विद्यालय के प्रधान रणदीप आर्य ने कहा कि पंडित लेखराम निर्भीक, साहसी, वैदिक विद्वान, प्रखर वक्ता, रक्त साक्षी का बलिदान प्रत्येक आर्य समाज में मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंडित लेखराम ने जगह-जगह पर ईसाई मत का खंडन किया। एक बार पंडित लेखराम को पता चला कि कुछ वैदिक धर्म के लोग, ईसाई धर्म में प्रवेश कर रहे हैं तो पंडित लेखराम ने वहां जाने का कार्यक्रम तय किया और ट्रेन से दोराहा रेलवे स्टेशन जो कि पंजाब में है, स्टेशन के नजदीक आते ही पंडित लेखराम ने अपना सामान बांधना शुरू किया तो पास बैठे यात्रियों ने कहा कि यह ट्रेन यहां नहीं रुकेगी।
इस पर पंडित लेखराम ने कहा कि ट्रेन यहां रुके या ना रुके पंडित लेखराम तो यही रुकेगा और चलती ट्रेन से छलांग लगा दी। जो व्यक्ति पंडित जी को रेलवे स्टेशन पर लेने आए थे, उन्होंने कहा आपको बहुत चोट लगी है। लेखराम ने कहा यह चोट तो कुछ भी नहीं है लेकिन जो हमारे भाई वैदिक धर्म के मार्ग से भटक गए हैं उनको सही रास्ते पर लेकर आना समय की सबसे बड़ी मांग है। लोगों ने कहा कि हम वैदिक धर्म को नहीं छोड़ेंगे। हम पंडित जी का उपदेश सुनने आए हैं। हम भी उनके बताए मार्ग पर चलेंगे। विद्यालय के प्रधानाचार्य सत्यवान मलिक ने बताया कि आर्य समाज पर बलिदान देने वाले हमेशा याद रखे जाएंगे। मंच संचालन विद्यालय के डीपीई जगदीश चहल ने किया।