UN Secretary General, (आज समाज), न्यूयार्क: संयुक्त राष्ट्र ने बढ़ते समुद्र के तापमान को लेकर दुनिया को चेताया है। प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थित टोंगा में आयोजित प्रशांत द्वीप समूह फोरम को संबोधित करते हुए यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि प्रशांत द्वीप समूह में समुद्र का तापमान दुनिया भर में 3 गुना की दर से बढ़ रहा है। विशेष रूप से यहां की आबादी बढ़ते समुद्री स्तर के प्रभाव से प्रभावित हो रही है।
देशों से जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने की अपील
एंटोनियो गुटेरेस ने देशों की सरकारों से समुद्रों की रक्षा करने और जलवायु कार्रवाई में तेजी लाने का आग्रह किया। उन्होंने मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में अहम रिपोर्ट का जिक्र करते हुए बताया कि दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र समुद्र जलस्तर वृद्धि से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यूएन महासचिव ने कहा, कुछ जगहों पर यह वृद्धि बीते 30 वर्षों में वैश्विक औसत से दोगुने से भी अधिक है।
बढ़ते जलस्तर से आ रहे तूफान और तटीय बाढ़
यूएन महासचिव ने कहा, मैं समुद्र के बढ़ते जलस्तर पर एक वैश्विक (सेव अवर सीज यानी अपने समुद्रों को बचाओ) (एसओएएस) जारी करने के लिए टोंगा में हूं। समुद्र का बढ़ता जलस्तर तूफान और तटीय बाढ़ की आवृत्ति व गंभीरता को बढ़ा रहा है। बाढ़ तटीय इलाकों के पास रहने वालों को निगल जाती है। यह मत्स्य पालन व फसलों को बर्बाद कर देती है। बाढ़ ताजे पानी को भी दूषित कर देती है। प्रशांत द्वीप देशों को यह सब घटनाएं गंभीर खतरे में डालती हैं।
इसलिए बढ़ रहा महासागर का स्तर
एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि गर्म होने की स्थिति में जल के आकार में विस्तार होता है, इसलिए महासागर का स्तर बढ़ रहा है। सप्ताह भर चलने वाली वार्षिक नेताओं की बैठक (प्रशांत द्वीप समूह फोरम) में जलवायु परिवर्तन व सुरक्षा पर चर्चा प्रमुखता से हो रही है, जहां प्रशांत द्वीप समूह फोरम के 18 सदस्य मेजबान टोंगा जैसे समुद्र स्तर में वृद्धि से खतरे में पड़े एटोल देशों और दुनिया के सबसे बड़े कोयला निर्यातकों में से एक आॅस्ट्रेलिया को शामिल कर रहे हैं।
बढ़ते समुद्री जलस्तर के लिए पूर्ण रूप से मानव जिम्मेदार
संयुक्त राष्ट्र ने शीर्षतम अधिकारी ने विश्व नेताओं से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कटौती लाने, जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल रोकने और विशाल पैमाने पर जलवायु अनुकूलन के लिए निवेश किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति है। बढ़ते समुद्री जलस्तर के लिए पूर्ण रूप से मानव जिम्मेदार है और यह संकट जल्द ही एक ऐसे स्तर तक पहुंच जाएगा, जहां से कोई भी सुरक्षा उपाय कारगर साबित नहीं होगा।