Up News | अजय त्रिवेदी, लखनऊ | उत्तर प्रदेश में टेराकोटा शिल्पकारों को अब एक छत के नीचे माल तैयार करने, नई डिजायन बनाने, प्रशिक्षण प्राप्त करने के साथ बाजार तक पहुंच की सुविधा मिलेगी। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत चयनित गोरखपुर के टेराकोटा शिल्प के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) बनाया जा रहा है। सीएफसी से प्रदेश के टेराकोटा शिल्प का कारोबार और परवान चढ़ेगा। गोरखपुर के जिला उद्योग केंद्र की तरफ से दो सीएफसी बनाए जाने की प्रकिया चल रही हैं।
अब भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के साथ मिलकर एक स्वयंसेवी संस्था सेफ सोसायटी ने भी इसके लिए पहल की है। सिडबी की तरफ से गोरखपुर में गुलरिहा के भरवलिया में सीएफसी खोले जाने पर काम शुरू हो चुका है। इससे टेराकोटा कारीगरों को काफी सहूलियत मिलेगी। जिला उद्योग केंद्र की तरफ से पादरी बाजार और औरंगाबाद में सीएफसी खोलने की प्रक्रिया पहले से चल रही है।
एमएसएमई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भरवलिया में बन रहे टेराकोटा के कॉमन फैसिलिटी सेंटर के इस महीने के अंत तक चालू हो जाने की उम्मीद है। यहां शिल्पकारों को हर तरह के काम के लिए सिंगल प्वाइंट ऑफ कॉन्टैक्ट होगा। सेफ सोसायटी के चेयरमैन वैभव शर्मा ने बताया कि इस सीएफसी पर पर इलेक्ट्रिक भट्ठी, कारीगरों को प्रशिक्षण और तैयार माल को बाजार उपलब्ध कराने की सुविधा मिलेगी।
वहीं सिडबी लखनऊ क्षेत्र के महाप्रबंधक मनीष सिन्हा का कहना है कि टेराकोटा की सीएफसी खुलने से नए तरीके की ट्रेनिंग, नई तकनीक से उत्पाद को तैयार करने में सहूलियत होगी। यही नहीं कम लागत और कम समय में ज्यादा माल तैयार हो सकेगा। मिट्टी के बर्तन या अन्य उत्पाद को पुराने तरीके से पकाया जाता है तो तकरीबन 18 घंटे से ज्यादा समय लगता है और यदि इसे सीएफसी के टनलभट्ठी में पकाया जाता है तो एक ट्राली टेराकोटा तीस मिनट में पककर तैयार हो जाता है।
उन्होंने बताया कि सीएफसी से काम कर रहे शिल्पकारों को कारोबारी लाभ होगा तो इस क्षेत्र में नए लोग भी प्रशिक्षण लेकर कारोबार से जुड़ सकेंगे। सीएफसी का संचालन दो साल तक सिडबी की तरफ से किया जाएगा। इसके बाद एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) बनाकर इसे लाभार्थी शिल्पकारों के हवाले कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधन, वित्तीय व तकनीकी मदद मिलने के साथ ही इसकी ब्रांडिंग भी हुयी है। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन टेबिल आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान हुआ है और उत्पादकता बढ़ी है। अधिकारियों ने बताया कि ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब 30-35 फीसद नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं।
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