है। मझवा की सीट पर निषाद पार्टी के विधायक जीते थे और इस बार उसकी दावेदारी इस सीट पर है। जिस तरह पिछड़ों, अल्पसंख्यकों की गोलबंदी लोकसभा चुनावों में सपा के पक्ष में दिखी उसे देखते हुए फूलपुर की सीट को बरकरार रखना भी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी।

उपचुनाव की सीटों को लेकर एनडी के सहयोगी दल निषाद पार्टी व रालोद अपना हिस्सा मांग रहे हैं तो इंडिया गठबंधन में सपा की सहयोगी कांग्रेस भी कुछ सीटों पर लड़ना चाहती है। निषाद पार्टी अपने कब्जे वाली मझवा के अलावा फूलपुर सीट मांग रही तो रालोद अपनी मीरापुर सीट के अलावा खैर पर दावा ठोंक रही है।

हालांकि भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों का कहना है कि कमोबेश सभी सीटों पर पार्टी खुद ही लड़ेगी बस मीरापुर की सीट रालोद को दी जा सकती है। उधर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ने मझवा, गाजियाबाद, खैर और फूलपुर सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर दी है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव गाजियाबाद के अतिरिक्त कोई एक और सीट कांग्रेस को लड़ने के लिए दे सकते हैं।

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