सिंचाई सुविधाओं ने बदली हरोली की तस्वीर
नकदी फसलों का बना गढ़, किसानों के वारे-न्यारे
लाभार्थी बोले..‘मुकेश जी के प्रयासों ने हरोली की तस्वीर और हमारी तकदीर बदल के रख दी’
Una News : ऊना। ‘पहले हमारे खेतों को पानी की सुविधा नहीं थी, सच पूछें तो तब खेती के नाम पर बस झाड़-झंकाड़ ही था, लेकिन अब खेतों में पानी भी पहुंचा है और नकदी फसलों से किसानों की जेब में पैसा भी। मुकेश जी के प्रयासों ने हरोली की तस्वीर और हमारी तकदीर बदल के रख दी है।’ हरोली विधानसभा के पुबोवाल गांव के एक किसान सुमन लाल के इन उद्गारों में इस संपूर्ण क्षेत्र के किसानों के कृतज्ञ भाव सम्मिलित हैं। इन्हीं भावों को स्वर देते हुए अन्य किसान बीटन के सोडी राम और प्रेमचंद बताते हैं कि सिंचाई की अच्छी सुविधा के चलते नकदी फसलों की खेती से उन जैसे अनेकों किसानों के आत्मनिर्भर बनने की राह प्रशस्त हुई है। लोग परंपरागत खेती के अलावा नकदी फसलों-सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
किसानों के ये सभी भाव, सफलता की ये तमाम कहानियां, बेहतर सिंचाई सुविधा के इर्दगिर्द घूमती हैं। हरोली के विधायक एवं उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के वर्षों के निरंतर प्रयासों के उपक्रम से निखरते हरोली में बीते एक साल की अवधि में सिंचाई की योजनाओं को और बल तथा गति देकर आगे बढ़ाया गया है।
बूंद-बूंद से बड़े बदलाव की नायाब कहानी
हरोली के कृषि परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव
दरअसल, सिंचाई सुविधा में बूंद-बूंद से बड़े बदलाव की नायाब कहानी कहता हरोली क्षेत्र नकदी फसलों का गढ़ बना गया है। कभी यहां किसानों के लिए सब्जी उत्पादन केवल एक सपना भर था, अब ये तेजी से फल-फूल रहा है। बाजार में अच्छी मांग और चोखे दाम से किसानों के वारे-न्यारे हैं। विशेषकर बीत क्षेत्र में कभी पानी का गंभीर संकट था। अब वहां पीने के पानी की निरंतर सप्लाई के साथ ही खेतों के लिए भी सिंचाई की पर्याप्त सुविधा है। क्षेत्र में अब नकदी फसलों-सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
हरोली विस क्षेत्र में सिंचाई की अनेकों योजनाओं ने हजारों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, जो जल शक्ति विभाग का दायित्व भी संभाल रहे हैं, की दूरदर्शिता और निर्णायक प्रयासों से हरोली विस क्षेत्र में सिंचाई की अनेकों योजनाओं ने हजारों लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। उनके प्रयासों ने हरोली के कृषि परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। कभी पानी की कमी की मार झेलता, सीमित कृषि क्षमता वाला हरोली क्षेत्र, अब सिंचाई सुविधाओं के विकास के चलते नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बेहतर सिंचाई सुविधाओं ने किसानों को फसल विविधता अपनाने और अपनी आय बढ़ाने का अवसर दिया है।
एक साल में पौने 10 करोड़ की योजनाएं समर्पित, 50 करोड़ के काम प्रगति पर
300 करोड़ की योजनाएं प्रस्तावित, हजारों एकड़ भूमि को मिलेगी सिंचाई सुविधा
जलशक्ति विभाग हरोली के अधिशाषी अभियंता पुनीत शर्मा बताते हैं कि उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के निर्देशानुरूप बीते एक साल में हरोली विस क्षेत्र में 9.71 करोड़ रुपये की लागत से 13 ट्यूबवेल परियोजनाओं को पूरा किया गया। इन परियोजनाओं के माध्यम से 347.50 हेक्टेयर (9049 कनाल) भूमि को सिंचाई सुविधायुक्त बनाया गया है। वहीं वर्तमान में 32.35 करोड़ रुपये की लागत से 33 सिंचाई ट्यूबवेल का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर 871 हेक्टेयर (22682 कनाल) भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी। वे बताते हैं कि कमांड क्षेत्र के विकास के लिए 12.83 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इस पहल के तहत 17 सिंचाई योजनाओं का काम किया जा रहा है, जिससे 850 हेक्टेयर भूमि को पूर्ण सिंचाई सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
202.54 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की 6 नई सिंचाई योजनाओं के लिए डीपीआर तैयार की गई
वहीं, 202.54 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत की 6 नई सिंचाई योजनाओं के लिए डीपीआर तैयार की गई है। इनमें से 3 योजनाएं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और 3 नाबार्ड के तहत स्वीकृति के लिए भेजी गई हैं। मंजूरी मिलते ही इन पर काम शुरू होगा। इसके अलावा एडीबी के सहयोग से 28 करोड़ की 4 परियोजनाओं का काम किया जा रहा है। जिनमें पूबोवाल, बालीवाल, हरोली और नगनोली की योजनाएं शामिल हैं। वहीं, 74 करोड़ रुपये की बीत क्षेत्र सिंचाई योजना-2 का निर्माण की दिशा में निर्णायक कदम उठाए गए हैं।
बेहतर सिंचाई सुविधा से खेतीबाड़ी बनी मुनाफे का सौदा
कृषि विभाग ऊना के उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान बताते हैं हरोली क्षेत्र में बेहतर सिंचाई सुविधा से लोगों के लिए खेतीबाड़ी मुनाफे का सौदा बनी है। यहां लोग परंपरागत खेती के अलावा, खीरा, कद्दू-घिया, गोभी, मटर, आलू, करेला, मीटर फली और गन्ना जैसी नकदी खेती कर रहे हैं। साल दर साल नकदी फसलों और सब्जियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन से किसानों के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक समृद्धि का नया द्वार खुला है।