Two-day online seminar organized by Patiala unit of Mahila Kavya Manch: महिला काव्य मंच की पटियाला इकाई द्वारा दो दिवसीय ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन

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पटियाला।लॉक डाउन के चलते महिलाओं को अवसाद से बचाने के लिए महिला काव्य मंच की एक अनूठी पहल।कोरोना काल में सब तरफ लॉक डाउन के चलते महिलाओं को अवसाद से बचाने के लिए एवं उनकी दिनचर्या में कुछ सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए महिला काव्य मंच की पटियाला इकाई द्वारा दो दिवसीय ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन (दिनांक 30 मई और 31मई) को किया गया।  गोष्ठी के प्रथम दिन कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय संरक्षक  गुरनीर साहनी द्वारा एवं दूसरे दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष मधु ‘मधुमन’ के द्वारा की गई। पंजाब अध्यक्ष डॉ. पूनम गुप्त के सान्निध्य में आयोजित इस ऑनलाइन गोष्ठी की मुख्य अतिथि पंजाब इकाई संरक्षक अलका अरोड़ा एवं उपाध्यक्ष  सरिता नोहरिया रहीं। इस अवसर पर डॉ. श्रुति शुक्ला पत्नी श्री अर्पित शुक्ला, ए.डी.जी.पी.  पंजाब विशिष्ट अतिथि के रूप में साथ जुड़ीं जो कि लेखन के साथ-साथ पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड में शिक्षाविद एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं। इस ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में 50 से भी अधिक कवयित्रियों ने भाग लिया। रचनाओं का मुख्य विषय कोरोना से निजात, समाज में औरतों की स्थिति और आज के समय में श्रमिक-वर्ग की दयनीय दशा रहा।
पटियाला अध्यक्ष भावना घई ने कुशलता पूर्वक मंच-संचालन करते हुए सभी का स्वागत किया।        कार्यक्रम के प्रारम्भ में सभी ने महिला काव्य मंच के संस्थापक श्री नरेश नाज़ द्वारा आशीर्वाद स्वरूप भेजी गई सरस्वती वंदना का श्रवण किया।  इसके बाद काव्य-पाठ का दौर शुरू हुआ। पंजाब इकाई की महासचिव विजेता भारद्वाज ने ‘किसे दर्दी दा दर्द ना पुछ,उसदी हा नूँ महसूस कर’ रचना द्वारा वाह वाही लूटी। शालू जिंदल ने ‘निश्चित नहीं होता लूट का समय या स्थान’तथा पुनीत गोयल ने जिंदगी सुखों दुखों का मेला है ‘ शब्दों द्वारा अपने विचार प्रकट किये । डॉ. देविंदर कौर ने ‘जिंदगी तुझको तो ज़रा देर से जाना हमने ’तथा जसप्रीत कौर ने ‘सत्य एक पथरीला पथ है, द्वारा जीवन के यथार्थ को उजागर किया । पटियाला इकाई की उपाध्यक्ष किरण गर्ग द्वारा ‘ बुल्लियाँ दा हासा बन के घर आ माहिया ‘पंजाबी गीत द्वारा अपनी पेशकारी की। पंजाब उपाध्यक्ष सरिता नौहरिया ने’ नींद क्यों नहीं आती है रात भर ..’के माध्यम से माहौल बदला । ‘ए कलम जब भी तू आती है मेरे हाथों में ..’से डॉ.दीपशिखा के अंतर्मन के भाव प्रकट हुए तथा महासचिव जागृति ने ‘जिंदगी बहुत खूबसूरत है, जिंदगी से प्यार करो’ द्वारा अद्भुत फलसफा पेश किया । पायल अरोड़ा ने ‘दिन ढलते ही वह आता’ द्वारा अपनी कल्पना व्यक्त की । सतनाम चौहान ने ‘जदों डोली तुरी बचने दी धी दी ‘जैसे शब्दों के माध्यम से मानसिक उदगार व्यक्त किये । पंजाब इकाई अध्यक्ष डॉ. पूनम गुप्त  ने ‘सुन लो पुकार, करूं विनय बार-बार प्रभु” द्वारा कोरोना को इस विश्व से समाप्त करने की प्रार्थना की। राष्ट्रीय अध्यक्ष मधु ‘मधुमन’ ने अपने सर्वविदित अंदाज़ में अपनी ग़ज़ल ‘जिंदगी तेरे सवालात से डर जाते हैं’ प्रस्तुत की । पटियाला इकाई की अध्यक्ष भावना घई ने ‘कद्र करता है कोई जताता है कोई-कोई’ के माध्यम से जीवन के कडवे सच से पर्दा उठाया । महिला काव्य मंच की राष्ट्रीय संरक्षक गुरनीर साहनी ने नारी के बड़प्पन को दर्शाती हुई अपनी कविता’ अश्क पलकों में पिरो सकती नहीं, मैं बड़ी हूँ घर की मैं रो सकती नहीं’ की प्रस्तुति द्वारा सबकी आँखें नम कर दीं।  कुछ नन्ही कवयित्रियों ने भी इसमें अपनी स्वरचित कविताओं को प्रस्तुत किया जिनमे मन्नतदीप, हरगुनदीप, प्रभलीन , तृप्ति, जसलीन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
     पंजाब इकाई अध्यक्ष डॉ. पूनम गुप्त ने पटियाला इकाई को इस सुन्दर और सफल गोष्ठी की बधाई देते हुए बताया कि घरबन्दी के इस दौर में इस प्रकार के ऑनलाइन आयोजनों की जरूरत और भी बढ़ जाती है।
        कार्यक्रम के दूसरे दिन  गोष्ठी का आरंभ पटियाला इकाई की उपाध्यक्ष किरण गर्ग ने सरस्वती वंदना से किया। तदुपरांत कवयित्रियों ने स्वरचित कविता पाठ किया।  सजनी शर्मा ने,,जी करदा मैं चिड़ी बन जाँवाँ,, हरदीप जस्सोवाल ने,,केहो जिहि घड़ी आई, डॉ.राजिंदर अनेजा ने,,मील के पत्थर हुए, डॉ. हरविंदर कौर ने,,ग़म ग़ैरों का उठाया जाए, किरन सिंगला ने आओ नए दौर में नया करे, कर्मजोत कौर ने,,रब दा दिता वरदान पापा, रचनाएं सुनाई । सुनील शर्मा ने और सुनीता देवी ने कोरोना महामारी से सचेत किया। मनजीत कौर ने जहाँ कुदरत का वर्णन किया वहीं सुखविंदर आही ने ज़िंदगी की बात की। डॉ. मंजू अरोड़ा ने “कौन कहता है तू नही है” से भगवान की और सुषमा सभरवाल ने अपनी रचना में नारी की शक्ति दर्शायी। सुमन बत्रा ने ‘होकया दा मैं दीवा बनाया , आशा शर्मा ने ज़िंदगी को तलाशा, सचिव मोनिका ठाकुर ने ‘हां मैं मध्यमवर्गीय हूँ, वही जागृति गौड़ ने उम्र को सटीक निशाना बनाया। श्रीमती किरण गर्ग ने,,सोच रही हूं क्या लिखूँ, पंजाब अध्यक्ष डॉ पूनम गुप्त  ने “जाने क्या क्या दर्द छुपाए बैठे हैं रचनाएं सुनाई।” ‘पंजाब संरक्षक श्रीमती अलका अरोड़ा ने खतरा अभी बाक़ी है,से चेताया। पटियाला इकाई की अध्यक्ष भावना घई ने बड़ी बड़ी बातें करने वालों पर निशाना साधा। कार्यक्रम के समापन में राष्ट्रीय अध्यक्ष मधु मधुमन ने “वक़्त के साथ चलना जरूरी लगा” सुना कर समां बाँधा।