Ministry Of Home Affairs,आज समाज, नई दिल्ली: केंद्र सरकार असम के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आफ असम (उल्फा) पर सख्ती बनाए हुए है। गृह मंत्रालय ने अब इसे गैरकानूनी संगठन घोषित करने के मकसद से ट्रिब्यूनल (न्यायाधिकरण) का गठन किया है। पिछले महीने 25 नवंबर को असम को भारत से अलग करने के मकसद से हिंसा और वसूली के लिए उग्रवादी समूहों के साथ संबंध बनाए रखने वाले इस संगठन पर पिछले महीने 25 नवंबर को केंद्र ने पहले से लागू प्रतिबंध और 5 साल के लिए बढ़ा दिया था।
न्यायमूर्ति जोथानखुमा की अध्यक्षता में कार्य करेगा ट्रिब्यूनल
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह आकलन करने के लिए एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण की स्थापना की है कि क्या उल्फा को उसके सभी गुटों, शाखाओं और प्रमुख संगठनों के साथ गैरकानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं। न्यायाधिकरण गौहाटी हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति माइकल जोथानखुमा की अध्यक्षता में कार्य करेगा।
इन प्रयासों के हिस्से के रूप में उठाया गया कदम
यह कदम सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करने और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत उल्फा की कानूनी स्थिति निर्धारित करने के मकसद से चल रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में उठाया गया है। बता दें उल्फा को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत समय-समय पर प्रतिबंध के विस्तार का सामना करना पड़ा है।
संप्रभुता और अखंडता के लिए संगठन नुकसानदायक
पिछले महीने नवंबर में उल्फा पर प्रतिबंध बढ़ाने से पहले इसे 27 नवंबर, 2019 को लगाया गया गया था। नवीनतम प्रतिबंध इस साल गृह मंत्रालय की अधिसूचना में दोहराया गया कि उल्फा, इसके सभी गुटों, शाखाओं और अग्रणी संगठनों सहित, भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल है।
पांच वर्ष में तीन कट्टर कैडर निष्प्रभावी किए
गृह मंत्रालय के अनुसार बीते 5 वर्ष में पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा किए गए अभियानों में उल्फा के तीन कट्टर कैडरों को निष्प्रभावी कर दिया गया। इसके अलावा संगठन के सदस्यों के खिलाफ 15 मामले दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप तीन आरोपपत्र और तीन कैडरों पर मुकदमा चलाया गया।
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