UN Report: करीब तीन दशक में भारत में होगा सबसे ज्यादा पानी का संकट

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आज समाज डिजिटल, (UN Report): आने वाले करीब तीन दशक में भारत में पानी का संकट सबसे ज्यादा होगा। संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 से पहले यूनाइटेड नेशंस ने ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल रिपोर्ट 2023’ जारी की है। इसमें दावा किया गया है कि भारत के अलावा चीन व पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी 2050 तक पानी को लेकर हालात खराब होंगे। कई नदियों में बहाव की स्थिति भी कमजोर पड़ जाएगी।

  • अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से निकलने की जरुरत : यूनेस्को महानिदेशक
  • दुनिया में 46 फीसदी आबादी ले रही सुरक्षित पेय जल का फायदा

इतने अरब शहरी आबादी करेगी दिक्कता का सामना

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की लगभग 1.7 से 2.40 अरब शहरी आबादी पानी के संकट से जूझेगी। रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में 9.33 करोड़ आबादी पानी के संकट का सामना कर रही थी। संयुक्त राष्ट्र जल सम्मेलन 2023 से पहले यूनाइटेड नेशंस ने ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल रिपोर्ट 2023’ जारी की है।

बड़ी नदियों का प्रवाह कम होने का अनुमान

एशिया में करीब 80 जनसंख्या जल संकट से जूझ रही है। भारत, पूर्वोत्तर चीन व पाकिस्तान पर यह संकट सबसे ज्यादा है। इस संकट से भारत के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है। ग्लेशियर पिघलने के कारण गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों का प्रवाह कम हो जाएगा।

26 फीसदी जनसंख्या को मिल रहा पीने का साफ पानी

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया की 26 फीसदी आबादी को वर्तमान में पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा है। वहीं 46 फीसदी आबादी सुरक्षित पेय जल का फायदा ले रही है। यूएन की तरफ से यूनेस्को की जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के दो से तीन बिलियन लोग साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी से जूझते हैं। इसमें कहा गया कि ये संकट आने वाले समय में और भी ज्यादा बढ़ने वाली है।

साथ समय नहीं है और करने को बहुत कुछ

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के एडिटर इन चीफ ने बताया कि मानवता के लिए जल खून की तरह है। यह लोगों के स्वास्थ्य, जीवन, विकास व लचीलेपन के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, हमारे साथ समय नहीं है और करने को बहुत कुछ है। यूएन की ताजा रिपोर्ट दर्शाती है कि हमारा उद्देश्य साथ आकर एक्शन लेने का है। बदलाव लाने का यह हमारा समय है। यूनेस्को के महानिदेशक आंड्रे एजोले ने कहा, इस वैश्विक संकट से बाहर निकलने से पहले तत्काल अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से निकलने की जरुरत है।

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