Aaj Samaj (आज समाज), Unprecedented Action, नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में सेंध को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में भारी नारेबाजी व नियमों के उल्लंघन के आरोप में संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान तीन दिन में 92 सांसद निलंबित किए गए हैं जो देश के संसदीय इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
13 दिसंबर को लोकसभा में घुस गए थे दो लोग
बता दें कि पिछले सप्ताह 13 दिसंबर को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दो लोग दर्शक दीर्घा से सदन के अंदर घुस गए थे और उन्होंने कुछ स्प्रे करके अंदर पीला धुआं फैला दिया था। इस दौरान शीतकालीन सत्र चल रहा था और सदन में मौजूद सांसदों में अफरा-तफरी मच गई थी। इस घटना के बाद से ही विपक्षी सांसद केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हैं।
गृह मंत्री अमित शाह से जवाब की मांग
विपक्षी सांसद संसद की सुरक्षा में सेंध मामले पर चर्चा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जवाब की मांग कर रहा है। ‘कार्यवाही में व्यवधान’ डालने के आरोप में अब तक कई विपक्षी सांसदों को सत्र से निलंबित कर दिया गया है। पिछले हफ्ते गुरुवार को लोकसभा के 13 सांसद और राज्यसभा से एक सांसद को निलंबित किया गया था। वहीं, सोमवार को लोकसभा से 33 और राज्यसभा से 45 सासंदों को निलंबित किया गया। यह किसी भी सत्र में निलंबित सांसदों की सबसे बड़ी संख्या है।
1963 में पहली बार निलंबन का मामला
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सांसदों के निलंबन का पहला मामला 1963 में उस समय आया था जब राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे थे। कुछ सांसदों ने इस दौरान हंगामा किया और सदन से वॉकआउट कर गए। बाद में इन सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
1966 में राज्यसभा से दो सांसद सस्पेंड
1966 में राज्यसभा से दो सांसदों को दिनभर की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था। सांसदों की सबसे बड़ी संख्या में निलंबन की कार्रवाई राजीव गांधी सरकार के वक्त 1989 में हुई थी। जब एक साथ 63 सांसदों को तीन दिन के लिए निलंबित किया गया था। उस वक्त इंदिरा गांधी की हत्या को लेकर बने ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा हो रहा था।
2010 में सात सांसद निलंबित
मार्च 2010 में बजट सत्र के दौरान महिला आरक्षण बिल को लेकर विपक्षी सांसदों ने संसद में जमकर नारेबाजी की, बिल की कॉपी फेंक दी, तख्तियां लहराईं, काली मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया। इस पर कार्रवाई करते हुए राज्यसभा से सात सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
2012 में आठ एमपी निलंबित
2012 में बजट सत्र के दौरान तेलंगाना से आने वाले कांग्रेस के आठ सांसदों को चार दिन के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया था। ये सांसद अलग तेलंगाना राज्य की मांग करते हुए हंगामा कर रहे थे। अगस्त 2013 में मानसून सत्र के दौरान 12 सासंदों को पांच दिन के लिए लिए निलंबित कर दिया गया था। इसी सत्र में एक महीने पहले इसी मुद्दे पर आंध्र प्रदेश के नौ सांसदों को भी निलंबित किया गया था। नए राज्य तेलंगाना के गठन के बिल आने पर सदन में जमकर हंगामा हुआ था। इस दौरान फरवरी 2014 में तेलंगाना गठन का विरोध कर रहे 16 सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया था।
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