कोरोना वायरस ने केवल देश ही नहींदुनिया को हिलाकर रख दिया। करोड़ो अरबों लोगों को घरोंमेंकैद कर दिया। इस वायरस की दहशत ने अच्छेरिश्तों को भी एक दूसरे से दूर कर दिया। कोरोना से बचने केलिए लोग घरों में कैद क्या हुए इसकी दहशत और मानसिक दबाव ने परिवारोंकेरिश्तों को ही तोड़ना शुरू कर दिया। कोरोना वायरस से बचने और अन्य लोगों को बचाने के लिए एकमात्र उपाय लॉकडाउन का सहारा देश और दुनिया की सरकारों ने लिया। एक ओर जहां इंसानी जानों को बचाने का सिलसिला और कोशिश जारी थी तो वहीं कहीं घर की चार दीवारोंमेंरिश्तेघुट रहे थे। आगरा में कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन सेराहत जरूर मिली लेकिन इसका साइड इफेक्ट भी अब दिखने लगा है । आगरा में इसके कारण घरेलू हिंसा के मामले , पारवारिक विवाद मामलों में खासी वृद्धि हुईऔर सबसे ज्यादा मामले उच्च शिक्षित लोगों से जुड़े हुए हैं। देखिये आगरा से हमारी आगरा में महिला थाने के आंकड़े इस बात को व्यान करते हैं कि कोरोना काल में चाहे प्रोफेसर हो या डॉक्टर या इंजीनियर सभी पारवारिक हिंसा में शामिल रहे हैं … आंकड़ों के अनुसार महिला थाने में दर्ज होने वाले 10 फीसदी मुकदमें उच्च शिक्षित दंपतियों के हैं ।।।
आगरा में घरेलू हिंसा करने वालों में एसोसिएट प्रोफेसर, डाक्टर और इंजीनियर , व्यापारी , तक शामिल हैं। यह सभी उच्च शिक्षित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। महिलाथाने में तैनात थानाअध्यक्ष की मानें तो जनवरी 2021 से 15 जून 2021 तक उच्च शिक्षित लोगों द्वारा पत्नी के उत्पीड़न की 100 से ज्यादा शिकायतें सामने आईं हैं । पर अभी जनवरी से जून तक 21 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए हैं । वंही अधिकांश मामलों में काउंसिलिंग के बाद सुलह कराई गई।
आइये एक नजर डालते हैं आंकड़ों पर
महिला थाने में इस वर्ष जनवरी 2021 से 15 जून तक घरेलू हिंसा व दहेज आदि के 21 मुकदमे दर्ज किए गए।
वर्ष 2020 में 50 मुकदमे दर्ज किए गए,
वर्ष 2019 में 227 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
पुलिस अधिकारियों की मानें तो महिला थाने आने वाले घरेलू हिंसा के मामलों में दस फीसद मामले उच्च शिक्षित लोगों के होते हैं। हमने ऐसे ही एक पीड़ित महिला से बात की जो पेशे से प्रोफेसर हैं । जिनके पति भी प्रोफेसर हैं ।। मगर पति का शक्कीपन और आये दिन के झगड़े उन्हें आज महिला थाने ले आये ।।।
इस बारे में शहर के वरिष्ठ चिकित्सक का कहना है की लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से लोग घरों में रहे और अपने कामकाज से महरूम रहे । यही वजह है कि वह आए दिन चिड़चिड़े होकर आपस में झगड़े करने लगे नतीजन मामले घर से निकलकर थाने पहुंचने लगे ।।। डॉक्टर के अनुसार इस लॉक डाउन में ऐसे कई पड़े लिखे लोग हैं जो अवसाद के शिकार हुए । और घर में झगड़े करने लगे ।।
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