Aaj Samaj (आज समाज), UN Report, नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती रफ्तार का अब पूरी दुनिया ने लोहा मान लिया है। 193 देशों के संगठन संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत की रफ्तार हमारी सोच से भी ज्यादा है और इस देश की अर्थव्यवस्था में इस वर्ष करीब 7 प्रतिशत की दर से तेजी बनी रहेगी। इससे पहले आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसी रेटिंग एजेंसियां इस पर मुहर लगा चुकी हैं।
6.9 फीसदी की दर से आगे बढ़ने का अनुमान
संयुक्त राष्ट्र ने ‘2024 के मध्य तक विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाओं’ (डब्ल्यूईएसपी) पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.9 फीसदी तो 2025 में यह 6.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने इससे पहले जनवरी में अपने पूवार्नुमान में साल 2024 के लिए भारत की विकास दर 6.2 बताई थी, लेकिन अब इसमें संशोधन करके इसे 6.9 प्रतिशत कर दिया है।
भारी सार्वजनिक निवेश और लचीले निजी उपभोग में बढ़ोतरी तेजी का मुख्य कारण
वैश्विक निकाय का कहना है कि 2024 में भारत की विकास दर पहले लगाए अनुमान से भी आगे निकल जाएगी। यूएन ने सरकार के भारी सार्वजनिक निवेश और लचीले निजी उपभोग में बढ़ोतरी को अर्थव्यवस्था में तेजी का मुख्य कारण बताया है। बता दें कि बाहरी यानी दुनिया की मांग बढ़ने और भारत के निर्यात से ग्रोथ को और तेजी मिलती है और आने वाले समय में फार्मास्यूटिकल व केमिकल सेक्टर से निर्यात बढ़ने की बहुत संभावनाएं हैं। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि 2024 में वर्ल्ड इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पहले 2.4% रहने का अनुमान लगाया था।
देश की श्रम शक्ति में भी सुधार
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत का लेबर मार्केट भी इम्प्रूवमेंट कर रहा है और यह तेज विकास हासिल करने की राह पर है। सरकार भी कैपिटल इनवेस्टमेंट बढ़ा रही है और राजकोषीय घाटे को कम करने पर पूरा जोर दे रही है। हालांकि, एनर्जी की बढ़ती कीमत और दुनिया में बढ़ते भूराजनीतिक संकट की वजह से कुछ चुनौतियां भी सामने हैं, लेकिन, कोरोनाकाल के बाद दुनिया की मांग बढ़ रही है। ऐसे में निर्यात करने वाले देशों को इसका फायदा होगा और उनकी विकास दर तेज होगी।
उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई
संयुक्त राष्ट्र की संशोधित रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई है और 2023 में जहां ये 5.6 प्रतिशत थी, वो 2024 में घटकर 4.5 प्रतिशत हो गई है। यह रिजर्व बैंक की दो से छह प्रतिशत की लक्ष्य सीमा के भीतर है। अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी मुद्रास्फीति में इस साल बीते साल के मुकाबले गिरावट आने की उम्मीद है। एशिया में सबसे कम महंगाई दर मालदीव में 2.2 फीसदी और सबसे ज्यादा ईरान में 33.6 फीसदी है।
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