UP Assembly Elections 2022
अजीत मेंदोला, नई दिल्ली:
किसान राजनीति उत्तर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण बना सकती है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की आक्रमक रणनीति इसी का हिस्सा मानी जा रही है। उनकी आक्रमक रणनीति ने कांग्रेसियो की उम्मीदें जगा दी हैं। प्रियंका गांधी ने पिछले कुछ समय से जिस तरह से यूपी में मोर्चा संभाला हुआ है उससे यही समझा जा रहा है कि कांग्रेस किसानों और पिछड़ों के भरोसे बड़ी उम्मीद लगा बैठी है। हालांकि कांग्रेस ने 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा कर महिलाओं को भी साधने की कोशिश की है, लेकिन असल फोकस किसानों और पिछड़ों पर ज्यादा रखा है।
UP Assembly Elections 2022 किसान बड़ी ताकत
इसमें कोई दो राय नही है कि यूपी में किसान बड़ी ताकत है। सरकार बनाने और बिगाड़ने में उसकी खास भूमिका रहती है। पिछले लंबे समय से किसान केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ जिस तरह से सड़कों पर उतरा है उसने कहीं न कहीं विपक्ष को बड़ा मुद्दा दिया है। प्रियंका गांधी ने मौका देख यूपी में उस मुद्दे पर लीड लेने की कोशिश की है। अकेले ही मैदान में उतर पड़ी हैं। इससे पार्टी को सत्ता मिलेगी कहना मुश्किल है। प्रियंका वोट प्रतिशत और पिछली बार के मुकाबले सीट बढ़ाने में सफल होती हैं तो कांग्रेस के लिए उपलब्धि ही कहा जाएगा। यह बहुत आसान नहीं है।
UP Assembly Elections 2022 सपा व अन्य दल भी किसानों को साधने में लगे
सपा और राष्ट्रीय लोकदल भी किसानों को साधने की पूरी कोशिश करेंगे। बीजेपी भी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेगी। दूसरी तरफ सांसद वरुण गांधी किसानों के समर्थन जिस तरह से खुलकर सामने आए हैं उसके भी कई राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ कुछ नही बोला है। लेकिन उनके किसानों की समस्याओं को लेकर सवाल उठाने से किसान बड़ी उम्मीद लगा बैठे हैं। बीजेपी के वह अकेले बड़े नेता हैं जिन्होंने किसानों के हित मे खुल कर बोला है।
UP Assembly Elections 2022 वरुण भी रख रहे दखल
वरुण भी यूपी की राजनीति में अच्छा खासा दखल रखते हैं। किसानों के हमदर्द के रूप में उभर रहे हैं। चुनाव आते आते प्रदेश की राजनीति में काफी उथल पुथल होने के आसार भी हैं। क्योंकि बीजेपी बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट काटेगी। वह पार्टी छोड़ेंगे। इसके साथ कांग्रेस की अभी जो रणनीति दिख रही है उससे यही संकेत हैं कि कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।
वहीं दूसरी तरफ जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अंतिम समय में सपा के साथ गठबंधन की कोशिश करेगी।गठबंधन मे सीटों की संख्या ठीक ठाक हो इसके लिये प्रियंका गांधी ने चुनाव से ठीक चार माह पहले आक्रमक चुनावी रणनीति बनाई हुई है। किसानों के मुद्दे सबसे बड़ी प्राथमिकता होंगे। साथ ही पिछड़ों, दलितों, युवाओं और महिलाओं को रिझाने के लिये पूरी ताकत लगाई जाएगी।
कांग्रेस भी समझ रही है कि उनके पास नेताओं का टोटा है। अकेले प्रियंका गांधी चमत्कार नहीं कर सकती हैं। इसलिए चुनाव के अंतिम समय में एक माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस को लग रहा है कि अगर माहौल बना तो इससे सपा दबाव में आएगी। क्योंकि माहौल बनने से वोटों के बंटने का खतरा पैदा होगा। इससे कहीं न कहीं सपा के वोट बैंक पर ही सेंध लगेगी। सपा के साथ सीधे या पर्दे के पीछे वाला गठबंधन करने की कांग्रेस पूरी कोशिश करेगी।
अगर बात बनी तो ठीक वर्ना पूरी सीटों पर ताकत से चुनाव लड़ 2024 के लिये माहौल बनाने की कोशिश होगी। इस बीच चुनाव से पहले नए दलों का गठन होगा तो कांग्रेस उनसे भी बात कर सकती है। फिलहाल प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस को रिचार्ज करने में कुछ हद तक कामयाबी तो पाई है वोट मिलेगा कहना कठिन है।