Aaj Samaj (आज समाज), Union Minister VK Singh, नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिह ने कहा है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अपने आप ही भारत में मिल जाएगा। वह राजस्थान के दौसा में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उनसे पीओके के शिया मुसलमानों की भारत के लिए सड़कें खोलने की मांग के बारे में सवाल किया गया जिसपर उन्होंने कहा, कुछ समय के लिए इंतजार करना पड़ेगा, खुद-ब-खुद पीओके का भारत में विलय हो जाएगा।

पीओके में चल रहे विरोध-प्रदर्शन

बता दें कि पीओके (गिलगित-बाल्टिस्तान) में एक बार फिर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है और प्रदर्शन में शामिल वहां के लोग भारत में विलय होने की बात कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यह इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। प्रदेश के दौरान ‘सड़क पर चलो, चलो कारगिल चलो’ के नारे भी गूंजते सुनवाई दे रहे हैं। गिलगित में स्थानीय नेताओं ने पाकिस्तानी प्रशासन को गृहयुद्ध की भी चेतावनी दे दी है।

जानिए क्या है प्रदर्शनों का कारण

रिपोर्ट्स के अनुसार, शिया मौलवी आगा बाकिर अल-हुसैनी की गिरफ्तारी के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बाकिर पर स्कर्दू में उलेमा परिषद की बैठक में उनकी टिप्पणी के लिए मामला दर्ज किया गया था। बैठक पाकिस्तान द्वारा अपने ईशनिंदा कानूनों को सख्त बनाने पर चर्चा करने के लिए आयोजित की गई थी, जाहिर तौर पर शिया समुदाय को निशाना बनाने के लिए। शिया और सुन्नी इस्लाम के समान बुनियादी सिद्धांतों को साझा करते हैं, लेकिन शिया उन इस्लामी हस्तियों को अपना आदर्श नहीं मानते जिन्होंने चौथे खलीफा अली का विरोध किया था.

गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं की आबादी बड़ी

पाकिस्तान एक सुन्नी-बहुल देश है लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में शियाओं की आबादी बड़ी है। जनरल जिया-उल हक के शासन से शुरू होकर, लगातार पाकिस्तान सरकारों ने सुन्नियों को इस क्षेत्र में लाकर गिलगित-बाल्टिस्तान की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने की कोशिश की है। गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को प्रशासनिक रूप से तीन प्रभागों में विभाजित किया गया है। बाल्टिस्तान, डायमर और गिलगित।

मुख्य प्रशासनिक केंद्र गिलगित और स्कर्दू शहर हैं. हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया में गिलगित में विरोध प्रदर्शन का कोई कवरेज नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो और अकाउंट सामने आए हैं, जो आंदोलन के पैमाने का संकेत देते हैं. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मौजूद एकाउंट्स के अनुसार, शुरूआती विरोध प्रदर्शन सुन्नियों द्वारा 22 अगस्त को आगा बाकिर अल-हुसैनी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर किया गया था।

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