राजस्थान फोन टैपिंग विवाद अब दिल्ली पहुंच गया है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह ने राजस्थान सरकार पर गैर कानूनी तरीके से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और छवि खराब करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली में एफआईआर करवाई है। गजेंद्र सिंह ने दिल्ली के तुगलक रोड थाने में 20 मार्च को परिवाद दिया था। तुगलक रोड थाने से परिवाद को क्राइम ब्रांच को भेज दयिा गया। कल 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच रोहिणी में एफआईआर दर्ज की गई है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने सतीश मलिक को जांच अधिकारी बनाया है।
एफआईआर में मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा और अज्ञात पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया गया है। गजेंद्र सिंह ने गैर कानूनी तरीके से फोन टेप करवाने के आरोप हैं। एफआईआर में विधानसभा में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बयान को आधार बनाया है जिसमें धारीवाल ने माना था कि आॅडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किया था। एफआईआर के मुताबिक मुख्यमंत्री के ओएसडी ने आॅडियो वायरल किए। एफआईआर के मुताबिक गजेंद्र सिंह ने फोन टैप के वायरल आॅडियो से खुद की प्रतिष्ठा को नुकसान होने और मानसिक शांति भंग करने के आरोप लगाए हैं। एफआईआर में लिखा है कि 17 जुलाई 2020 को देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूहों ने संजय जैन और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच फोन पर हुई बातचीत के आॅडियो को प्रसारित किया। यह फोन टैपिंग बिना गृह विभाग की अनुमति के किए गए। गृह विभाग के तत्कालीन एसीएस ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने फोन टैप की अनुमति नहीं दी। इसका साफ अर्थ है कि गैर कानूनी तरीके से फोन टैप किए गए। कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के साथ बातचीत का दावा करते हुए दिखाया गया।
सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय से चल रहा है विवाद
पिछले साल जुलाई में सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायकों की बगावत के समय से ही फोन टैपिंग विवाद चल रहा है। पायलट की बगावव और फिर उन्हें हटाने के बाद 15 जुलाई को तीन आॅडियेा टैप गहलोत खेमे की तरफ से जारी किए गए थे, उनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच विधायक खरी फरोख्त की बातचीत का दावा था। एक टेप में विश्वेंद्र सिंह की बातचीत का दावा था। इन आॅडियो टैप की सत्यता और सोर्स को लेकर ही विवाद है। भाजपा इसके आधार पर फोन टैप का आरोप लगा रही है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने आॅडियेा टैप में खुद की आवाज से ही इनकार करते रहे हैं। उधर कांग्रेस नेता गजेंद्र सिंह से वॉयस सैंपल देने की मांग करते रहे हैं।
पिछले दिनों विधानसभा सवाल के जवाब में सरकार ने माना था कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टैप किए गए थे। इस मुद्दे पर विधानासभा में भाजपा ने भाारी हंगामा किया था। बाद में सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में कहा था कि किसी भी मंत्री विधायक या जनप्रतिनिधि का फोन टैप नहीं किया गया। हथियारों और विस्फोटकों की सूचना पर गृह सचिव की अनुमति लेने के बाद दो लोगों के फोन सर्विलांस पर लिए गए थे।इन दो लोगों के फोन सर्विलांस पर लेने पर ये सरकार गिराने ,पैसे का लेनदेन करके विधायकों की खरीद फरोख्त करने की बातें कर रहे थे।
विधायक खरीद फरोख्त के आॅडियो में गजेंद्र सिंह, विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा की बातचीत का दावा
सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे की तरफ से कुछ आॅडियो मीडिया में भेजकर यह दावा किया गया था इनमें विधायकों की खरीद फरोख्त की बात हो रही है। इन आॅडियो में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की आवाज होने का दावा किया गया था।
धारीवाल ने विधानसभा में माना था, मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे आॅडियो
विधानसभा में सरकार की तरफ से फोन टैपिंग मामले में जवाब देते हुए मंत्री शांति धारीवाल ने यह माना था कि विधायक खरीद फरोख्त के आॅडियो मुख्यमंत्री के ओएसडी ने वायरल किए थे। धारीवाल ने कहा था— मुक्ष्यमंत्री के ओएसडी के पास वाट्सएप पर आॅडियो आए और उन्होंने वाट्सएप बग्रुप पर भेज दिया तो क्या गुनाह कर दिया। वह क्यों नहीं वायरल करेगा।
वायरल आॅडियो का सोर्स फोन टैप के अलावा कुछ नहीं हो सकता, इस पर ही विवाद
विधायक खरीद फरोख्त की बातचीत और पैसे के लेनदेन के दावे वाले आॅडियो कहां से आए, उनका सोर्स क्या था, इसे लेकर शुरु से विवाद रहा है। इसी आधार पर सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लग रहे हैं। विधानसभा के बाहर और भीतर भाजपा ने कहा था कि सरकार आॅडियो के सोर्स बताए, बिना फोन टैपिंग के आॅडियो कहां से आया।
लोकसभा और राज्यसभा में उठा था मामला, केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री ने मामले को तार्किक परिणाम तक पहुंचाने का आश्वासन दिया था
फोन टैपिंग का मुद्दा लोकसभा और राज्यसभा में भी उठा था। लोकसभा में चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने राजस्थान में जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने का मामला उठाया था। उस समय संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने पूरे मामले को गृह मंत्रालय के पास भेजने और तार्किेक अंजाम तक पहुंचाने का लोकसभा में आश्वासन दिया था।